Manushi Didi ki chudai kahani:- हैलो दोस्तों आज मै आपको एक मस्त कहानी सुनाने जा रहा हूँ। मेरा नाम दिनेश है और ये स्टोरी है मेरी और मेरी दीदी की चुदाई की. हमारे गाँव के एक रिवाज की वजह से मुझे मेरी प्यारी दीदी को चोदने का मौका मिला। और फिर मैंने कैसे अपनी दीदी को चोदा, आइये जानते है इस कहानी मे।
Manushi Didi ki chudai story
सबसे पहले मै सबका परिचय आपसे करवा दूँ। मेरी फॅमिली में मैं, डैड, माँ, भाई एंड सिस्टर है. मैं सबसे छोटा 19 साल का हूँ. मुझसे बड़ी मेरी बहन मानुषी है जो 25 साल की है. और उनसे बड़े मेरे भाई जो 26 साल के है. भाई की शादी नहीं हुई थी अभी क्यूंकि पहले दीदी की शादी करनी थी. उसके बाद भाई की शादी का सोचा था. तो दीदी की शादी हमारे गाँव में एक लड़के आकाश के साथ कर दी. शादी बड़ी धूम-धाम से हुई. हमारे घर से दूसरी गली में ही दीदी का घर था. शादी हमने बहुत एन्जॉय की. दीदी की शादी के 1 महीने बाद भाई की शादी का प्लान किया था. लेकिन उस 1 महीने में दीदी की सारी रसम एंड भाई की शादी की तैयारी भी करनी थी. दीदी की शादी के 3 दिन बाद ही सरपंच जी का इनविटेशन आया की दीदी की और हमारी फॅमिली, आपस मे बैठकर रसम के मुताबिक दीदी से कोई नाम ले.
हमारे गाँव में एक रिवाज है जो की दशकों से फॉलो किया जा रहा है. और जिसे सब ख़ुशी-ख़ुशी कोई ऑब्जेक्शन के बिना फॉलो करते है. तो रिवाज ये है की शादी के बाद नयी दुल्हन को कोई एक वर (लड़का) सेलेक्ट करना होता है. जो पति की गैर मौजूदगी में दुल्हन का ख्याल रखता है. फिर वो ख्याल फाइनेंसियल हो इमोशनल हो या सेक्सुअल हो. सब तरह की ज़रुरत पूरी करता है. रिवाज के मुताबिक जो लड़का सेलेक्ट करना होता है वो या तो दूल्हे का भाई (देवर) या तो दुल्हन का भाई होना चाहिए. ये रिवाज के मुताबिक सब लड़कियां अपने देवर को ही सेलेक्ट करती है न की अपने भाई को. लेकिन दीदी ने सब को चौंका दिया. जब हम सब इकट्ठे हुए और सरपंच जी दीदी के रूम में गए नाम जानने को.
Shadishuda didi Manushi ki chudai kahani
सरपंच जी: मैं अंदर आ सकता हूँ?
(रूम में दीदी और उनकी सहेलिया मम्मी एंड उनकी सास बैठी हुई थी. )
दीदी: जी आ जाये.
सरपंच जी: तो बेटा नाम सोच लिया होगा आपने? आप मुझे नाम बता दीजिये.
दीदी: जी सरपंच जी! लेकिन नाम बताने के पहले एक बात मैं जानना चाहती हूँ की मैं किस-किस को चुन सकती हूँ? मतलब मुझे चुनना तो एक ही है लेकिन किनमे से चुनना है? वो एक बार आप बता दो तो मेहरबानी होगी.
सरपंच जी: जी बेटा आप अपने पति के भाई यानि की अपने देवर सुमित को या तो अपने सगे भाई दिनेश को. इन दोनों में से कोई एक को चुन सकते हो.
दीदी: सरपंच जी यहाँ पे सब लोग अपने देवर को ही चुनते है. अपने भाई सेकंड ऑप्शन पे कोई ध्यान ही नहीं देता. अगर मैं अपने देवर को न चुन के अपने भाई को चुन लू तो कोई दिक्कत तो नहीं होगी न?
सरपंच जी: बिलकुल भी नहीं बेटा. मुझे खुद अपनी बहन ने चुना था. और हमारा एक बेटा भी है. तो इसमें कोई प्रॉब्लम नहीं होगी आपको. और ये देखना हमारी रिस्पांसिबिलिटी है.
दीदी: शुक्रिया सरपंच जी.
सरपंच जी: तो बेटा मैं ये नाम फाइनल समझू?
दीदी: जी लेकिन आप एक बार नाम अन्नोउंस करे उसके पहले आप मेरे पति, मेरे भाई, मेरे मम्मी-पापा एंड मेरे सास-ससुर से एक बार बात कर ले. अगर उन्हें कोई ऐतराज़ नहीं है तो मैं इस नाम के लिए राज़ी हूँ.
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फिर सरपंच जी ने हम सब को बुला के ये बात डिसकस की. मैं तो शोक्ड भी था और खुश भी. लेकिन एक दुःख ये भी था की मैं तो अपनी अवनी भाभी के सपने देख रहा था. अब पता नहीं उसका क्या होगा. फिर सबने ख़ुशी-ख़ुशी मेरा नाम एक्सेप्ट किया. जिसके बाद सरपंच जी ने नाम अन्नोउंस किया. उसी दिन शाम को एक रस्म हुई जिसमे दीदी ने एक पेड़े की छोटी बाईट जीजू को खिलाई एक बाईट मुझे और बाकी का उसने खाया. फिर सरपंच जी ने नेक्स्ट नाईट के लिए जीजू और मुझसे बात की के आज की नाईट जीजू दीदी के साथ रहेंगे एंड सेकंड नाईट मैं उनके साथ रहूँगा. एंड रिवाज के मुताबिक ये रस्म लड़की के घर यानि की मेरे घर मनाई जाएगी. जिसमे फर्स्ट नाईट जीजू के साथ सेकंड नाईट मेरे साथ एंड दीदी फिर एक वीक के बाद ससुराल जाएगी. Manushi Didi ki chudai kahani
अब सब रेडी था. आज की नाईट दीदी जीजू के साथ थी और उनका कमरा सजाया था. दीदी का कमरा मेरे कमरे के बगल वाला था. एक्चुअली फिस्ट फ्लोर पे 4 रूम थे, जिसमे फर्स्ट ड्रोनिंग रूम था, सेकंड वाला भैया का थर्ड मेरा, एंड फोर्थ दीदी का. एंड हमारे रूम में एंटर होने के लिए कॉमन लॉबी थी. तीनो रूम में कॉमन बालकनी थी जिससे हम बालकनी के थ्रू भी एक-दुसरे के कमरे में आ जा सकते थे. तो हुआ ये की मुझे करीब 2 बजे के आस-पास भूख लगी थी. तो मैं खाने के लिए उठा. मेरी दीदी के कमरे से पायल एंड चुन्नी की आवाज़ सुनाई दे रही थी. और वो आवाज़ कन्टिन्यूसली आ रही थी. मुझसे रहा नहीं गया और मैं जब दीदी के कमरे की तरफ गया बालकनी से तो पूरे स्लाइडर पे पर्दा था. लेकिन स्लाइडर लॉक नहीं था तो मैंने थोड़ा खोला धीरे से.
मैंने देखा की जीजू दीदी के ऊपर थे और ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगा रहे थे. दीदी और जीजू दोनों रजाई में कवर थे तो कुछ ख़ास दिख नहीं रहा था. फिर मैं वापस कमरे में आके लॉबी के थ्रू नीचे गया और खाना खा के सो गया. मैंने एक बात अपने माइंड में फिट कर ली थी की सेकंड नाईट को जब मैं दीदी के पास जाऊ तो मैं मेरी परफॉरमेंस से उन्हें इतना खुश कर दू की फिर जीजू कही जाये या न जाये लेकिन दीदी मुझसे चुदे बिना न रह पाए. मैं सुबह नहा के नाश्ता करने आया तो जीजू भी नाश्ता कर रहे थे. नाश्ता करके मैं जा रहा था तो जीजू ने मुझे रोका और बोले-
जीजू: दिनेश रुको कहा जा रहे हो?
मै: आकाश भाई मार्किट जा रहा हूँ! थोड़ा काम है.
जीजू: रुको मैं छोड़ देता हूँ मेरी कार में आजा.
फिर मैं कार में उनके साथ चला गया. रास्ते में उन्होंने मुझसे इधर-उधर की सब बात की. फिर उतारते वक़्त जीजू ने मुझे रोका और कहा-
जीजू: दिनेश तुम्हारी दीदी ने तुम्हारा नाम मेरे कहने पे दिया है. मतलब की ये उसकी मर्ज़ी थी लेकिन मेरे कहने पे वो तुम्हारा नाम दे पायी.
मै: थैंक्स जीजू. मैं वादा करता हूँ कभी आपको और दीदी को शिकायत का मौका नहीं दूंगा.
जीजू: हां इसीलिए तुम्हारा नाम दिया है. तुम अपनी दीदी को समझोगे.
मै: हां वो तो है.
जीजू: सुनो आज रात को तुम्हारी दीदी तुमसे जो बात करे उसको तुम उससे अच्छे से सुन्ना और समझना. और मुझे आशा है तुम उसको नाराज़ नहीं करोगे और उसकी बात मानोगे.
मानुषी दीदी की चुदाई की कहानी
फिर जीजू चले गए. लेकिन मुझे थोड़ी-थोड़ी उनकी बातें समझ आ चुकी थी. मुझे लग रहा था की शायद रात को दीदी मेरे करीब नहीं आने वाली थी और ना कुछ करने देने वाली थी. मैंने बहुत सोचा और फिर प्लान बनाया की मैं दीदी को कोई बात ही नहीं करने दूंगा और थोड़ा लेट कमरे में जाऊंगा. और वो कुछ कहे उसके पहले मैं अपना लंड उनकी चूत में डाल दूंगा. फिर मैंने मेडिकल स्टोर से वियाग्रा 100 एमजी ली एंड लिगर का स्प्रे लिया जिससे मैं लगातार दीदी की चुदाई कर सकू. मैं शाम को घर गया तो देखा की जीजू जा चुके थे. मैं मेरे कमरे में आया और बेड पे लेटा हुआ था आँखें बंद करके. 10 मिनट बाद मैंने आँखें खोली तो देखा की दीदी सामने खड़ी है. Manushi Didi ki chudai kahani
मै: अरे मानुषी तुम्हे क्या हुआ कुछ काम था?
दीदी: अरे वाह! आज डायरेक्ट नाम से मानुषी वाह भाई वाह!
मै: अरे नहीं दीदी वो मैं कंफ्यूज हो जाता हूँ. सुबह दीदी बोल रहा था तो माँ ने और तुम्हारी सास ने मना किया की दीदी मत बोलो एंड अब से मुझे नाम से बुलाना होगा. अब नाम से बुलाया तो आपको बुरा लग रहा है. अब आप ही बताओ मैं क्या करू?
दीदी: अच्छा छोड़ जो दिल चाहे बुला तू.
मै: क्या हुआ कुछ काम था?
दीदी: काम तो कुछ नहीं है. एक्चुअली मुझे तुमसे बात करनी थी वो तुम्हे पूछे बिना तुम्हारा नाम दे दिया इसलिए.
मै: देखो तुम्हारा तो पता नहीं लेकिन मैं बहुत खुश हूँ. और मैं इस रिवाज को अपने सच्चे मन से निभाउंगा. तुम्हे कोई शिकायत का मौका नहीं दूंगा.
फिर मैं खड़ा हुआ और दीदी को कमर से पकड़ कर अपनी और खींच के अपने होंठ उनके होंठो पे रख कर किस करने लगा. दीदी को कुछ समझ आये उससे पहले मैंने उनके होंठ अपने होंठो में दबा लिए और अच्छे से चूसने लगा. 5 मिनट तक दीदी स्टेचू की तरह खड़ी रही और मैं किस करता रहा. फिर 5 मिनट बाद मैंने उनको अलग किया क्यूंकि मेरा फ़ोन बज गया. एक्चुअली मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था की वो मुझे रात के लिए मना कर दे. इसलिए मैंने 5 मिनट के बाद फेक कॉल आये ऐसी सेटिंग कर रखी थी और फिर दीदी को किश करने लगा था. जैसे ही रिंग बजी मैं फ़ोन अटेंड करके निकल गया. दीदी को जाते-जाते मैंने बोला- Manushi Didi ki chudai kahani
मै: रात को मिलते है.
फिर मैं वापस मार्किट आ गया. रात को माँ का फ़ोन आया और वो बोली-
माँ: हेलो बेटा कहा है तू? रात हो गयी है. कब आएगा तू? आज तेरी फर्स्ट नाईट है मानुषी के साथ. तुझे उसके साथ होना चाहिए.
मै: हां बस आ गया माँ. थोड़ा काम है. 30 मिनट में पहुँच जाऊंगा.
माँ: हां चल तू आ तब तक हम खाना खा लेते है.
मै: माँ रुको मैं आ जाऊ फिर साथ में खाना खाते है।
माँ: ओके चल तू आ हम वेट करते है तुम्हारी.
मै: माँ दीदी तैयार हो गयी?
माँ: हां वो तो कब से तैयार है. सब तेरी ही वेट कर रहे है.
मै: बस आ गया माँ.
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फिर मैंने घर पहुँच के सब के साथ बैठ के खाना खाया. दीदी पहले ही खाना खा के कमरे में जा चुकी थी. फिर मैं खाना खाने के बाद अपने कमरे में गया तो देखा की मेरा कमरा बिलकुल नार्मल था. मतलब की कुछ सजाया नहीं था. फिर मैं वियाग्रा की गोली एंड वो स्प्रे लेके बाहर आ गया. जब मैं बाहर आया तो माँ मुझे सामने मिली. माँ ने कहा की-
माँ: आज तुम्हे दीदी के कमरे में जाना है ठीक है.
मै: मुझे लगा दीदी मेरे कमरे में आएगी.
माँ: नहीं तुझे जाना है उसके कमरे में. अब तू जा बहुत लेट कर दिया तूने.
मै: अरे माँ उसमे देर कैसी जितनी देर से जाऊंगा उतनी देर से वापस आऊंगा.
माँ: हां पता है तू जल्दी तो उठने से रहा.
मै: माँ प्लीज कल देर तक सोने देना प्लीज-प्लीज.
माँ: हां ठीक है बस, जब तेरा दिल करे तब आ जाना ठीक है? एंड हां मानुषी के साथ संभाल के. उसको हर्ट मत करना एंड उसका पूरा साथ देना.
मै: माँ मुझे तो आपने कह दिया. अब मानुषी को भी थोड़ा समझा दो की..
माँ: की क्या?
मै: वो माँ शायद आप जैसा समझ रहे हो वैसा नहीं होगा. मुझे सिर्फ अंदर जाके नार्मल तरीके से सो जाना पड़ेगा.
माँ: क्यों? कोई प्रॉब्लम है?
मै: नहीं माँ मुझे तो कोई नहीं है. लेकिन शायद दीदी एंड जीजू का ये प्लान है. इसलिए उन्होंने मेरा नाम दिया है. मुझे ऐसा लगता है.
माँ: नहीं-नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है. मानुषी तेरे लिए शाम से तैयार हो रही है. और मेरी उससे बात हो चुकी है. मैंने पहले ही बात की थी की तुम्हारा हक़ है उसके लिए. वो मना नहीं कर पायेगी. और उसने हां बोला था की वो तुम्हे सारे सुख देगी. अब तू जा अंदर। Manushi Didi ki chudai kahani
मै: माँ मैं थोड़ी देर में जाता हूँ.
फिर मैं किचन में गया, वहाँ पानी के साथ गोली खायी. उसके बाद मैं बाहर गार्डन में थोड़ी देर बैठा. मुझे 20 मिनट बाद वियाग्रा का असर दिखने लगा तो मैं सीधा अपने रूम के बाथरूम में गया. फिर वह मैंने मेरे कड़क लंड पे वो स्प्रे छिड़का. उसके बाद मैं दीदी के कमरे में गया. मैंने पहले दरवाज़ा नॉक किया तो दीदी अंदर से बोली-
दीदी: आ जाओ.
मैं अंदर गया तो क्या कमरा सजाया था फूलो से पूरा.
मै: वो सॉरी थोड़ा लेट हो गया.
दीदी: इतनी वेट तो मुझे तुम्हारे जीजू ने भी नहीं कराई थी.
अच्छा सुनो मुझे तुमसे कुछ बात करनी है.
मै: एक मिनट, बात बाद में, पहले आँखें बंद करो.
दीदी: क्यों?
मै: अरे तुम करो न एक बार.
Bhai Bahan Sex Story Hindi
दीदी ने मैरून कलर का लहंगा पहना हुआ था. आँखों में काजल होंठो पे लिपस्टिक पूरा श्रृंगार किया हुआ था. मैंने फिर उन्हें डायमंड रिंग दी. मैं ट्रेडिंग करता था तो मेरे पास पैसे थे उससे मैं लाया था रिंग) उनके हाथ में मैंने रिंग पहनाई. फिर उनको मैंने आँखें खोलने को कहा. उन्हें वो रिंग बहुत पसद आयी. दीदी फिर कुछ और बोले उससे पहले मैं दीदी के होंठो पे अपने होंठ रख के किस करने लगा दोपहर की तरह. फिर मैंने किस करते-करते उन्हें बेड पे लिटा दिया एंड उनके पैर खोल के बीच में आने की कोशिश करने लगा. मैंने किस करते-करते दीदी का लहंगा ऊपर उठाया. एक हाथ से उनका लहंगा उनकी जाँघों तक मैंने उठा दिया. फिर उसी के बीच मैंने अपनी पैंट भी उतार दी. मेरा खड़ा लंड दीदी की चूत में जाने के लिए तैयार था. Manushi Didi ki chudai kahani
मैंने ये सब इतनी फ़ास्ट किया था की दीदी को कुछ करने का मौका ही नहीं मिला. मुश्किल से 1 मिनट लगा होगा मुझे दीदी का लहंगा उठा के अपनी पैंट उतारने में. फिर मैंने मेरा हाथ उनकी चूत पे लगाया तो पता चला की उन्होंने पैंटी पहन राखी थी. मैं फ़ौरन उनके होंठो से अपने होंठ हटा के खड़ा हुआ एंड 5-6 सेकंड में उनकी पैंटी उतार के उनके पैरों के बीच में कर दी. फिर वापस आके मैंने अपना लंड उनकी चूत पे सेट किया. दीदी ने मुझे रुको कहा और इधर मैंने ज़ोर का धक्का लगा दिया. दीदी दर्द से तिलमिला उठी. उनके मुँह से आह्ह्ह्ह भरी आवाज़ निकल गयी. फिर मैंने दीदी की तरफ देखा तो उनकी आँखों से आंसू निकल रहे थे. फिर मैं थोड़ी देर रुका. ना मैं कुछ बोला न वो कुछ बोली कमरे में बिलकुल सन्नाटा था.
इसके आगे क्या हुआ वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. एक रिवाज और दीदी की कुँवारी चूत Part-2
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हैलो हम आप सबके लिए लाये है एक अपने साथ घटने वाली घटना हमरा नाम रवि उम 24Like मे यूपी का रहने वाला हु हमारे चाची लडकी जिसका नाम रिकी कि 20Like हम लोग रात मे छिपा छिपी खेलते थे रात 9 बजे थे रिकी हमारे साथ छिप गयी और हमे चोदने का इछा होने लगा रिकी को अपने तरफ खीच कर तुरत उसकी चूत मे अगली करने लगा और उसे भी मजा आने लगा मै तुरत उसकी चडी उतारी और उसके बुर मे मुह डाल कर चाटने लगा वह मेरा सर दबाकर बुर चटाने लगी और ईईईआईई छऊ इइइईईई करने लगी मे उलटा होकर अपना 6 ईच का लड उसके मुह मे देकर बोला चाटो इसे और हम दोनो लोग एक दूसरे का चाटने लगे 10 मिनट चाटने के बाद मे उसके बुर पर लड को सेट किया और एक हि झटके में उसके बुर से खून आने लगा मे तुरत किस करने लगा वह छूडाने कि कौसी करने लगी मे उसके उपर सोकर दोनो हाथ दबाये रखे थोडी देर उसे कुछ आराम मिला फिर दुसरा झटके मे रा 6ईच का लड उसके बुर में समा गया धीरे धीरे कदर बाहर करने लगा और उसे भी मजा आने लगा अदरसे गाड उठा उठा कर चोदवा रही थी आआईईईई उउउउ ईईईई कर रही थी बोल रही थी और जोर से चोदो भाई ईईईई हुउउइइआआआआ कर रही कि मुझे तो बहोत मजा आ रहा था चोदने में 20 मिनट कि चुदाई मे वह दो बार झड चूकी थी मे भी उसकी बुर मे झड गया