कहानी शुरू करने से पहले आप सभी से सॉरी कहना चाहता हूं क्यूंकि सीरीज के पार्ट 4 में इतना वक़्त लग गया. मेरा एक एक्सीडेंट में राइट आर्म फ्रैक्चर हो गया था तो मैं लिख नहीं पाया. पार्ट 3 में आपने पढ़ा था कैसे मैं और माँ पकडे जाते-जाते बचे. फिर रात को माँ मेरे कमरे में आयी और अपनी नाईट ड्रेस उतार के मेरे बिस्तर पर चढ़ गयी. अगर नहीं पढ़ा है तो पहले वो ज़रूर पढ़े. अब आगे पढ़िए-
माँ के साथ अनंत सुख की दुनिया भाग -3
माँ ने एक ही झटके में मेरी पैंट उतार दी. फिर उन्होंने धीरे से मेरे लंड को चूमा और फिर मेरे पेट को चूमा. उसके बाद मेरी चेस्ट पर फिर गले पर और फिर मेरे होंठो पर. फिर माँ मेरे ऊपर बैठ गयी और मेरे लंड पर अपनी चूत रगड़ने लगी. उनकी चूत की गर्मी मुझे बाहर से ही फील हो रही थी. उनकी चूत पूरी तरह से गीली थी. लग रहा था जैसे माँ की चूत मुझे अपनी अंदर बुला रही थी. फिर अचानक माँ ने मेरे दोनों हाथ एक साथ बेड से बाँध दिए. माँ पूरी तरह डोमिनटिव मूड में थी. फिर माँ मुझे बहुत ही पैशनेटली किश करने लगी और मेरे होंठो को हल्का-हल्का काटने लगी. साथ हाय वो अपनी गरम और गीली चूत मेरे रॉक हार्ड लंड पे रब किये जा रही थी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. लग रहा था की बस रबिंग एंड किसिंग से ही मेरा रस निकाल जायेगा.
माँ फिर किश तोड़ कर उठ कर बैठती है और अपनी ऊँगली में मेरा प्रीकम लेके चूसने लगी. क्या नज़ारा था.
माँ: ऐसे क्या घूर रहा है?
मैं: बस आपके इस रंडी रूप से मोहित हो गया हु.
माँ: तूने अभी मेरा रंडी रूप ठीक से देखा ही कहा है?
मैं: आपका रंडी रूप ही तो देखना चाहता हूं दिखाओ न.
माँ: अपनी माँ का रंडी रूप झेल पायेगा न?
मैं: हर बेटा अपनी ज़िन्दगी में कम से कम एक बार तो अपनी माँ के रंडी रूप दर्शन चाहता है. पर मैं तो हर रोज़ आपके रंडी रूप की दर्शन चाहता हु.
माँ: क्यों माँ के नंगी जिस्म के दर्शन मिले वो भी इतनी पास से. फिर भी मन नहीं भरा? या फिर छुप-छुप के मुझे इतनी बार नंगी देख चुका है की अब मेरा नंगी जिस्म तुझे बोर करता है.
मैं: माँ का नंगी जिस्म कभी भी बेटे को बोर नहीं करता. पर आपका रंडी रूप आपके इस खूबसूरत जिस्म की ख़ूबसूरती और भी बढ़ाएगा.
माँ: अपनी बातों से औरत का दिल जीतने की कला में तू माहिर है.
मैं: अब अपनी माँ का जिस्म भोग करने की खवाहिश रखता हूं तो इतनी सी कला तो आनी चाहिए.
माँ: पर आज रात मैं तेरे इस जिस्म को भोग करने वाली हु.
मैं: ये तो मेरी खुस-किस्मती है की मैं अपने जिस्म से अपनी माँ को सुख दे सकता हु.
माँ: सिर्फ सुख नहीं बेटा तेरा ये लंड से तो मुझे चरमसुख दे सकता है.
मैं: तो फिर इतना तड़पा क्यों रही हो? जल्दी से मेरा लंड अपनी चूत में डालो और उसका आनंद लो और मुझे भी आपकी चूत के मज़े लेने दो.
माँ: इतनी जल्दी क्या है? अभी तो पूरी रात पड़ी है चूत में लंड लेने के लिए.
ये बोल कर माँ मेरे पैरों के बीच बैठ गयी और एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर दुसरे हाथ से मेरे अंडकोष की थैली पकड़ कर सहलाने लगी.
माँ: हम्म्म तेरा लंड तो एक-दम रॉक हार्ड हो गया है! देख कैसे प्रीकम लीक कर रहा है. देख कर ही मेरे मुँह में पानी आ रहा है.
ये बोल कर उन्होंने मेरे लंड पे एक किश किया और अपनी जीभ से मेरा प्रेकम चाट लिया. उसके बाद वो पूरे लंड को अपनी जीभ से अच्छे से चाटने लगी.
माँ: एक बात तो है तेरे लंड का सेंट बहुत ही स्ट्रांग है. मुझे पूरा मदहोश कर रहा है! तेरे पापा के लंड से खेलते वक़्त कभी ये फीलिंग नहीं आयी.
मैं: ये तो बस आपकी की ख़ूबसूरती की कमाल है माँ.
माँ फिरसे मेरा लंड चाटने लगी. थोड़ी देर चाटने के बाद उन्होंने मेरे लंड पे ढेर सारा थूका और दोनों हाथो से अच्छे से उस थूक को पूरे लंड पे मसलने लगी. कुछ देर मेरा लंड मसलने के बाद धीरे-धीरे वो उसको चूसने लगी.
मेरा प्रीकम और माँ की सलीवा की मिक्सचर उनके मुँह से निकल रही थी. उन्होंने वो मिक्सचर फिर से मेरे लंड पर थूक दिया और फिर-से दोनों हाथो से अच्छे से रगड़ने लगी. वो मेरे अंडकोष की थैली को अपने मुँह में डाल के चूसने लगी. माँ कभी लंड चूस रही थी तो कभी अंडकोष की थैली. ऐसा लग रहा था जैसे कोई प्रोफेशनल रंडी से लंड चुसवा रहा था.
मैं: उम्म्म माँ बहुत मज़ा आ रहा है. लग रहा है आप मेरे लंड से ही मेरी जान निकाल दोगी. आआअह्ह्ह्ह! मेरा निकलने वाला है माँ. मुझे आपके मुँह में अपना रस निकालना है माँ!
माँ: तो फिर इंतज़ार किस बात का कर रहा है? निकाल दे अपना सारा रस मेरे मुँह में. भर दे मेरा मुँह अपने गाढ़े और गरम रस से.
ये बोल कर माँ ने मेरा पूरा लंड एक हाय बार में मुँह में ले लिया और चोक करने लगी. उस वक़्त मुझे अपनी लंड में जो सेंसेशन फील हो रहा था उसे बयान करने के लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं है. मैं उसी अवस्था में अपनी माँ के मुँह में झड गया. जैसे-जैसे मेरे लंड से गरम काम रस की धरा निकलती जा रही थी. मैं भी चरमसुख के गहरे भंवर में खोया जा रहा था. सुख से मेरी आँखें बंद हो गयी थी. ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लंड से मेरा लाइफ फाॅर्स धीरे-धीरे काम रस के रूप में बहता जा रहा था. मैं अपने होश में आया जब मुझे खांसने की आवाज़ सुनाई दी. आँखें खोल कर मैंने माँ की तरफ देखा. उन्होंने पूरा का पूरा रस पी लिया था.
माँ: उम्म्म मज़ा आया तेरा रस पी कर.
मैं: आपकी ब्लोजॉब स्किल जस्ट आउट ऑफ़ दा वर्ल्ड है.
माँ: थैंक्स फॉर दा कॉम्पलिमेंट.
मैं: आपने तो अपनी प्यास बुझा ली पर मेरा क्या?
माँ: अल्ले लेले बहुत प्यास लगी है मेरे बेटे को! कोई बात नहीं माँ की चूत में बहुत रस है सारी प्यास बुझ जाएगी.
ये बोल कर वो मेरे मुँह के ऊपर आके बैठ गयी और मेरे मुँह पे अपनी रसीली चूत को रगड़ने लगी और सुख से चीखने लगी. ऐसा लग रहा था जैसे माँ अपनी सालों की भड़ास निकाल रही थी. अचानक माँ मेरे बाल पकड़ कर बोली-
माँ: आह्हः तेरे पापा कभी भी चूत नहीं चाटता. आज तू चाट ले बेटा मज़े से चाट अपनी माँ की चूत. उम् बहुत मज़ा आ रहा है.
माँ की चूत बहुत ही गीली थी. मेरा चेहरा उनकी चूत की रस में पूरी तरह से गीला हो गया था. थोड़ी देर ऐसे रगड़ने के बाद माँ रुक गयी और बिलकुल मेरे मुँह के ऊपर शांत होकर बैठी गयी. मैं अपनी जीभ से उनकी चूत चाटने लगा. मैं अपनी जीभ उनकी चूत के अंदर डाल रहा था. माँ ज़ोर-ज़ोर से चीखने लगी थी. उनकी चीखें सुन के मेरा लंड फिरसे खड़ा हो चुका था. माँ अपने दोनों हाथो से मेरे बाल नोचने लगी. अचानक माँ मेरे मुँह से उठ कर मेरे लंड के ऊपर बैठ गयी और अपनी हाथ में थूक कर मेरे लंड को गीला करने लगी. मेरे लंड को अच्छे से गीला करने के बाद माँ मेरे लंड को अपनी चूत की सुपाड़े पे सेट करके बोली-
माँ: मदरचोद बनने के लिए रेडी है ना?
तो क्या मैं फाइनली मदरचोद बन पाया? जाननेके लिए नेक्स्ट पार्ट का इंतज़ार कीजिये और कमेंट में अपनी फीडबैक ज़रूर दीजिये.
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