पार्ट २ में आप सभी ने पढ़ा कैसे मैंने और माँ ने एक-दुसरे को ओर्गास्म दिया और थकान की वजह से सो गया. अगर आपने पिछले पार्ट नहीं पढ़ा है तो ज़रूर पढ़े. अब आगे:-
माँ के साथ अनंत सुख की दुनिया भाग -2
पूरे दिन की मेहनत से थकान और फिर लाजवाब ओर्गास्म की वजह से मैं और माँ दोनों एक-दुसरे को लिपट के सो गए. हम दोनों ही बहुत गहरी नींद में सो रहे थे. अचानक माँ की आवाज़ से मेरी नींद खुली.
माँ: रोहन जल्दी उठ बेटा।
मैं: माँ सोने दो न थोड़ा और.
माँ: बाद में सो लेना अभी उठ जा.
मैं: नहीं अभी सोने दो आप भी आ जाओ मेरे साथ.
माँ: जल्दी उठ वरना बहुत बड़ी मुसीबत में पड़ जायेंगे हम.
मैं: क्यों क्या हुआ?
माँ: तेरे पापा दरवाज़े पर खड़े है. जल्दी उठ और अपने रूम में जा.
मैं तुरंत एक झटके में बिस्तर से उठ गया और अपने रूम की तरफ भागने लगा.
माँ: अपने कपडे तो लेके जा.
मैंने जल्दी से अपने कपडे उठा लिए और एक झलक माँ की तरफ देखा. वो अपनी सारी ठीक कर रही थी. मैं अपने कपडे लेके अपने रूम में आ गया और दूर के पास खड़ा हो कर माँ पापा की बातें सुनने लगा.
माँ: आयी बाबा आयी अब क्या बेल तोडना है?
माँ ने डोर ओपन किया.
पापा: इतनी देर कर दी कब से बेल बजा रहा हूं मैं?
माँ: हां थोड़ी सी आँख लग गयी थी.
पापा: जल्दी से एक कप चाय बना दो सर फटा जा रहा है.
माँ: आप फ्रेश हो कर आओ पहले.
फिर पापा फ्रेश होने चले गए. मैंने पापा के बाहर आने का इंतज़ार किया. जब पापा लिविंग रूम में आके बैठ के चाय पीने लगे मैं नीचे गया. पापा न्यूज़ देख रहे थे. माँ भी वही सोफे पर बैठ के चाय पी रही थी.
मैं: ये क्या अकेले-अकेले चाय पी रहे हो आप लोग?
पापा: तू अभी तक सो रहा था क्या? ट्यूशन नहीं गया?
माँ: हां आज बहुत मेहनत किया है. उससे तो थकान भी बहुत हुई है. मैं सोची आज ट्यूशन रहने देते है. इसलिए उठाया नहीं.
मैं: हां लेकिन आज मेहनत करने में मज़ा बहुत आया.
माँ खांसने लगी.
पापा: अगर अभी से ही स्टडी में इतनी ढील दिए तो कैसे चलेगा? और फिर दुर्गा पूजा भी आ रही है.
मैं: माँ देखो आपने मुझसे इतना काम करवाया और पापा मुझे डांट रहे है.
पापा: डांट कहा रहा हु?
माँ: आप दोनों शुरू मत हो. आज एक दिन छुट्टी देते है बेचारे को. बहुत काम किया है उसने.
पापा: तुमने ही बिगाड़ रखा है इसको लाड प्यार से.
माँ: मेरा बेटा है मैं लाड प्यार नहीं करुँगी तो कौन करेगा?
रोहन: तो फिर अपने बेटे के लिए प्यार से एक कप चाय तो रख देते आप.
माँ: फ्लक्स में रखा है लेके आ.
मैं किचन से चाय ले आया और माँ के पास बैठ गया. मेरे दिमाग में शरारत करने का आईडिया आया. हम इधर-उधर की बातें कर रहे थे और मैं धीरे-धीरे अपने हाथ माँ की गांड तक ले गया और दबाने लगा. पापा का ध्यान टीवी पर था तो उन्हें कुछ पता नहीं चला. माँ मुझे गुस्से से देखने लगी. पर मेरा रुकने का कोई इरादा नहीं था. फिर मैं धीरे-धीरे अपना हाथ माँ की कमर पे ले गया और उनके कमर को सहलाने लगा. माँ अपने होंठ काट रही थी शायद माँ भी उत्तेजित हो गयी थी. ये देख कर मैं बेकाबू हो गया और ज़ोर से माँ की कमर दबा दी. माँ चीख उठी. मैंने डर कर अपनी हाथ हटा लिया.
पापा: क्या हुआ?
माँ: कुछ नहीं कमर पर एक मच्छर काट दिया. तुम लोग बैठे रहो मैं डिनर का इंतज़ाम करती हु.
ये बोल कर माँ किचन में चली गयी. असल में माँ मुझसे दूर भागना चाहती थी. न्यूज़ में मुझे कोई इंटरेस्ट नहीं था तो मैंने पापा से स्पोर्ट्स चैनल लगाने को कहा. पापा ने स्पोर्ट्स चैनल लगा दिया और हम क्रिकेट हाइलाइट्स देखने लगे. कुछ देर बाद माँ ने किचन से आवाज़ लगायी.
माँ: रोहन ज़रा इधर आ.
पापा: देख तेरी माँ क्यों बुला रही है.
मैंने किचन में जाके माँ को पीछे से कस के हग किया. मेरा हाथ माँ के पेट पे था.
माँ: क्या कर रहा है तेरे पापा घर पे है पकडे जायेंगे!
मैं: इसमें पकडे जाने की क्या बात है? मैं अपनी माँ को थोड़ा प्यार भी नहीं कर सकता क्या?
माँ: प्यार बाद में करना पहले तू दुकान जा कुछ सामान खरीद ला.
माँ ने फिर एक लिस्ट दे दी. मैं लिस्ट देख कर बोली-
मैं: आप एक चीज़ भूल गए!
माँ: क्या?
मैं: कंडोम्स!
माँ: कमीना कही का वो किस लिए चाहिए?
मैं: आपको प्यार करने के लिए.
माँ ने मेरे कान पकड़ कर अपने पास खींचा और धीरे-धीरे मेरे कान में बोली-
माँ: काम शास्त्र की अनुसार माँ को प्यार करते वक़्त कंडोम यूस करने से पाप लगाता है.
मैं: तो फिर मैं बिना कंडोम के प्यार करूँगा?
माँ: पहले तू दुकान जा वरना आज डिनर नहीं मिलेगा.
मैं: आप मेरा कान तो छोडो पहले.
माँ से कान छुड़वा कर मैं दुकान गया और सामान ले आया और माँ को दिया.
माँ: तेरा पापा लिविंग रूम में है?
मैं: नहीं शायद बैडरूम में है क्यों?
माँ: इधर आ.
मैं माँ के पास गया तो माँ अचानक मेरी गर्दन पकड़ कर मुझे किश करने लगी. किश ज़्यादा लम्बी नहीं थी. हमने जल्दी हाय किश तोड़ दी.
मैं: ये क्या था?
माँ: तेरा रिवॉर्ड (माँ मुझे आँख मरते हुए बोली).
मैं: यू आर दा बेस्ट माँ.
माँ: चल अब जा मुझे काम करने दे.
मैं: कम ही तो करवाना है आपको!
माँ: तू जाता है या नहीं?
मै अपनी रूम में आ गया. करीब 9 बजे माँ डिनर करने बुलाई. मैं नीचे गया. पापा वही बैठे बैठे थे. मैंने माँ की हेल्प की किचन से खाना लाने में. फिर हम सब बैठ गए डिनर करने. माँ मेरे बिलकुल अपोजिट पे बैठी थी और पापा एक और साइड पे बैठे थे. हम तीनो टेबल की तीन साइड पे बैठे थे. हम डिनर कर रहे थे.तभी अचानक मुझे अपनी पैंट के ऊपर कुछ महसूस हुआ. माँ अपनी पैर से मेरे लंड को पैंट के ऊपर से सहला रही थी. मैंने माँ की तरफ देखा तो उन्होंने मुझे एक नॉटी स्माइल दी. मुझे मज़ा और सजा एक साथ मिल रहा था. कैसे भी करके मैं खाना ख़तम करके किचन में चला गया अपनी प्लेट रखने. माँ भी मेरे पीछे आयी और प्लेट धोने लगी. मैं माँ की हेल्प करने लगा. पापा भी अपनी प्लेट रख के रूम में चले गए. मैं एक्ससिटेड हो रहा था. प्लेट धोने के बाद मैं भी अपने रूम में जाने ही वाला था.
मैं: मैं जाता हूं फिर.
माँ: हां तू जा मैं बाकी का संभल लूंगी.
मैं किचन से निकलने ही वाला था की माँ बोली-
माँ: अच्छा सुन आज रात अपने रूम का दूर खुला रखना.
ये सुन कर मेरी हार्टबीट बहुत तेज़ हो गयी. मैं अपने रूम में चला आया और बिस्तर पर लेट गया.
मैं: ओह गोड लगाता है आज मेरा सपना सच होने वाला है फाइनली!
अब मैं बहुत खुश था मुझसे इंतज़ार नहीं हो रहा था. आप लोग समझ सकते हो उस वक़्त मेरा हाल कैसा था. मैं बेचैन हो रहा था तो टाइम पास के लिए एक मूवी देखने लगा. पर मेरा पूरा ध्यान था की कब माँ मेरे रूम में आएगी. मुझसे रहा नहीं जा रहा था. मेरा पूरा बदन पसीने से भीग रहा था. मैं रूम की सारी लाइट्स ऑफ करके सिर्फ एक नाईट लैंप जला कर बिस्तर पर लेटा था और मूवी देख रहा था. पर मैं मूवी में फोकस नहीं कर पा रहा था. तो फ़ोन रख कर ऐसे ही लेटा रहा. रात को क्या-क्या होगा ये सोच के मैं हॉर्नी होने लगा. एक-एक पल एक साल जितना लम्बा महसूस हो रहा था. लिविंग रूम की वाल क्लॉक में 12 बजने की घंटी बजी.
थोड़ी हाय देर में मुझे सीढ़ियों पर पैरों की आवाज़ सुनाई दी. मैं इतना एक्ससिटेड था की मेरे सारे सेंसेस बहुत शार्प हो चुके थे. फिर धीरे से दरवाज़ा खुला और माँ अंदर आयी. नाईट लैंप की धीमी रौशनी में मुझे दिखा उन्होंने अपनी नाईट ड्रेस पहनी हुई थी. वो बहुत सेक्सी लग रही थी. फिर मुझे हैरान करते हुए उन्होंने अपनी पुल्ल ओवर वही उतार फेंकी. माँ अंदर कुछ नहीं पहनी थी. धीमी रौशनी मे माँ के नंगे जिस्म को सम्मोहक बना रही थी. मैं उनके जिस्म को देख कर हिप्नोंटाइज़ हो रहा था. लग रहा था मैं धीरे-धीरे उनके जिस्म में डूबता जा रहा हूँ माँ धीरे-धीरे बिस्तर के पास आयी.
माँ: तुम्हे ज़्यादा वेट तो नहीं करनी पड़ी?
मैं: आपके लिए तो पूरी ज़िन्दगी इंतज़ार कर सकता हूं माँ.
माँ धीरे से बिस्तर पर उठ कर मेरे पैरों के बीच बैठ गयी. मैंने अंडरवियर नहीं पहना था तो मेरी पैंट में तम्बू बन चुका था. माँ ने पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को चूमा.
माँ: लगाता है मेरा बेटा कुछ ज़्यादा ही बेचैन हो गया है अपनी माँ के लिए.
ये बोल कर माँ ने एक ही झटके में मेरी पैंट उतार दी. फिर उन्होंने धीरे से मेरे लंड को चूमा और फिर मेरे पेट पे. उसके बाद मेरी चेस्ट पर फिर गले पर और फिर मेरे होंठो पर. फिर माँ मेरे ऊपर बैठ गयी और मेरा लंड पर अपनी चूत रगड़ने लगी. उनकी चूत की गर्मी मुझे बाहर से ही फील हो रही थी. उनकी चूत पूरी तरह से गीली थी. लग रहा था जैसे माँ की चूत मुझे अपने अंदर बुला रही थी. फिर अचानक माँ ने मेरे दोनों हाथ एक साथ बेड से बाँध दिए. माँ पूरी तरह डोमिनेटिव मूड में थी. तो क्या मैं फाइनली मदरचोद बन पाया? जानने के लिए नेक्स्ट पार्ट का इंतज़ार कीजिये और कमेंट में अपनी फीडबैक ज़रूर दीजिये.
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