Bhai ke sath chudai ka khel-3:- आपने पिछले पार्ट में पढ़ा कैसे मेरा भाई मेरी और मेरी देवरानी का दीवाना बन रहा था. हम भाई बहन चैट करते-करते बहुत क्लोज हो गए. मैं जब मेरे भाई विजय को बैडरूम के बाहर भेज रही थी तब विजय ने मुझे पकड़ लिया और उसके लिप्स मेरे लिप्स पर रख दिए. मैं तो शॉकड हो गयी. विजय के दोनों हाथ मेरी गांड पर चले गए. मैंने दोनों हाथ उसके गले में डाल दिए और उसको किस में रिस्पांस देने लगी. मैं भूल गयी विजय मेरा सगा भाई है. चूत में लगी आग कोई रिश्ता नहीं देखती. जब दो जिस्म एक-दुसरे की आग बुझाते है तो कोई रिश्ता मायने नहीं रखता. मैं भी अपने सगे भाई के जिस्म से खेल रही थी. उसकी टाइट बॉडी मुझे बहुत मस्त फील दे रही थी. हम दोनों भाई-बहन के जिस्म में जो आग लगी थी वो हमारा भाई-बहन का रिश्ता जला रही थी.
Pichla Part Yaha Padhen – भाई के साथ चुदाई का खेल – 2
Bhai ke sath chudai ka khel-3
मेरा भाई मेरी गांड को दबा रहा था और मैं जोश में उसको लिप्स चूसे जा रही थी. मुझे मेरे भाई की बाहों में अलग ही सुकून मिल रहा था. मेरा भाई बहुत स्ट्रांग था. उसने मुझे एक झटके में गोदी में उठा लिया और बेड पर जाके बैठ गया. मैंने अब तक उसके लिप्स को नहीं छोड़ा था. उसको लगातार पागल की तरह किस कर रही थी. अब मैंने विजय को धक्का दिया और उसको बेड पर लिटा दिया और खड़ी हो कर मैंने बेबीडॉल निकाल दिया. मैं अब सिर्फ पिंक कलर के ब्रा पैंटी में थी. मेरी ब्राउन बॉडी पर वो अलग ही दिख रहा था. मेरे टाइट बूब्स परफेक्ट राउंड शेप में दिख रहे थे.
रीमा: विजय मैं कैसी लग रही हू? तुम्हे मेरा ये लुक कैसा लगा?
विजय: दीदी आप तो कसम से सेक्सी बम लग रही हो. मैंने तो कभी सोचा नहीं था की मेरी बहन इतनी सेक्सी है और उसके साथ ये सब एन्जॉय करने को मिलेगा.
रीमा: सच कहु यार मैंने भी कभी ये सब नहीं सोचा था. तुझे एयरपोर्ट पर देखा तब से तुम पर क्रश आ गया. मैंने तेरे जीजा जी के अलावा किसी से सेक्स नहीं किया. तुम पहले हो जो मुझे ऐसे देख रहे हो.
अब मैंने हाथ आगे किया तो मेरे भाई ने मुझे अपनी और खींच लिया और मेरी पूरी बॉडी पे किस करना स्टार्ट कर दिया. उसका हर एक किस मेरे अंदर की आग को बढ़ावा दे रहा था. उसने मेरे दोनों बूब्स को पकड़ लिया और ब्रा के ऊपर से किस करने लगा. मैं भी उसकी चेस्ट पर किस कर रही थी और उसके निप्पल को चूस रही थी. अब किस करते-करते उसके लंड तक पहुँच गयी. थोंग के ऊपर से मैंने उसके लंड को किस किया और एक सेक्सी स्माइल पास की. मुझे मेरे भाई की आँखों में मेरे लिए बहुत लस्ट दिख रही थी. मैं थोंग को चाटने लगी और एक हाथ अंदर डाल कर लंड बाहर निकाला. भाई का लंड देख कर मेरी आँखों में चमक आ गयी.
रीमा: वाओ भाई क्या लंड है तुम्हारा. कहा छुपा रखा था? अब जब तक तुम यहाँ हो मुझे ये चाहिए.
अब मैंने लंड मुँह में ले लिया और उसको अच्छे से चूसने लगी. मुझे लंड चूसना पसंद नहीं है पर भाई का लंड चूसने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मेरे भाई की सिसकारी निकल रही थी. वो भी अच्छे से एन्जॉय कर रहा था. थोड़ी देर लंड चूसने के बाद भाई उठ गया और मेरी ब्रा और पैंटी निकाल दी. फिर उसने मुझे गोदी में बिठा दिया और मेरे बूब्स चूसने लगा. वो मेरे निप्पल को हल्का काट रहा था जिससे मेरी आहें निकल रही थी. अब उसने मुझे लिटा दिया और मेरी पूरी बॉडी पे किस करने लगा. मैं तो किसी और दुनिया में खो चुकी थी. मैं मेरे भाई के साथ फिजिकल रिलेशन बना रही थी ये सोच कर मेरी चूत पानी छोड़ रही थी. अब मेरा भाई मेरी चूत के पास आ कर मेरी चिकनी चूत पर हाथ घुमाता है. मेरे से अब रहा नहीं जा रहा था.
मैंने बोल दिया: प्लीज भाई कुछ करो. मुझे चोद डालो और अपनी बहन की प्यास बुझा दो.
उसने मेरी टाँगे खोल दी और मेरी चूत के पास आ कर बैठ गया. फिर उसने मेरी चूत पर किस किया और मेरी चूत चाटने लगा. ये सब मेरे लिए हैंडल करना बहुत मुश्किल था. मैं ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ ले रही थी. शायद मेरी आवाज़ कमरे के बाहर जा रही थी. मेरी चूत में से बहुत सारा पानी निकला और वो मेरा भाई चाट गया. मैं तो बुरी तरह थक गयी थी. आज जो मज़ा मेरे भाई ने दिया था वो मैं कभी नहीं भूल पायी. अब उसने फिरसे मुझे लंड चुसवाया और चूत पर लंड सेट कर दिया. मेरी चूत बहुत गीली थी तो लंड धीरे से अंदर चला गया. पर मुझे दर्द हो रहा था. मेरे भाई का लंड मेरे हस्बैंड से मोटा और लम्बा था. विजय ने अब आधे लंड से चुदाई चालु की और धीरे-धीरे पूरा लंड चूत में उतार दिया. मेरा दर्द मीठा हो गया.
विजय का हर एक धक्का अब हम भाई-बहन का रिश्ता खत्म कर रहा था. अब हम भाई-बहन तो थे पर एक-दुसरे की हवस मिटने का जरिया भी बन गए थे. भाई-बहन का रिश्ता अब चुदाई में बदल गया था.
रीमा: वाओ विजय तुम बहुत अच्छे से अपनी बहन की चुदाई कर रहे हो. तेरे जीजा से भी अच्छा तू चोद रहा है. मुझे बहुत मज़ा आ रहा है. अब जब तक तू यहाँ है मेरी चुदाई करना.
विजय: हां दीदी आप भी बहुत सेक्सी हो. आपकी चूत बहुत टाइट हे. लगता हे जीजा जी रेगुलर तेरी चुदाई नहीं करते.
रीमा: हां भाई वो यहाँ होते ही कम है. मंथ में 3-4 बार चुदाई मुश्किल से होती है. तूने मेरे अंदर आग जला दी है. अब मुझे रोज़ लंड चाहिए. तूने अपनी बहन के जिस्म की आग को हवा दी है. अब तुझे इसको बुझाना होगा.
विजय: हां दीदी मैं हूं तब तक आपको लंड की कमी नहीं होने दूंगा.
अब विजय ने मुझे घोड़ी बना दिया और ताबड़तोड़ मेरी चुदाई शुरू कर दी. मेरी आवाज़ बहुत तेज़ हो गयी.
मैं “आह आह उम्ममममम हम्म्म मज़ा आ गया और ज़ोर से विजय” ऐसा चिल्ला रही थी.
हम भूल गए थे की घर में मेरी बेटी और मेरी देवरानी रुपाली भी थे. अब विजय का निकलने वाला था. मैंने उसको चूत में ही निकालने को बोला क्यूंकि मुझे उसका स्पर्म मेरी चूत में फील करना था. विजय के गरम स्पर्म ने मेरी चूत की गर्मी को ठंडा कर दिया. विजय अब मुझसे चिपक कर सो गया और मुझे लिप्स किस कर रहा था. मैं भी उसकी बॉडी को किस कर रही थी. मिडनाइट मेरी आँख खुली तो मैंने मेरे भाई को गेस्ट रूम में भेज दिया. नेक्स्ट डे मैं लेट से उठी क्यूंकि मेरी बहुत दिनों के बाद अच्छी चुदाई हुई थी. जब मैं फ्रेश हो कर बाहर आयी मैंने टी-शर्ट और लोवर पहना था. मैंने रुपाली को देखा तो उसको देखती ही रही. उसने बहुत टाइट वाइट कलर का टी-शर्ट पहना था और उसके नीचे उसकी पिंक कलर के ब्रा की स्ट्रैप्स दिख रही थी और नीचे जीन्स का शॉर्ट्स पहना था.
रुपाली की फेयर स्किन पर वो बहुत मस्त लग रहा था. उसके 36 साइज के बूब्स मस्त दिख रहे थे. वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी. और उसकी बातों से लग रहा था की उसको मेरे और मेरे भाई के बीच में रात में क्या हुआ उसकी भनक लग गयी थी.
रुपाली: आप आ गए भाभी? लगता है रात को अच्छी नींद आयी थी. आपका चेहरा खिल गया है. विजय भाई भी अभी तक सो रहे है।
वो मुझे देख कर नॉटी स्माइल पास कर रही थी.
रीमा: अरे ऐसा कुछ नहीं है. बस कल मॉल में गए तो थक गयी थी.
रुपाली: भाभी कल तो मैं भी आपके साथ थी. हमने तो साथ में वो अंडरवियर लिए थे.
मैं डर गयी थी की रुपाली मेरे बारे में क्या सोच रही होगी की मैंने अपने सगे भाई के साथ।
रुपाली प्लीज तुम ये बात किसी को मत बताना.
रुपाली: भाभी मै किसी को नहीं बताउंगी प्रॉमिस. पर आपके रूम से आपकी बहुत मधुर आवाज़ आ रही थी. मैंने सुना है. कल कौन आया था मुझे तो बताओ.
रीमा: मैं कैसे बताऊ यार वो कौन था. तुम मुझे गलत समझ लोगी.
रुपाली: भाभी बिलीव मी. ये बात हम दोनों के बीच रहेगी. हम एक-दुसरे को सपोर्ट करेंगे तो दोनों खुल कर एन्जॉय करेंगे. मैं जानती हू एक औरत को पति का सुख नहीं मिलता तो बाहर एन्जॉय करना पड़ता है. उसने मेरे हाथ पकड़ लिए भाभी में आपके साथ हूं.
रीमा: अरे वो कल रात को मेरे और विजय के बीच हो गया. पता नहीं क्या हुआ मुझे मैंने उसे रूम में बुला लिया और फिर दोनों आउट ऑफ़ कण्ट्रोल हो गए.
रुपाली: ओह नो भाभी आपने विजय भाई से. आई काँट बिलीव.
रीमा: (मैं रोने जैसी हो गयी): रुपाली मुझसे गलती हो गयी. मैंने गलत कर दिया न?
रुपाली: भाभी देखो सगे भाई के साथ करना गलत तो है. पर अब आप दोनों कम्फर्टेबल है तो प्रॉब्लम क्या है? घर की बात घर में रहेगी. सच कहु तो मुझे भी अपने भाई पे क्रश था. तो मुझे तो ये बहुत अडवेंचरउस बात लगती है.
रुपाली की बातों से मैं रिलैक्स हो गयी।
रीमा: थैंक्स रुपाली तुमने मुझे समझा. एक बात पूछू?
रुपाली: हां भाभी बिंदास पूछो. अब तो हम दोनों को एक-दुसरे का सपोर्ट जो करना है तो ही दोनों एन्जॉय करेंगे.
रीमा: क्या तुम्हे विजय पसंद है?
रुपाली (शरमाते हुए): भाभी सच कहु तो हां. वो जब से घर में आये है सोच रही हु मौका मिले तो उनसे चुदवा लू. पर आपने कर दिया.
रीमा: तो अब क्या तुम हमें जॉइन नहीं करोगी?
रुपाली: आपको प्रॉब्लम नहीं है तो मैं तो रेडी हू.
मैंने रुपाली को पूरा प्लान समझा दिया. वो सुन कर बहुत खुश हो गयी.
अब मेरी देवरानी और मेरे भाई के बीच क्या ट्विस्ट आता है आपको नेक्स्ट पार्ट में बताउंगी. आपको स्टोरी अच्छी लगे तो कमेंट करें.
अगला भाग पढ़े:- भाई के साथ चुदाई का खेल – 4
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