Maa ke sath chudai ki kahani:- इसके पिछले पार्ट में आप लोगों ने पढ़ा है कैसे माँ मालिश लेने के बहाने मुझे सेड्यूस करती है और मैं अपनी माँ की चूत पे टूट पड़ता हूँ अगर आपने पिछले पार्ट नहीं पढ़ा है तो पहले वो ज़रूर पढ़े.
माँ के साथ अनंत सुख की दुनिया भाग 1
अब आगे की कहानी पढ़िए.
Maa ke sath chudai ki kahani
जैसे ही मैं माँ की चूत चाटने लगा माँ अपने दोनों हाथो से मेरा सर अपनी चूत में दबाने लगी. ऐसा लग रहा था की जब तक मेरा पूरा सर माँ की चूत में न घुस जाये तब तक माँ शांत नहीं होगी. माँ की चूत से काम-रस की गंगा बह रही थी और मैं उस बहती गंगा के काम-रस से अपनी पियास बुझा रहा था. मैं अपनी दो उँगलियाँ माँ की चूत में घुसाने लगा और साथ में जीभ से उनकी क्लाइटोरिस से खेलने लगा. माँ ज़ोर-ज़ोर से आहें भरने लगी और अपना काम-रस छोड़ने लगी. मैं माँ के काम-रस की नशे में इतना डूब चुका था की मुझे अब माँ की आहें भी सुनाई नहीं दे रही थी. मुझे होश आया जब उसके काम-रस की गंगा में बाढ़ आयी. माँ को चरमसुख प्राप्त हो चुका था. मेरे पूरे चेहरे पर माँ का काम-रस उसी का प्रमाण दे रहा था. मैं सर उठा कर माँ को देख रहा था. माँ ज़ोर-ज़ोर से साँसे ले रही थी और उसी के साथ माँ के पहाड़ जैसे दो बड़े-बड़े स्तन भी ऊपर-नीचे हो रहे थे.
उनके दोनों निप्पल्स एक-दम टाइट हो चुके थे और उन निप्पल्स के चारो तरफ ब्राउन सर्किल माँ के दोनों स्टैनो की खूबसूरती बढ़ा रहे थे.
माँ: क्या देख रहा है?
मैं: आपके मम्मे बहुत बड़े है.
माँ: बचपन में इन मम्मो से बहुत खेलता था तू.
माँ: मैं तो अभी भी खेलना चाहता हूँ आप ही तो खेलने नहीं देती.
माँ: बचपन में खेलने से ये हाल है. अब अगर इस उम्र में भी खेलने दूँगी तो मैं इन मम्मो के बोझ तले ही मर जाउंगी.
मैं: आप चिंता क्यों करते हो मैं हूं ना. हमेशा आपके दोनों मम्मो को अपने दोनों हाथो से नीचे से सपोर्ट दूंगा. आपको उनका वेट फील ही नहीं होगा.
माँ: कमीना कही का! इधर आ तेरा चेहरा साफ़ कर देती हु.
मैं मम्मी की पास गया माँ ने अपनी सारी के अंचल से मेरा चेहरा साफ़ कर दिया .
माँ: फेसिअल के बाद तो तेरा चेहरा ग्लो करने लगा. अपनी माँ का काम-रस सूट कर गया तुझे लगता है.
मैं: जब बेटा छोटा था तो उसे माँ का दूध सूट होता था. अब बेटा बड़ा हो गया है तो उसे माँ का काम-रस कैसे सूट नहीं करेगा?
माँ हसने लगी.
माँ: तो मेरे बेटे को मेरे काम-रस का टेस्ट कैसा लगा?
मैं: मैंने कभी अमृत नहीं पी है पर मैं स्योर हूं की अमृत भी आपके काम-रस के आगे फीका पड़ जायेगा.
माँ: माँ का काम-रस बेटे के लिए अमृत ही होता है.
मैं: अब से मुझे रोज़ अमृत पीना है.
माँ: हां तो मैंने अपनी चूत में ताला थोड़ी न दे रखा है.
मैं समझ गया अब वो दिन दूर नहीं था जब मेरा मादरचोद बनने का सपना सच होगा.
मैं: आपकी चूत को तो मैंने शांत कर दिया. पर मेरे लंड का क्या होगा?
माँ: इतना सारा रस निकाल कर भी तेरा लंड शांत नहीं हुआ?
मैं: आप खुद हाय देख लो!
ये बोल कर मैं अपने घुटनो के बल खड़ा हो गया और मेरा लंड माँ के मुँह के सामने खड़ा हो कर सलामी देने लगा.
माँ: हम्म तब तो इसका कुछ करना पड़ेगा. वैसे बहुत टेस्टी दिख रहा है.
मैं: तो फिर इंतज़ार किस बात का?
माँ: देख ले इतना मस्त लंड है तेरा की मन कर रहा है खा जाऊ.
मैं: तो खाओ न आपके अपने बेटे का लंड है. आपका पूरा हक़ है खाने का.
माँ: तो फिर लेट जा बिस्तर पे.
मैं बिस्तर पे लेट गया और माँ मेरे पैरों के बीच बैठ के एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर कैप को चाटने लगी. वो दुसरे हाथ से मेरे अंडकोष की थैली को मसलने लगी. मुझे दर्द और सुख एक साथ महसूस होने लगा.
माँ: यकीन नहीं होता की तू अपने बाप का ही बेटा है. तेरा पापा का लंड तो तेरे आस-पास भी नहीं आता.
मैं: वो तो आपको ही मालूम होगा की मैं अपने बाप का ही बेटा हूं की नहीं.
माँ: कमीना! शर्म नहीं आता अपनी माँ के बारे में ऐसा बोलते हुए?
ये बोल कर माँ ने मेरा अंडकोष ज़ोर से दबोच लिया और मैं चीख उठा.
मैं: आअह्ह्ह माँ दर्द हो रहा है! मैं तो बस मज़ाक कर रहा था. वैसे अगर पापा आपको बिस्तर पर सुख दे पाते तो मुझे ये दिन नसीब नहीं होता. तो देखा जाये तो अच्छा ही है.
माँ: पति कितना भी सुख दे दे औरत की नज़र अपनी बेटे के लंड पे आ ही जाती है. यही संसार का नियम है.
मैं: आप दुनिया की बेस्ट माँ हो.
माँ: अब तो मैं अपनी बेटे को निराश नहीं कर सकती.
Sagi Maa ke sath chudai ki kahani hindi me
माँ मेरे पूरे लंड को जीभ से चाटने लगी मानो वो मेरे लंड को लुब्रिकेट कर रही थी मुँह चोदने के लिए. मेरा पूरा लंड उनकी लार से गीला हो चुका था. फिर उन्होंने जो किया वो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था. उन्होंने मेरे लंड के कैप पर अपने होंठो से दबा कर धीरे-धीरे मेरा पूरा लंड उनके मुँह में डाल लिया. ऐसा लग रहा था जैसे मैं अपनी माँ के वर्जिन मुँह के छेद को धीरे-धीरे बड़ा करते हुए उनकी गले तक चोद रहा था. मैं सुख से आहें भरने लगा. पूरे रूम में मेरी आहें और माँ के चूसने की आवाज़े गूँज रही थी. मेरी माँ मुझे एक एक्सपेरिएंस्ड रंडी की तरह डीप थ्रोट दे रही थी. मुझे बहुत माँ आ रहा था.
मैं: आह्हः उम्म माँ ऐसे ही चूसती रहो. बहुत मज़ा आ रहा है. लगता है आपको काफी एक्सपीरियंस है ओरल सेक्स का.
मैं माँ की सर पकड़ कर नीचे से उनका मुँह चोदने लगा. अब मैं झड़ने वाला था. तो मैं बिना रुके ज़ोर-ज़ोर से माँ का मुँह चोदने लगा. फिर मैं माँ के मुँह में ही झड गया. मेरे शरीर में और ताकत नहीं बची थी. मैं बिस्तर पर पड़ा रहा. माँ अपने मुँह से मेरा लंड निकाल कर मेरे सामने एक रंडी की तरह मुँह खोल के मुझे अपना रस से भरा मुँह दिखाई और मेरे सामने ही पूरा रस पी गयी. आज तक मुझे कभी इतनी संतुस्ती नहीं मिली थी. मेरा लंड एक-दम लचक के पड़ा था. ऐसा लग रहा था की माँ ने मेरे लंड का सारा रस निचोड़ लिया. फिर माँ आके मेरी साइड पे लेट गयी.
माँ: कैसा लगा?
मैं: आपके ओरल स्किल्स तो ला-जवाब है माँ. आज कल की लड़किया भी ऐसे नहीं चूस सकती.
माँ: ये तो बस एक छोटा सा नमूना था.
मैं: आप को काफी एक्सपेरिएंस्ड है.
माँ: जब मैं कॉलेज में थी रंडी डायन बुलाते थे मुझे सब.
मैं: आप तो एक रंडी निकली. बहुत लड़कों के साथ सोती थी तब तो आप.
माँ: सोती तो थी पर कोई मेरे मुँह के नीचे जा ही नहीं पाता था. मुँह में ही सब की हवा निकल जाती थी.
मैं: इसीलिए तो सुहागरात के बाद पापा आपको कभी बिस्तर का सुख नहीं दे पाए. आपने बेचारे की एक ही रात में सारी हवा निकाल दी.
माँ: तेरी तो हवा नहीं निकलेगी न एक हाय रात में?
मैं: वो वक़्त ही बताएगा आपको की आपने किस रंडी-बाज़ मादरचोद को जनम दिया है.
माँ: मादरचोद अभी बना कहा तू?
मैं: आज नहीं तो कल बन ही जाऊंगा.
हम दोनों हाय हसने लगे.
मैं: एक बात पूछू?
माँ: यही कि तेरे पापा को कभी चीट किया की नहीं?
मैं: हम्म्म.
माँ: कैसे चीट करती? मेरी ज़िन्दगी में तू जो आ गया मेरी गोद भरने.
मैं: आपने मेरे लिए अपना सुख कुर्बान कर दिया? अब देखना मैं आपको कितना सुख दूंगा.
माँ: किसने कहा मैंने अपना सुख कुर्बान कर दिया? मैंने तो अपना पूरा जिस्म लगा दिया एक मादरचोद को बड़ा करने में. मुझे पाता था जब मेरा बेटा बड़ा होगा तब वो मेरे जिस्म की सारी भूख और प्यास मिटा देगा.
मैं: मतलब आप भी चाहते थे की मैं मादरचोद बनु?
माँ: दुनिया की कौन सी माँ नहीं चाहती की उसका बेटा मादरचोद बने?
मैं: बाकियों का तो पाता नहीं पर आप ज़रूर चाहती थी.
माँ मेरे सीने में सर रख के सो गयी.
माँ: एक सीक्रेट जानना चाहेगा?
मैं: क्या?
माँ जब तू बचपन में मेरी गोद में लेट कर मेरा दूध पीटा था तब मैं तेरे चूसने की स्टिमुलेशन से इतनी हॉर्नी हो जाती थी की तुझे दूध पिलाते-पिलाते ही मेरी चूत से एक-दुसरे किस्म का दूध निकल जाता था.
मैं: हम्म्म मतलब मैं बचपन से ही आपको सुख देता था.
माँ: हम्म्म.
मैं: भगवन ने मुझे आपका बेटा बना कर भेजा ही है आपकी जिस्म की भूख मिटाने?
माँ: और वो काम तू बहुत अच्छे से कर रहा है.
मैं: ऑलवेज हैप्पी टू सर्व यू!.
ये बोल कर हम हसने लगे. हम दोनों ने ही काफी वक़्त के बाद इतना तगड़ा ओर्गास्म एक्सपीरियंस किया था. इसलिए हम दोनों हाय बहुत थक गए थे. तो वैसे ही नंगे एक-दुसरे को लिपट कर सो गए.
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