पति बाहर ससुर का लंड बहू के अंदर भाग 3

Sasur bahu ki chudai sex story: पिछले पार्ट मे आपने पढ़ा कि कैसे कोमल बहू ने अपने अपने ससुर जी का लंड चूसकर सारा माल पी लिया। लेकिन कोमल अब भी अपने ससुर से चुदना नहीं चाहती थी। शायद उसे अपने पति के साथ चीट नहीं करना था या उसके मन मे कुछ और चल रहा था। उसने अपने ससुर से वादा लिया कि वह अब ऐसा कभी नहीं करेंगे। ससुर ने भी अपनी बहू से वादा किया। अब पढ़िये आगे… अगर आपने पिछला पार्ट नहीं पढ़ा है तो यहाँ पढ़ें==>> पति बाहर ससुर का लंड बहू के अंदर भाग 2

बहु ने चादर के अंदर ही अपनी ब्रा पैंटी पहनी फिर नाइटी पहन कर वाशरूम चली गई.. मैं भी फ्रेश होने चला गया… बाथरूम से लौट कर मैं कमरे घूम रहा था, शेर सिंह सोफे पे बैठा टीवी देख रहा था. मैं भी शेर सिंह के साथ सोफे पे बैठ गया. बहु कमरा साफ़ कर रही थी, वो हॉल में झाड़ू लगाने के बाद टीवी के पास बैठ कर कुछ फोटोज फ्रेम साफ़ करने लगी. बहु ने पीली साड़ी पहन रखी थी और जब वो हमारे ठीक आगे झुक के सफाई कर रही थी तो उसके मोठे मोटे कूल्हे उसकी साड़ी में लिपटे बहुत ही मादक लग रहे थे. उसकी कमर का भाग काफी खुला हुवा था और कमर से लेकर गांड तक उसकी शेप देख शेर सिंह की आँखें बहार आ गयीं. बहु जानबूझ कर अपने कूल्हे हिला रही थे जैसे हम दोनों को आमंत्रित कर रही हो.. शेर सिंह की हालत ख़राब हो रही थी.. और वो बहु की गांड देख अपना लंड सहलाने लगा.

Sasur bahu ki chudai ki sex story

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शेर सिंह – बहु क्या बात है आज तुम बहुत खुश लग रही हो… और बालों में गजरे भी लगाए हैं कोई ख़ास बात?

कोमल – (बहु ने बिना पीछे मुड़े ही जवाब दिया… शायद वो जानती थी के शेर सिंह अपना लंड हिला रहा होगा और वो उसे डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी..) – ख़ास बात तो है लेकिन न तो मेरे पतिदेव को याद है और न ही मेरे ससुर जी को!

मै – क्या ख़ास बात बहु? (मेरा न्यूज़ पेपर पे ध्यान गया क्या आज 14 जुलाई है? ओह मेरी बहु का जन्मदिन? (मैं सोफे से उठ खड़ा हुवा)। बहु भी खड़ी हो गई और बोली..

कोमल – हाँ बाबूजी आप भूल गए..

मैं – बहु मुझे बिलकुल ही याद नहीं रहा मुझे माफ़ कर दो..

(और मैंने आगे बढ़ कर बहु को गले से लगाया.. उसके गाल और होठों पे हलके से किस किया और उसे अपने से चिपका लिया)। बहु भी मुझसे काफी टाइट लिपट गई और अपने भारी बूब्स को मेरे सीने से दबा रही थी साथ ही साथ उसकी मोटी मोटी जाँघे भी मुझे मेरी जांघो से टच हो रही थी.. मैंने फिर उसे कस के गले लगाया और बहु की पीठ, फिर उसकी नंगी कमर और फिर उसके कूल्हे को अपना हाथ से सहलाने लगा.

शेर सिंह – बहु जन्मदिन बहुत बहुत मुबारक हो..

(शेर सिंह ने अपना हाथ आगे बढ़ाया.. तो बहु ने मेरे गले से अपनी बाहें निकाल शेर सिंह के गले में डाल दी.) ऐसा करते हुवे बहु का पल्लू गिर गया और उसकी नाभि दिखने लगी. बहु को इतने पास से बिना पल्लू के देख शेर सिंह का लंड फुंफकार मारने लगा. वो झट से बहु को गले लगा लिया.. इधर बहु भी बेशर्मी से बिना पल्लू के शेर सिंह से लिपट गई. शेर सिंह भी कहाँ पीछे हटने वाला था उसने अपना एक हाथ बहु की पीठ पर रखा और एक हाथ उसकी गांड पे रख अपनी ओर एक झटके से खींच लिया. शेर सिंह बहु के कंधे पे झुके अपनी आँखें बंद किये हुवे था और बहु के गरमाये जिस्म को रगड़ता रहा..

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मैं – बहु आज तुम्हारा जन्मदिन है तो क्यों न हम कहीं घूमने चलें?

कोमल शेर सिंह के बाँहों से निकलती हुई.. नहीं बाबूजी आज शाम को तो मेरे पापा आ रहे हैं. आप तो जानते हो वो मुझे हर बर्थडे पे मिलने आते हैं आज भी वो जरूर आएंगे.

शेर सिंह – तो फिर बहु ऐसा करते हैं तुम यहीं रहो मैं और देसाई जी तुम्हारे लिए केक और गिफ्ट लाते हैं. आखिर मेरी प्यारी बहु का बर्थडे है.

कोमल – ओके अंकल जैसा आप ठीक समझे.

उसके थोड़ी देर बाद मैं और शेर सिंह बाजार चले गए. हमने एक चॉकलेट केक और बहु के लिए कुछ कपडे खरीदे. घर पहुंच कर जब बेल बजाई तो बहु ने काफी देर तक रिस्पांस नहीं किया. कुछ देर बाद बहु ने जब दरवाज़ा खोला तो अंदर का हाल देख कर मेरे पसीने आ गए. बहु ने सिर्फ ब्रा और पेटीकोट पहनी हुई थी..

कोमल – ओह बाबूजी आप… सॉरी मुझे लगा कामवाली है..

बहु की ब्रा बहुत छोटी थी इतनी छोटी के वो केवल उसके निप्पल को ढक पा रही थी और उसके बड़े बड़े बूब्स नीचे से बहार निकले हुवे थे. ब्रा के बीच से एक लेस निकली थी जिसे बहु ने अपने दांतो से दबा रखा था ताकि वो गिर न जाए..

कोमल – बाबूजी आपलोग इतनी जल्दी कैसे आ गए मैं तो अभी नहाने जा रही थी..

मैं – हम ज्यादा दूर नहीं गए बहु बस यहीं पास से ही केक और तुम्हारे लिए कुछ ड्रेस ले आये..

कोमल – वाओ बाबूजी मैं जल्दी से नहा के आती हूँ..

इधर शेर सिंह अपने लंड को बहार निकाल सहलाने लगा..

शेर सिंह – देसाई तेरी बहु कितनी माल है यार.. आज तो तेरी बहु के सामने मुठ मारूँगा कैसे भी.. साली ने मेरे लंड का बुरा हाल कर दिया है. मैं तो रोज ऐसे टाइम पे आऊं ताकि बहु को लगे के कामवाली आयी है और वो दरवाजा खोल दे और मैं उसके नंगे बदन को देख पाऊं.. देसाई बड़ा लकी है तू जो तुझे ऐसे रंडी बहु मिली. Sasur bahu ki chudai sex story

शेर सिंह तेज़ी से मुट्ठ मारने लगा और फिर पास में पड़े केक को खींच बोला..

शेर सिंह – आज मेरी रंडी बहु बर्थडे केक के साथ अपने शेर सिंह अंकल का मलाई भी खायेगी..

ये कहते हुवे शेर सिंह ने अपने लंड का ढेर सारा गाढ़ा पानी केक पे छोड़ दिया.

मैं – (झूठ मूठ का शेर सिंह को डांटते हुवे.. – ये क्या किया तुमने? तुझे शर्म नहीं आती मेरी बहु को अपना माल पिलायेगा..?

शेर सिंह – हाथ जोड रिक्वेस्ट करते हुवे.. प्लीज देसाई मुझे आज मत रोक कई हफ्तों से मैं मौके की तलाश कर रहा हूँ, तू तो जानता है इसीलिए तो मैं तेरे घर भी आया.. प्लीज करने दे मैं तेरा अहसान कभी नहीं भूलूंगा.

मैं – ठीक है लेकिन एक लिमिट में तेरी इन हरकतों का मेरी बहु को पता नहीं चलना चाहिए.

तभी बिस्तर पे पड़े मोबाइल पे कॉल आने लगी..

अरे बहु… देख तो मनीष का कॉल तो नहीं आखिर उसे याद आ ही गया..

कोमल – (एक टॉवल लपेटे बाथरूम से झांकती हुई..) शेर सिंह अंकल प्लीज देखिये ना किसका फ़ोन है मुझे दे दीजिये न प्लीज..

कोमल पूरी नंगी थी उसने कुछ नहीं पहना था सिवाए एक टॉवल के.. जिसके एक सिरे से वो अपने बदन से पानी पोंछ रही थी..

शेर सिंह – बेटा मनीष का ही फ़ोन है.. ये लो!

कोमल – अंकल मेरे हाथ गीले हैं मेरे कान के पास लाइये ना प्लीज..

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बहु उसी हालत में शेर सिंह के सामने बात करने लगी.. बातों बातों में उसका टॉवल एक साइड से गिर गया उसकी लेफ्ट साइड की भरी भरी चूचि बहार निकल आयी. बहु बेशर्मी से शेर सिंह अंकल को अपनी नंगी चूचि दिखाती रही.. शेर सिंह बहु की नंगी चूचि देख अपने होश खो बैठा था और बिना पलक झपकाए वो टकटकी लगा कर बहु की चूचि को घूरता जा रहा था. बहु इस बात से अंजान मनीष से बातें करने लगी.

कोमल – मनीष तुम भी यहाँ होते तो कितना अच्छा होता.. यहाँ सब लोग है ससुर जी, पड़ोस के शेर सिंह अंकल, शाम को पापा भी आ जायेंगे, केवल तुम नहीं हो..

कोमल को बातों-बातों में ध्यान आया के उसकी चूचि बहार निकल आयी है तो उसने तौलिये से ढक लिया और फिर शेर सिंह की तरफ देखा. चालक शेर सिंह पहले ही अपना मुंह घुमा लिया था ताकि बहु को लगे के उसने नोटिस नहीं किया. कुछ देर तक बहु फ़ोन पे बात की और फिर दुबारा बाथरूम मे चली गयी.. शेर सिंह बाथरूम के दरवाजे से अपना लंड सहलाते हुवे मेरे पास आया.

शेर सिंह – देसाई जी देखा आपने? अपनी रंडी बहु की चूचियां?

मैं – नहीं तो.. ये तुम क्या बोल रहे हो?

शेर सिंह – कसम से मैंने बहु की चूचि देखि वो भी पूरी नंगी..

मैं – तुम पागल हो गए हो ऐसा कैसे हो सकता है? बहु ऐसा क्यों करेगी?

शेर सिंह – अरे देसाई जी.. मेरा विश्वास कीजिये जब मैं उसे फ़ोन देने गया तब उसका टॉवल एक साइड से चूत गया था और मुझे उसके गोल-गोल बड़े चूचो के दर्शन हो गये.. कमाल के निप्पल हैं बहु के.. आआअह्ह्ह्हह.. (शेर सिंह अपना लंड मसलते हुवे बहु की चूचियों को याद करता रहा)। Sasur bahu ki chudai sex story

बहु नहा कर बाथरूम से बहार निकली और सीधा अपने कमरे में चली गई। मैं और शेर सिंह बहुत बेसब्री से बहु का इंतज़ार कर रहे थे.

शेर सिंह – बहु…. हम कब से तुम्हारा वेट कर रहे हैं, केक भी रेडी है.. (शेर सिंह ने आँख मार कर मेरी तरफ शरारत किया)।

शेर सिंह – देसाई जी.. देखिये तो मेरे माल से केक कितना चमक रहा है.. बहु को जरूर पसंद आएगा. मेरी मानो तो आप भी अपना माल निकाल दो इसपे.. साली रन्डी को हम दोनों का मलाई खाने दो।

मै – शट अप शेर सिंह.. मुझे ये सब नहीं करना।

शेर सिंह – नहीं करना.. तो क्या अपना माल बहु के बुर में गिराने का इरादा है? या फिर सीधा उसके मुँह में?

मैं मन ही मन मुस्कुराता रहा.. शेर सिंह तुझे क्या मालूम मैंने तो अबतक 2 बार बहु के मुँह में अपने लंड का पानी छोड़ा है.

मैं – चुप करो शेर सिंह बहु ने सुन लिया तो.. अपनी लिमिट में रहो..

शेर सिंह – ओके ओके.. सॉरी तुम्हारी बहु बहुत ही सीधी-साधी और सादगी की मूरत है.

कौन सादगी की मूरत है अंकल??? बहु अचानक से कमरे में आयी..

उसने एक बहुत ही प्यारा सा रेड कलर का सलवार सूट पहन रखा था.. लेकिन उसकी सलवार उसकी मोटी मोटी जांघो को नहीं छिपा पा रही थी और उसके यौवन को और निखार रही थी. बहु हमारे सामने चेयर पे क्रॉस लेग कर बैठ गई. उसके पुरे शरीर में सिर्फ उसकी मोटी-मोटी जांघ नज़र आ रही थी.. ओह्ह.. इतनी मोटी जांघ देख कर तो कोई ऋषि भी मुट्ठ मारने पे मजबूर हो जाए.

शेर सिंह – (घबराहट में..) – तुम बहु.. मैं तुम्हारी ही बात कर रहा था.. तुम कितनी अच्छी लगती हो कितनी प्यारी सुशील और सादगी से भरी.. देखो तुमने आज कितना प्यारा सा सलवार भी पहना है, बिलकुल कॉलेज की स्टूडेंट लग रही हो..

कोमल – ओह अंकल.. मुझे नहीं अच्छा लगता जब कोई मुझे कॉलेज की लड़की समझता है. मैं तो बड़ी दिखना चाहती हूँ. मुझे अच्छा लगता है जब सोसाइटी के बच्चे मुझे भाभी-भाभी कह के बुलाते हैं.

शेर सिंह – अच्छा तो तुम्हे भाभी वर्ड सुनना अच्छा लगता है. फिर तो तुम साड़ी पहना करो एकदम मस्त भाभी दिखोगी. वैसे तुम सलवार सूट में कॉलेज की लड़की ही लगती हो, लेकिन तुम टाइट सलवार में एकदम भाभी ही नज़र आती हो..

(शेर सिंह का इशारा उसकी बड़ी गांड और उसकी मोटी जांघो की तरफ था..)।

कोमल – मैं समझी नहीं अंकल!

शेर सिंह – अरे बेटी.. वो क्या है ना के तुम्हारा चेहरा बहुत मासूम है एक बच्ची की तरह लेकिन तुम्हारी जांघें काफी भारी हैं बिलकुल एक भाभी की तरह..

कोमल – ओह अंकल आप भी समझते हो के मैं मोटी हूँ..? मुझे बहुत बुरा लगता है जब कोई मुझे मोटा कहता है.

शेर सिंह – अरे मैंने कब कहा के तुम मोटी हो.. मैंने तो कहा के तुम भरी भरी हो.. ख़ास कर तुम्हारी जांघें.. बहुत ही अच्छी हैं.. मैंने तुम्हारी कॉलेज के फोटो देखे है.. उसमे तुम बहुत अच्छी लगती हो?

कोमल – कौन सी वाली फोटो अंकल?

शेर सिंह – अरे वही फोटो जिसमे तुम कॉलेज की सीढ़ियों पे ब्राउन कलर का सलवार सूट पहने बैठी हो.. मैं उसे रोज देखता हूँ.

कोमल ने तुरंत अपनी फोटो एल्बम से निकाल कर शेर सिंह को दिखाई..?

कोमल – क्या ये वाली फोटो? आपको बहुत पसंद है..? आप इसे रोज देखते हैं?

शेर सिंह- हाँ बेटी.. तुम इन कपड़ों में बहुत अच्छी लगती हो, मैं रोज रात को देखता हूँ..

कोमल – और देख के क्या करते हैं अंकल……..??

कोमल – बोलिये ना…?? क्या करते हैं??

शेर सिंह – अरे.. वो कुछ नहीं बस देखता हूँ.. (शेर सिंह अचानक इस क्वेश्चन से घबरा गया था..)।

कोमल – बोलिये ना क्या आप फोटो देख सोचते हैं? के काश आपकी भी एक बेटी होती.. आप को एक बेटी की कमी महसूस होती है ना? बेटी होती तो आपका ख्याल रखती आपके लिए खाना बनाती.. है ना?

(कोमल का इशारा पहले फोटो को रात में देख मुट्ठ मारने की तरफ था. लेकिन फिर बाद में उसने बड़ी ही चतुराई से अपनी बात को बदल दिया)।

शेर सिंह – हाँ.. हाँ बहु.. यही, मैं यही सोचता हूँ (शेर सिंह ने रहत के सांस ली)।

मैं अपने मन में सोच रहा था.. साला शेर सिंह अगर मेरी बहु की तरह उसकी बेटी होती तो उसे यहाँ आने की जरुरत ही नहीं पड़ती.. वो अपनी बेटी को नंगा देख मुठ मार रहा होता और कभी मौका मिलने पे अपनी बेटी को चोद भी डालता.

मैं – बहु.. ये केक ख़राब हो रहा है थोड़ा सा तो खा लो मैंने और शेर सिंह ने बड़े प्यार से खरीदा है..

कोमल – बाबूजी.. मुझे खाने का मन तो नहीं है लेकिन आप कहते हैं तो थोड़ा सा किनारे से खा लेती हुँ।

शेर सिंह – नहीं नहीं बहु.. तुम ऐसा करो ऊपर से केक का क्रीम खा लो नहीं वो वो ख़राब हो जायेगा.

कोमल – ओके अंकल.. (और फिर बहु ऊँगली से ऊपर के क्रीम में सने शेर सिंह के माल को चाटने लगी…)।

कोमल – उम् अंकल.. बहुत मज़ा आ रहा है.. आपका क्रीम चाटने में.. बहु आँख बंद कर सेक्सी अंदाज़ में एक रंडी के तरह शेर सिंह का माल चाटने लगी (शायद बहु को पता चल गया था के ये क्रीम नहीं लंड से निकला माल है.. क्योंकि उसे अब तो माल का स्वाद पता चल चुका था.. )।

शेर सिंह – (बहु को अपना माल चाटता देख पागल हो रहा था..) – हाँ बहु.. और चाटो.. मेरा पूरा क्रीम चाट लो बहु…

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(शेर सिंह अपना माल बहु के होठ पर रगडने लगा.. बहुत सारी क्रीम और माल बहु के सलवार सूट पे भी गिर गए.. इधर बहु भी कामुक भंगिमाएं बना कर माल का आनंद ले रही थी। बहु की इस हरकत पे मेरे लंड में जोश आ रहा था.. मेरा मन हुवा के अभी खड़े होकर बहु के मुँह में अपना लंड पेल दूँ.. लेकिन मैं संभल गया. बहु से वादा जो किया था के मेरे और बहु के बीच जो कुछ अनजाने में हुवा उसकी किसी को इसकी भनक नहीं लगने दूंगा..)। बहु सारा क्रीम ख़तम कर चुकी थी, उसकी हालत देख ऐसा लग रहा था जैसे 5-6 लोगों ने उसके मुँह और बदन पे अपना माल गिराया हो.. बहु अपने आप को साफ़ करने के लिए वाशरूम चली गई.. इधर शेर सिंह अपना मुट्ठ मार कर बहुत संतुष्ट हो गया और वो मुझे धन्यवाद बोला. दोपहर का लंच करने के बाद शेर सिंह अपने घर चला गया. अब पुरे घर मे मैं और मेरी बहु अकेले थे. दोपहर को बहु अपने कमरे में थी.. मैं उसे खोजता हुवा उसके कमरे के नज़दीक आया, देखा तो कमरे का दरवाज़ा बंद था.. Sasur bahu ki chudai sex story

मैं – बहु..

कोमल – जी बाबूजी..

मैं – क्या कर रही हो?

कोमल – चेंज कर रही हूँ बाबूजी..

मैं – क्यों कहीं जाना है बहु?

कोमल – (दरवाज़ा खोल कर मेरे सामने आती है…) नहीं बाबूजी.. आपको बोला था न पापा आ रहे हैं इसलिए मैं तैयार हो रही थी. आपके लाये हुवे गिफ्ट में से ही कुछ पहन लूँ..?

बिस्तर पे बहु का टॉप पड़ा हुवा था, बहु एक ब्लैक कलर के ब्रा और पैंटी पहने हुई थी, साथ में उसने पैंटी के ऊपर स्कार्फ़ सा बाँध रखा था, जो उसकी मांसल जांघो को और खूबसूरत बना रहा था.. तभी बहु के मोबाइल पे उसके पापा का फ़ोन आता है.

पापा – बेटा.. कैसी हो?

कोमल – ठीक हूँ पापा आप कैसे हैं?

पापा – मैं ठीक हूँ बहु तुम्हारा जन्मदिन है तो मैं अपना ऑफिस छोड़ तुम्हारे पास आ रहा हूँ तुमसे मिलने, अभी 1 घंटे में पहुंच जाऊंगा.

कोमल – ओके पापा मैं वेट कर रही हूँ आपका. (मैं बिस्तर पे था और बहु मेरे सामने खड़ी हो अपने पापा से बात कर रही थी। एक बेटी को अपने पापा से इस अवस्था में बात करता देख मेरा लंड खड़ा हो गया. )।

कोमल – ओह पापा.. 1 घंटे में आ जायेंगे क्या पहनूँ मैं? उनकी बेटी अच्छी दिखनी चाहिए न…

मैं – बहु.. कुछ भी पहन लो जो भी तुम्हे अच्छा लगे!

कोमल – बाबूजी अगर आप कहें तो मैं जीन्स टॉप पहन लूँ? या फिर साड़ी?

मैं – ठीक है बहु जीन्स टॉप ही पहन लो।

कोमल – आप एक मिनट यहाँ बिस्तर पे बैठिये ना प्लीज कहीं मत जाईये मैं एक जीन्स टॉप पहन के आती हूँ.. बताइये के कैसी है..

(बहु कमरे से से सटे बाथरूम में चेंज करने चली गई, थोड़ी देर में वो एक ग्रीन टॉप और ब्लैक जीन्स पहन के बहार आयी.. टाइट टॉप में बहु की चूचियां कसी हुई और बड़ी दिख रही थी)।

मैं – बहु ये कपडे तुम्हे थोड़ा टाइट आ रहे हैं..

बहु वापस बाथरूम में चली जाती है और मिरर में अपने आप को चारो तरफ से देखती है. बाबू जी प्लीज इधर आईये ना..

मैं – (बाथरूम के दरवाजे के पास पहुंच कर) क्या हुवा बहु?

कोमल – ये टॉप बहुत ज्यादा टाइट है मैंने पहन तो लिया है लेकिन ये अब निकल नहीं रही…

(बहु अपनी टॉप उठाकर निकालने की कोशिश कर रही थी। इस कोशिश में उसकी नाभि मुझे साफ़ नज़र आती है. आज उसकी नाभि ज्यादा सेक्सी लग रही थी, डीप वाइड और स्मूथ… शायद जीन्स के टाइट होने से ऐसा था)।

मैं – बहु.. एक बात कहूं बुरा तो नहीं मानोगी..?

कोमल – नहीं मानूंगी बोलिये..

मैं – बहु अगर तुम ये जीन्स पहन के अपने पापा के सामने गई और पापा ने तुम्हारी ऐसे खुली नाभि देख ली तो सच बोलता हूँ.. तुम्हारी नाभि देख कर उनका माल उनके पैंट में ही निकल जायेगा..

कोमल – छि: बाबूजी.. आप कैसे गन्दी बातें कर रहे हैं! वो मेरे पापा हैं प्लीज..

मैं – ओके बहु सॉरी..नहीं कहूंगा कुछ..

कोमल – ठीक है मैं ये जीन्स टॉप नहीं पहनती, मैं कुछ और ट्राई करती हूँ।

फाइनली बहु ने एक ब्लू जीन्स और ग्रे टीशर्ट डाली और अपने पापा का वेट करती रही.. वेट करते करते न जाने कब उसकी आँख लग गई और वो वहीँ बिस्तर पे सो गई.. मैं भी बहु के पापा का हॉल में इंतज़ार करता रहा। तभी डोर बेल बजी, मैंने दरवाजा खोला तो मेरे समधी जी थे. मैंने उनका स्वागत किया.. उन्होंने पूछा के मेरी बेटी कहाँ है? तो मैंने कहा के वो आपकी राह देखते देखते सो गई अपने कमरे में है. फिर मैं और समधी जी बहु के कमरे की तरफ हो लिए. बहु के कमरे का दरवाज़ा खोला तो अंदर का नज़ारा देख मेरा लंड तमतमा गया. सोते वक़्त बहु का टॉप ऊपर चढ़ गया था, जिससे उसकी चिकनी कमर नज़र आ रही थी और उसकी बड़ी सी गांड मेरी आँखों के सामने थी. बहु की गांड देख ऐसा लग रहा था जैसे वो मुझे और अपने पापा को चोदने के लिए आमंत्रित कर रही हो. समधी जी भी अपनी बेटी के गांड शायद पहली बार देख रहे थे, तभी उनके मुँह से कुछ नहीं निकला और वो अपनी बेटी के भारी भरकम कूल्हे को निहारते रहे. Sasur bahu ki chudai sex story

मैंने धीरे से बहु को आवाज लगाया.. बहु देखो कौन आया है..

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बहु की नींद खुली तो वो बिस्तर पर थोड़ा उचक कर हमारी तरफ देखि, बहु ने उठने से पहले अपनी गांड को हवा में लहराया.. उस वक़्त उसकी गांड पहले से ज्यादा बड़ी और मादक लग रही थी. वो बिस्तर से उठ के आयी और सीधा अपने पापा से लिपट गई. उसके पापा भी अपने आप को रोक नहीं पाए और अपनी हथेली को बहु की गांड पे रख सहला दिया, साथ ही उसकी खुली कमर का भी खूब लुफ्त उठाया. मुझे महसूस हुवा के शायद पापा बेटी के इस मिलन में प्यार कम और सेक्स की भूख ज्यादा थी.. एक बाप अपनी ही बेटी की गांड सहला रहा था, और उसकी बेटी बिना किसी झिझक के टाइट गले लगने के साथ-साथ अपनी गरमाई बुर को पापा की जांघो पे रगड़ रही थी. बहु अपने पापा से ढेर सारी बातें कर रही थी। उनकी बातें तो जैसे ख़तम होने का नाम ही नहीं ले रही थी. मैं बहु और उसके पापा को कमरे में अकेला छोड़, हॉल में बैठकर टीवी देखने लगा. मेरा मन टीवी देखने में बिलकुल नहीं लग रहा था. शेर सिंह ने तो सुबह अपना माल बहु के केक पे निकाल ली थी, लेकिन मैं अभी भी अपने आप को कण्ट्रोल किये बैठा था. सुबह से कई बार बहु की खुली चूचि और जांघों को देख मेरे लंड में तूफ़ान सा मचा हुवा था. मुझे बहुत मन हो रहा था, के बहु मुझसे चुद जाए और अपने गरम होंठो से चूस कर मेरे लंड का पानी निकाल दे.

मैं अपना हाथ अपनी पैंट के अंदर डाल कर लंड को मसल रहा था, के तभी मैंने समधी जी को मेरी तरफ आते देखा. समधी जी की पैंट के अंदर उभार था, जो अपनी बेटी के अधनंगे बदन को देख के हुवा था.. मैं समधी से बोला.

मै – प्यारे लाल जी.. (मेरे समधी जी का नाम..) मिल लिए अपनी बिटिया से? अच्छे से प्यार करिये उसको आपको बहुत मिस करती है. वैसे क्या कर रही है अभी?

प्यारेलाल – हाँ मिस तो मैं भी बहुत करता हूँ उसको.. शादी से पहले वो मुझे छोड़ के कहीं नहीं जाती थी दिन भर मेरे साथ रहती थी और रात में भी मेरे पास सोने की जिद्द करती थे. अभी तो बेटी कपडे चेंज कर रही है.. मैं उसके लिए कुछ बर्थडे गिफ्ट वाले कपडे ले आया उसे ही वो ट्राई कर रही है. और हाँ उसका बर्थडे है तो मैंने आज खाना घर से ही आर्डर कर दिया है..? ठीक किया ना देसाई जी?

मैं – हाँ बिलकुल ठीक किया आपने…

(बहु के कपडे चेंज करने वाली बात सुनकर मैं तुरंत वहां से उठा और समधी जी से छुपते हुवे बहु के कमरे के तरफ हो लिया)। बहु के कमरे का दरवाजा खुला था, मैंने हलके से दरवाजा साइड किया तो देखा बहु अपने कपडे उतार रही थी. रेड पेटीकोट और खुली हुई रेड ब्लाउज में उसके पीठ गोरी चिकनी चमक रही थी। वो अपनी ब्लाउज लगभग उतार चुकी थी और उसकी वाइट ब्रा नज़र आ रही थी. बहु की कमर तक नंगी पीठ देख मुझसे रहा नहीं गया. मैंने बहु को पीछे से पकड़ लिया और उसकी नंगी पीठ और कमर पे किस करने लगा. बहु चौंक गई..

कोमल – बाबूजी ये क्या कर रहे हैं ?

मैं – अपनी माल सी बहु की पीठ चूम रहा हूँ.. करने दे बहु तुम आज बहुत हॉट लग रही हो.

(मैं किस करता हुवा बहु की नाभि को अपने जीभ से चाटने लगा उसके गहरी नाभि के छेद में अपनी पूरी जीभ डाल दी और अपने दांतो से उसके नरम मुलायम पेट को काटने लगा. बहु काँप रही थी और उसकी उँगलियाँ अनायास ही मेरे बालों में आ कर रुक गयी.

कोमल – बाबूजी.. रुक जाईये ना पापा घर पे हैं ये आप क्या कर रहे हैं.

मैं – (मैं साड़ी के ऊपर से बहु की बुर दबाने लगा), अपनी पैंटी उतार दे बहु मुझे अपनी बुर का जूस पी लेने दे.

कोमल – प्लीज बाबूजी ऐसे मत बोलिये!

ससुर बहू की चुदाई सेक्स स्टोरी हिन्दी

(बहु दौड़ के बाथरूम की तरफ भाग गई)मेरी वासना शांत नहीं हुई थी, मैं बहु को चोदने के लिए बेताब था, लेकिन कोई रास्ता ना निकलता देखकर वापस डाइनिंग हॉल में लौट आया. कुछ देर बाद बहु भी डाइनिंग हॉल में खाना ले कर आ गई. हम सब बैठ वहीँ अपना लंच करने लगे. हमेशा की तरह आज भी बहु मेरे बगल में बैठी थी और एक साइड टीवी पे इंडिया पाकिस्तान का मैच आ रहा था. मैं टेबल के नीचे अपना लंड पायजामे से बहार निकाल कर सहलाने लगा, बहु ये सारा नज़ारा अपनी आँखों से देख रही थी. कई बार मैंने बहु का हाथ पकड़ कर अपने लंड पे रखा मगर वो कुछ देर मेरा लंड हिलाने के बाद हटा लेती थी, उससे डर था के कहीं उसके पापा को पता न चल जाए. समधी जी मैच देखने में बिजी थे, मैंने धीरे से अपना हाथ बढ़ा कर बहु की सलवार खोल दी. मेरे हाँथ की थोड़ी सी हरकत पे बहु ने अपना पैर फैला दिया जैसे वो मुझे अपनी चूत का रास्ता बता रही हो. अंदर हाथ डाला तो देखा के बहु की बुर बहुत ज्यादा गीली हो चुकी हैं. मैंने जैसे ही उसकी बुर को हाथ लगाया उसकी बुर से चिपचिपे पानी की धार निकल पड़ी. बहु को मस्ती चढ़ने लगी उसके मुँह से उम्म्म उम् की आवाज़ आ रही थी और वो मज़े लेते हुवे अपने होठ को बार बार जीभ से गिला कर रही थी. समधी जी बहु को ऐसा करता देख बोले … Sasur bahu ki chudai sex story

प्यारे लाल- क्या हुवा बेटी तबियत तो ठीक है?

कोमल – उम्म्म आआह्ह जी पापा ठीक है।

मैंने फिर से बहु का हाथ अपने लंड पे रख दिया इस बार बहु देर तक मेरे लंड की स्किन को ऊपर नीचे कर मुट्ठ मारती रही. मैं भी उसकी बुर में लगातार उँगलियाँ पेल रहा था. बहु एक हाथ ऊपर टेबल पे रखी थे और एक साल्ट की डिबिया से खेल रही थी. खेलते-खेलते डिबिया टेबल के नीचे चली गई.

कोमल – ओह बाबूजी डिबिया नीचे गिर गई. आपकी तरफ चली गई क्या? एक मिनट देखती हूँ.

अगले ही पल बहु चेयर से उतर कर जमीन पे बैठी इससे पहले के मैं कुछ समझ पाता, बहु ने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा उसका स्किन खींच के नीचे किया और मेरे लंड को सीधा अपने मुँह में ले लिया. बहु के गरम – गरम मुँह में अपना लंड जाते ही मुझे तो जैसे जन्नत मिल गई. बहु तेज़ी से मेरा लंड चूस रही थी, मुझे एक पल के लिए यकीन ही नहीं हुवा, बहु बिना किसी डर के एक रंडी की तरह अपने पिता की मौजूदगी में मेरा लंड चूस रही थी. बहु के थूक और लार से मेरा लंड गिला हो गया उसके मुँह की गर्मी पाकर मैं फच्च-फच्च की आवाज़ करते हुए बहु के मुँह में ही स्खलित हो गया. बहु मेरा सारा वीर्य पी गई और वापस आ कर चेयर पे बैठ गई। दूसरी ओर समधी जी इस बात से अनजान मैच में ध्यान लगाए बैठे थे. बहु के मुँह में वीर्य गिरा कर मुझे बहुत संतुष्टि मिली. बहु टेबल पे पड़े टिश्यू उठा कर अपना मुँह साफ़ करने लगी. लंच करने के बाद बहु अपने कमरे में जा चुकी थी। मैं और समधी जी वहीँ मैच देख रहे थे.

समधी जी को हॉल में अकेला छोड़ मैं बहु के पीछे-पीछे उसके कमरे तक आ गया. बहु कमरे में लेटी थी, उसकी कुर्ती एक तरफ से उठी हुई थी। उसकी मांसल गांड और जांघ देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा. मैं चुपके से बहु के करीब लेट गया और अपना हाथ आगे बढ़ा बहु की चूचि दबाने लगा.

कोमल – आह बाबू जी ये क्या कर रहे हैं? आप मेरे कमरे में?

मैं – तुम बहुत सेक्सी हो बहु तुम्हारे बूब्स कितने सॉफ्ट हैं.

कोमल – बाबूजी.. पापा हैं घर में, आप प्लीज जाइये यहाँ से.

मैं – (एक हाथ से बहु की सलवार खोल उसकी नंगी जाँघों को सहलाने लगा) नहीं बहु समधी जी तो मैच देख रहे हैं।

कोमल – प्लीज बाबूजी आप बहुत एक्साइटेड थे, इसलिए मैंने लंच टेबल पे आपका लंड मुँह में लेकर आपका पानी निकाल दिया था ताकि आप सेटीसफ़ाई हो जाएँ और मुझे तंग ना करें.

मैंने एक झटके में उसकी ब्रा उतार कर बेड के नीचे फेंक दी, उसकी नंगी बड़ी-बड़ी चूचियों को अपने हाथ से मसल कर बोला…

मैं – झूठ मत बोलो बहु लंच टेबल पे मैंने जब तुम्हारी सलवार खोल अंदर हाथ डाला था तो तुम्हारी चूत पहले से ही गीली थी..

कोमल मेरी बात सुनकर शर्मा गई.. कोमल – बाबू जी वो तो… ऐसे ही….

मैं – ऐसे ही कैसे गीली थी बहु?? कहीं अपने पापा से लिपटने से गीली तो नहीं हो गई थी? (मैं बहु की पैंटी उतार उसकी बुर को कस कर दबा के बोला)।

कोमल – आआआआआआहहहहहहहहहह…. छी: बाबूजी कैसी बात कर रहे हैं! वो मेरे पापा हैं.

मैं – तो क्या हुवा उनका भी लंड तो अपनी बेटी की बुर के लिए तरसता होगा… (मैंने बहु की बुर में अपनी ऊँगली डाल दी.. )।

मैं – देख बहु अभी भी तेरी बुर पनियाई हुई है।

कोमल – ओह बाबू जी छोड़िये ना… (बहु के होठ और शरीर की जुबान दो अलग अलग इशारे कर रहे थे..)

एक तरफ बहु मुझे मना कर रही थी और दूसरी तरफ वो अपनी बुर को फैला, मेरे उँगलियों को अंदर रास्ता दे रही थी.. मस्ती में उसकी आँखें बंद हो जा रही थी. मैंने अपने सारे कपडे उतार दिए. बहु को भी अब तक पूरा नंगा कर चुका था. उसकी नंगी चूचियों को चाटते हुए, मैं कमर तक नीचे उसकी नाभि पे जाकर रुक गया.

कोमल- ओह बाबूजी ये आप क्या कर रहे हैं.. बहु ने मेरे बाल पकड़ लिए और अपनी जाँघे खोल मुझे नीचे की ओर – करने लगी..)।

मुझे उसकी इस हरकत से समझ आ गया के बहु मुझे अपनी बुर पिलाना चाहती है मगर मैं जानबूझ कर अपने जीभ को उसकी नाभि पे फेरता रहा. बहु धीरे धीरे मदहोश हो रही थी.. उसकी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी।

कोमल – आह बाबूजी.. जाइये नीचे जाइये ना.. (बहु ने एक बार फिर मुझे नीचे की ओर – किया)

कोमल – बाबूजी.. आआआआआआहहहहहहहह प्लीजज़्ज़ज़्ज़ज़्ज़ज़.. आआह मेरी बुर चाटिये ना..

मैं – क्या बहु..?

कोमल – मेरी बुर चाटिये ना..

मैं – नहीं बहु तुम्हारे पापा आ गए तो.. (मैं बहु को और तड़पाना चाहता था..)।

कोमल – नहीं आएंगे.. (बहु अपना बुर ऊपर उचका के बोली)।

मैं – पहले बता बहु जब उन्होंने तुम्हे गले लगाया, तब उनका लंड तुम्हारी बुर को छुवा था ना?? और तभी तुम गीली हो गई थी?

कोमल – ओह बाबूजी.. मुझे नहीं पता..

मैं – (बहु को और तड़पाते हुवे..) बताओ मुझे सच है ना?

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कोमल – हाँ बाबूजी सच है अब चाटिये ना.. मैंने बिना देरी किये अपना मुँह बहु की गरम गीली बुर पे रख दिया.. बहु की बुर पे हलके हलके बाल थे, जो उसकी बुर के बहते चिपचिपे पानी से सन चुके थे. उसकी बुर मे से अजीब सी स्मेल आ रही थी.. जो मुझे और पागल कर रही थी. मैं अपनी जीभ निकाल बहु की चूत चाटने लगा.. Sasur bahu ki chudai sex story

कोमल – आआआआआआआआआआहहहहहहहहहहहह… उममममममममममम!!!! बाबू जी… ओह्ह्ह्हह्हह और चाटिए…………

मै – बहु…. तुम्हारी बुर कितनी अच्छी स्मेल कर रही है.. उम्मम्मम्म काश तुम्हारे पापा भी तुम्हारी बुर चाट पाते..

कोमल – छी बाबूजी.. चुप राहिए!

मैं – अरे बहु गन्दी बातें करने से सेक्स मे और मज़ा आता है… बस मजे के लिए तुम भी गन्दी बात करो तुम्हे मज़ा आएगा…

कोमल – सिर्फ बातें न… कोई सीरियस नहीं है ना?

मै – नहीं बाबू सिर्फ सेक्स का और मज़ा लेने के लिए.. इसमें कुछ भी सीरियस नहीं है.

मैं – अब बोलो अपने पापा से बुर चाटवाओगी..??

कोमल – हाँ बाबूजी… चटवाउंगी… अपने पापा से अपना बुर चटवाउंगी..

इस वक़्त मेरे एक्साइटमेंट की कोई सीमा नहीं थी.. मैं अपना लंड पकड़ हिलाने लगा..

मैं – और गन्दा बोलो बहु..

कोमल – आआह बाबूजी मेरा बुर तबसे गिला है जबसे मैंने पापा के आने की खबर सुनी है.. आपकी बहु रंडी बहु है और आपसे और अपने पापा से चुदवाने के लिए बेताब है..

मैं बहु के पास बैठ गया और बहु इतनी उत्तेजित हो चुकी थी के मेरे कुछ कहे बगैर वो मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी.. अपना लंड चुसवाने के बाद मैं बहु के ऊपर चढ़ गया और अपना लंड बहु की बुर से सटाया ही था के उसकी गरम बुर की चिकनाई पाकर मेरा लंड आसानी से बहु की बुर के अंदर सरक गया।

मै – ये ले बहु.. तेरी चूत इतनी गीली है के मेरा लंड अंदर फिसल गया… और गन्दी बात करो बहु….

(मैं बहु की बुर में अपना लंड डाल उसे चोदने लगा.. और दोनों हाथो से उसकी चूचियों को भी मसलने लगा)।

कोमल – और चोदिए बाबूजी.. अपनी रंडी बहु को.. मैं आपसे चुदवाने के बाद.. रात को अपने पापा से भी चुदवाउंगी.

मैं – हाँ मेरी रंडी कोमल बहु.. सबसे चुदवा ले.. तुझे सोच कर तो मोहल्ले में सैकड़ों लड़के रोज़ाना बिस्तर पे अपना माल गिराते हैं. (मैं तेज़ी से बहु को चोदने लगा.. )।

कोमल – मैं इस मोहल्ले की रंडी भाभी बन जाउंगी… आपके सामने दूसरे लड़कों से चुदवाउंगी..

कोमल – बाबूजी.. मैं ये सब आपके मज़े के लिए बोल रही हूँ प्लीज आप सीरियसली मत लीजियेगा..

मैं – (बहु की इस बात पर मैं मन ही मन मुस्कुराया..) – हाँ बहु ये तो सिर्फ एन्जॉय करने के लिए है इसमें कुछ भी सीरियस नहीं है..

कोमल – उम्मम्मम्म… और चोदिए.. बाबूजी.. मेरा पानी निकलने वाला है..

मैं – हाँ बहु मैं भी अब और नहीं रुक सकता, मेरा भी पानी छूटने वाला है..

कोमल – आह बाबू जी अंदर मत गिराइए नहीं तो मैं प्रेग्नेंट हो जाउंगी.. आज आप अपनी बहु के मुँह को अपने माल से भर दीजिये..

मैं – ठीक है बहु.. (बहु की बुर गीली होने से लगतार फच्च-फच्च की आवाज़ हो रही थी..)

कोमल – चोदिए बाबू जी.. अपनी बहु को और चोदिए…

मैं – तेरे पापा हॉल में अकेले बैठे हैं, वो भी अपनी रंडी बेटी के बारे में सोच के मुट्ठ मार रहे होंगे..

कोमल – हाँ बाबूजी आप सच कह रहे हैं, उनका लंड तो वैसे भी खड़ा था, अभी अपने आप को अकेला पा कर मुट्ठ मार रहे होंगे.. उनको बोलिये न क्यों अपना माल जमीन पे गिराए.. इधर कमरे में आकर मेरे मुँह पे गिरा दें.

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बहु की ऐसी बात को सुनकर.. मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और अपना लंड बहार निकाल कर बहु के मुँह के पास ले गया.. बहु अपने हाथ में मेरा लंड पकड़ जोर से मुट्ठ मारने लगी.. और अगले ही पल मेरा सारा माल उसके मुँह और चेहरे पे निकल गया.. बहु को चोदने के बाद मेरे लंड से इतना माल निकला के बहु के चेहरे बूब्स पेट सब पर गिरा.. और मेरी रंडी बहु मेरे माल से नहा ली. मेरे लिए आज का दिन बहुत ही यादगार होने वाला था, क्योंकि जिस चीज़ के लिए मैं महीनो से वेट कर रहा था, जिसको सिर्फ अपने खयालो में सोच-सोच कर मुठ मारता था आज उसी बहु को मैंने उसके बर्थडे वाले दिन चोद दिया, वो भी तब, जब उसके पापा घर पे थे. मैं बिस्तर के पास बैठा अपनी पैंट पहन रहा था, इस बात की फ़िक्र हो रही थी की चुदाई के बाद बहु का रिएक्शन कैसा होगा. मैं ऐसी असमंजस में पड़ा था, लेकिन बहु अपने बिस्तर पे नंगी लेट अपनी एक टाँग ऊपर उठा कर पैंटी पहनने की कोशिश कर रही थी. उसके चेहरे पे कोई ऐसे भाव नहीं थे जिससे मुझे लगे के वो अपने हस्बैंड को चीट कर गिल्ट महसूस कर रही है. Sasur bahu ki chudai sex story

मैं अपने कपडे पहन कर कमरे से बहार निकलने वाला था, के तभी मुझे समधी जी की आवाज सुनाई दी.

प्यारेलाल – बेटी कोमल.. क्या तुम अंदर हो?

मैं – अरे समधी जी क्या हुवा.. बहु अंदर है उसे चक्कर आ रहा था, तो मैं उसे कमरे तक छोड़ने आया था.

प्यारेलाल – चक्कर..? कैसे?

मैं – जी वो सुबह से आपका इंतज़ार कर रही थी कुछ खाया भी नहीं उसने, तो थोड़ी वीकनेस महसूस कर रही है, मैंने सुला दिया है.

प्यारेलाल – एक मिनट मैं देखता हूँ ।

(समद्धि जी कमरे के अंदर प्रवेश कर जाते हैं, मैंने उन्हें 2 मिनट बहार रोका ताकि बहु को समझ में आ जाए के उसके पापा बहार हैं और वो जल्दी से कपडे पहन ले)। मैं भी समधी जी के पीछे-पीछे कमरे में आया तो बहु एक चादर के अंदर लेटी थी।

प्यारेलाल – बेटी कोमल क्या हुवा तुझे.. ?

कोमल – जी पापा..

बहु शायद जल्दी में सिर्फ एक छोटा सा स्लीव ही पहन पाई थी. जब वो चादर हटा कर बेड पे बैठी तो उसकी जांघो से चादर नीचे गिर गया और उसकी नंगी मोटी जांघें हमारी आँखों के सामने थी. बहु का भरा बदन देख कर समधी जी की आँखें बड़ी हो गई. बहु के इस पोजीशन मे बैठने से उसकी जांघें और मोटी लग रही थी. उसकी भरी भरी जवानी देख, समधी जी का लंड तो जरूर खड़ा हो गया होगा। उनकी आँखों में अपनी बेटी के लिए वासना साफ़ साफ़ नज़र आ रही थी. मौके का फ़ायदा उठाते हुवे समधी जी ने कोमल की जाँघ पे अपना हाथ रखते हुवे पूछा..

प्यारेलाल – क्या हुवा बेटी.. ?

कोमल – कुछ नहीं पापा आज बहार गर्मी बहुत है ना तो चक्कर आ गया, अभी ठीक हूँ मैं.

प्यारेलाल – बेटी अपना ख्याल रखो तुम्हे शादी से पहले तो मैं अपने हाथो से खाना खिलाता था और अब तुम अपना ध्यान नहीं रखती.

कोमल – पापा.. कोई बात नहीं अभी आप आ गए हैं ना, मैं आपके हाथ से खाना खाउंगी.. आप चिंता न करें बस मुझे थोड़ी गर्मी लग रही थी, बाबूजी थोड़ा फैन चला देंगे प्लीज?

प्यारेलाल – बेटी मैं जानता हूँ यहाँ का मौसम बहुत गरम है, देखो तो तुम कितनी गरम हो गई हो.. तुम्हारी जांघें कितनी गरम हैं (समधी जी ने बहु की जाँघों पे हाथ फेरते हुवे कहा…)

प्यारेलाल – तुम इतनी गर्मी में चादर क्यों डाली हो.. लेट जाओ ऐसे ही और रेस्ट करो ओके?

कोमल – नहीं पापा सोने के लिए तो सारी रात बाकी है अभी मेरे प्यारे पापा आये हैं तो आपसे ढेर सारी बातें करुँगी. चलिए आप फ्रेश हो जाईये बाथरूम उधर है, मैं तब तक आपके सामान लगा देती हूँ अपने कमरे में, आप मेरे पास ही रहेंगे जितने दिन के लिए भी..

प्यारेलाल – नहीं नहीं बेटी.. मैं गेस्ट रूम में रह लूँगा. तुम अब तक अकेली सोती थी ना तो तुम्हे परेशानी होगी.

कोमल – नहीं पापा आप मेरे साथ रहेंगे. हाँ मैं रोज़ अकेली सोती थी और बाबूजी अपने कमरे में. लेकिन अभी आप आये हैं तो आप के साथ टाइम बिताउंगी. (बहु ने अपने पापा से झूठ बोला क्योंकि पिछले कई दिनों से मैं बहु के साथ बिस्तर पे सो रहा था)।

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बहु ने आगे बढ़ कर अपने पापा को गले लगा लिया, समधी जी भी अपनी बेटी के टॉप को छुते हुवे अपना एक हाथ उसकी नंगी कमर पे टिका दिए और कस के लिपट गए. मै वहाँ खड़ा सब देखता रहा। बाप-बेटी इतना कस के एक दूसरे से सटे थे के बहु के बूब्स उसके पापा से अच्छे से दब रहे थे और समधी जी अपनी बेटी की जाँघ सहलाने के साथ साथ उसे दबा के भी मज़ा ले रहे थे. मुझे बाप-बेटी के इस बर्ताव से कोई प्रॉब्लम नहीं थी बल्कि मुझे न जाने क्यों बहु और उसके पापा को साथ-साथ देख मज़ा आ रहा था और न जाने क्यों मै बहु को अपने पापा के साथ चुदते हुवे देखना चाहता था. मेरा लंड ये सोच कर खड़ा हो गया कि कैसा लगेगा जब एक बेटी अपने ही बाप से चुदवाएंगी.

प्यारेलाल – अच्छा बेटी चलो मैं फ्रेश हो कर आता हूँ।

कोमल – जी पापा मैं आपके सामान को टेबल और कप्बोर्ड में लगा देती हूँ।

प्यारेलाल – ओके बेटी।

बहू समधी जी का सूटकेस खोलने लगी..

कोमल – बाबूजी इधर आइए ना जरा मदद करेंगे मेरी सूटकेस खोलने में?

मैं – हाँ बहु ये लो खुल गया..

कोमल – मैं ये सब सामान कप्बोर्ड में लगा देती हूँ।

बहु सारे सामान को रखने लगी.. अपने पापा के सामान अंडरवियर वगैरह भी)।

कोमल – अरे ये साइड में क्या आवाज़ कर रहा है देखिये तो..

मैं – बहु ये तो कोई मैगज़ीन है.. रुको निकलता हूं।

मैने जब मैगज़ीन बहार निकला तो वो एक पोर्न मैगज़ीन थी.. जिसके कवर पेज पे एक लड़की लंड चूस रही थी। मैंने बहु को दिखाया.

मैं – ये देखो बहु तुम्हारा पापा ने सूटकेस में ये मैगज़ीन छुपा के रखी है..

कोमल – ओह माय गॉड. पापा ये सब?

मैं – क्यों नहीं.. और ये देखो बहु ये इन्सेस्ट मैगज़ीन है. ये ऊपर लिखा है डॉटर लव्स तो सक.. मतलब बेटी को लंड चूसना पसंद है.. आखिर तुम्हारे पापा ऐसी मैगज़ीन क्यों पढ़ेंगे? वो भी बाप – बेटी के सेक्स रिश्ते के बारे में.

बहु ने मैगज़ीन मेरे हाथ से ले लीऔर आश्चर्य से देखने लगी.. जब उसने मैगज़ीन अंदर खोला तो हैरान रह गई.. अंदर कई मॉडल के फोटो पे दाग लगे थे.

कोमल – बाबूजी.. ये मैगज़ीन पे हर लड़की के फोटो पे दाग कैसा.. जैसे कुछ गिरा हो.

मैं – बहु ये मुट्ठ के दाग हैं.. तुम्हारे पापा ये सब तस्वीर देख कर मुठ मारते होंगे और उन्होने मॉडल के ऊपर अपना माल गिराया है..

कोमल – (2 पन्ने और पलटते हुवे…) – आआह्ह.. ये गीला चिपचिपा सा…

मैं – क्या हुवा बहु?

कोमल – बाबूजी ये देखिये ना एक फोटो पे ये गीला गीला है.. चिपचिपा सा..

मैं – ये तो माल है बहु वो भी ताज़ा..

कोमल – इसका मतलब क्या पापा ट्रैन के सफर में इस फोटो पे माल निकाले हैं?

मैं – हाँ बहु और कौन करेगा.. ये तुम्हारे पापा का ही माल है..

कोमल – आप इतने यकीन के साथ कैसे कह सकते हैं?

मैं – मुझे आदमी की सेक्सुअल जरुरत मालूम है ये माल ही है, यकीन न आये तो चाट के देख लो नमकीन सा टेस्ट होगा।

कोमल – छि बाबूजी.. अगर आप सही कह रहे होंगे तो क्या मैं अपने पापा का माल चाटूँगी ??

मैं – अरे बहु कोई बात नहीं.. तुमने मेरा भी तो माल पिया है कितनी बार.. चाट के देख लो..

कोमल – (माल को स्मेल करती हुई.. चाट लूँ सच्ची? )

मैं – हाँ बहु..

(मेरे हाँ कहते ही बहु जीभ लगा कर माल को चाटने लगी..)।

कोमल – ओह बाबूजी आप सच कह रहे हैं ये तो माल का ही टेस्ट है..

मैं – और चाट लो बहु.. (और बहु आँखे बंद कर मस्ती में अपने पापा का माल चाट गई)।

मैं – ओह बहु.. लगता है तुम्हे अपने पापा के लंड का माल बहुत पसंद आया..

कोमल – छि बाबूजी आप भी ना.. मैंने तो बस कन्फर्म करने के लिए चाटी..

मैं – काश तू समधी जी का लंड चाटती तो वो तेरे मुँह में ही अपना वीर्य छोड़ देते..

कोमल – ओह बाबूजी ये आप क्या कह रहे हैं.. मैं अपने पापा का लंड चूसूंगी..

मैं – कोई बात नहीं बहु.. सेक्स की जरुरत में रिश्ता नहीं देखा जाता! और तुम्हारी उभरी हुई निप्पल बता रही है के तुम ये सोच कर बहुत एक्साइटेड हो गई हो..

कोमल – बाबूजी.. चुप रहिये आप भी न..

मैं – मेरा यकीन करो बहु.. अगर समधी जी के पास तुम्हारी फोटो होती, तो वो अबतक दूसरी लड़कियों पे अपना माल बर्बाद नहीं करते.. बल्कि सारा दिन तुम्हारी फोटो पे ही मुट्ठ मारा करते..

कोमल – बस करिये न बाबूजी.. (बहु शर्मा गई..)

मैं – बहु इससे पहले के समधी जी देखें मैगज़ीन वापस रख दो..

कोमल – ओके बाबूजी..

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बहु ने मैगज़ीन वापस रख दिया और फिर कमरे से बहार चली गई. समधी जी भी बाथरूम से बहार आये और अपने कपडे चेंज कर डाइनिंग हॉल में चले गए. शाम को हम सभी तैयार हो कर बहु के बर्थडे के अवसर पे फोटो खींच रहे थे। बहु ने पहले मेरे लाये हुवे जीन्स और टी शर्ट ट्राई किया. हमेशा की तरह बहु भी किसी ना किसी बहाने से हमे अपनी कमर और नाभि दिखाती रही. बाद में उसने कपडे बदल कर अपने पापा के लाये हुवे कपडे भी ट्राई किये। हम लोगों ने बहुत सारी फोटो खींची, लेकिन सबसे ज्यादा फोटो बहु के ही थे. हर एंगल से जहाँ से भी उसके मादक बदन की झलक मिल जाती, मैं फोटो खींच लेता. मैंने नोटिस किया के समधी जी ने भी अपनी बेटी के बहुत सारे आपत्ति जनक फोटो खींचे। समधी जी ने ख़ास तौर पे बहु के उभार और उसकी मादक गांड के फोटो लिए. शाम तक हम सब ने खूब एन्जॉय किया उसके बाद जैसा के बहु चाहती थी, मैं अपने कमरे में सोने चला गया और बहु और समधी अपने कमरे में. मेरी नींद आज उडी हुई थी, मैं जानता था के आज रात कुछ होने वाला है. मैंने अपने कमरे में आकर लाइट्स ऑफ कर दिया ताकि बहु और समधी जी को लगे के मैं सो गया हूँ. मै सामने वाली खिड़की के पास बैठ गया. कमरा पास होने की वजह से मुझे उनकी बातें साफ़ सुनाई दे रही थी. बहु अपने सेक्सी ब्लैक कलर नाईट ड्रेस में थी और उसके पापा बेड पे बैठे टीवी देख रहे थे. बहु अपने पापा से सोने के लिए रिक्वेस्ट कर रही थी. Sasur bahu ki chudai sex story

कोमल – पापा अब सो जाईये चलिए आप थक गए होंगे।

प्यारेलाल – हाँ बेटा ठीक है कमरे में तो बहुत गर्मी है और तुम ये ब्लैक गाउन पहन के लेटोगी?

कोमल – हाँ पापा मैं तो रात को अक्सर ये पहन के सोती हुं।

प्यारेलाल – बेटी तुम झूठ क्यों बोल रही हो? मैं समझ सकता हूँ तुम अकेली सोती थी, तो इस गर्मी में कैसे सोती होगी. तुमहे जो इतना पसीना आ रहा है इसी से मुझे पता चलता है के तुम्हे इसकी आदत नहि।

कोमल – ओके पापा आपने ठीक पहचाना।

प्यारेलाल – तो फिर कोमल बेटा लाइट्स ऑफ करो और नाईट गाउन उतार कर सो जाओ.

समधी जी आज अपनी बेटी को बिना नाइटी के अपने पास चाहते थे और बहु भी बिना लाइट्स बुझाये उनके सामने अपनी नाइटी उतार कर खड़ी हो गई. मैंने खिड़की से बहु को सिर्फ ब्लैक ब्रा पैंटी में देख कर अपना लंड बहार निकाल लिया और मुट्ठ मारने लगा. बहु बेशर्मी से अपने पापा के सामने अपनी गदराई जवानी दिखाते हुवे खड़ी थी. उसकी जाँघे बहुत गोरी दिख रही थी, वो अपनी पैंटी में दोनों तरफ से अंगूठा डाले खड़ी थी, ऐसा लग रहा था जैसे वो अपने पापा के एक इशारे पे अपनी पैंटी उतार देगी. बहु ने लाइट बंद कर दी और नाईट लैंप जला कर अपने पापा को हग करके सो गई. मैंने अपना माल नहीं निकाला मुझे एक उम्मीद थी कुछ होने की.

इसलिए करीब 1 घंटे बाद मुझे पास वाले कमरे से कुछ हलचल महसूस हुवा और मैं दुबारा उठ कर बहु के कमरे में झाँकने लगा. मैंने देखा बहु सो रही है और समधी जी अपने लंड को लेटे लेटे लोअर के ऊपर से ही रगड़ रहे हैं. बहु की पीठ खुली थी जिसे देखकर समधी जी अपना लंड बाहर निकालकर जोर जोर से मुट्ठ मारने लगे. वो बार बार बहु की तरफ ध्यान दे रहे थे के कहीं बहु जाग न जाए. उन्होंने बहु के कपडे भी सरका दिए और तेज़ी से लंड की स्किन ऊपर नीचे करने लगे. उनकी साँसे तेज़ होती जा रही थी और साथ-साथ हिम्मत भी. बहु की तरफ से कोई हलचल न देख कर वो अपना लंड मुट्ठी में लिए बहु के चेहरे के काफी करीब आ गए और फिर उनका सारा वीर्य बहु के चेहरे पे गिर गया. एक बाप को अपनी बेटी के मुँह पे मुट्ठ मारता देख मेरा लंड जोश से भर आया।

मै बहु के माल से सने चेहरे को देख कर मुट्ठ मारने लगा.. मैं मुट्ठ मार – मार कर थकता जा रहा था.. मैंने कभी नहीं सोचा था के अपनी बहु के नाम पे मैं इतना मुट्ठ मरूंगा.. मैं बहु को रंडी बनते देखना चाहता था.. जो किसी का भी लंड अपनी चूत में ले ले चाहे वो उसका अपना भाई हो या फिर पिता.. ये सब सोचते हुवे मेरे लंड से फच-फच कर पानी निकल गया. मुझे ये सब काफी अच्छा लग रहा था, लेकिन मैं बहु के मन की बात जानना चाहता था. मुझे लगता था के बहु अपने पापा से चुदवाना चाहती है, लेकिन मैं उसके पापा की ये करतूत बता कर सब बिगाड़ना नहीं चाहता था. मुझे तो उस पल का इंतज़ार था जब बहु खुद चुदवाने के लिए अपने पापा को सेड्यूस करे….

कहानी जारी रहेगी…….. अगर आपको कहानी पसंद आ रही है तो कम से कम 100 कमेंट करें तभी आगे की कहानी लिखुंगा। धन्यवाद!

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