माँ और बेटे की वासना से लेकर चुदाई तक का सफर 4

Maa Beta ki chudai story hindi:- पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि कैसे मेरा और माँ का प्यार आगे बढ़ा. कैसे फेस टू फेस भी हमने एक्सेप्ट करना शुरू कर दिया ये रिश्ता. अब डर खत्म सा ही हो चुका था. मैं वापस पुणे आ चुका था. मगर दिल तो घर ही रहता था. मम्मी को किश करने का मन करता था. उनकी गांड को टच करने का मन करता था. हम हर दिन रात को सेक्स की बातें करते तो थे फिर भी अब फिजिकल मज़ा जो इस बार आया था वैसा मज़ा चाहिए था. वैसे रात को बातें वैसे ही होती थी. इस बार बस इस वाले इंसिडेंट की बातें ज़्यादा करते थे. जैसे-

अगर आपने पिछला पार्ट नही पढ़ा है तो यहाँ से पढ़ें=> माँ और बेटे की वासना से लेकर चुदाई तक का सफर 3

Maa Beta ki chudai story hindi

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मम्मी: इस बार तो आपका डर खुल गया. हिम्मत दिखा ही दी.

मैं: हिम्मत तो तेरे बन्दे में बहुत है. बस इस बार ज़्यादा थी.

मम्मी: वो तो दिख ही रही थी. कैसे ज़ोर-ज़ोर से गांड मसल रहे थे मेरी.

मैं: इसको तो खा ही जाऊंगा एक दिन. लिप्स तो और मस्त है तुम्हारे. मेरी तो पहली किश थी.

मम्मी: अच्छा मेरी भी पहली ही समझो. ऐसी किश आपके पापा ने कभी नहीं की.

मैं: अच्छा मेरा तो मन हो रहा है आज ही वापस आ जाऊ और तुझे जी भर कर किश करू.

मम्मी: आ जाओ ना प्लीज. मेरा तो फुल मन करता है कि मै आपके पास ही रहूँ.

मैं: कैसे आऊँ जॉब भी तो करनी है.

मगर इस बात के बाद मेरे मन में ये आने लगा कि मेरी जॉब अगर दिल्ली एनसीआर में हो जाये तो हर वीकेंड घर जा पाउँगा अपनी सुषमा के पास. लेकिन अभी साल भी नहीं हुआ था जॉब को स्टार्ट हुए तो जाना सही नहीं रहेगा. मगर मई मिड में भाई का फ़ोन आया. उन्होंने बताया कि उन्होंने जॉब स्विच कर ली थी. वो हैदराबाद जा रहे थे जून में. उसके बाद तो मेरा मन इतना हो गया कि आज ही जॉब ले लू दिल्ली एनसीआर में चाहे कैसी भी हो. और भाई भी घर नहीं आ पायेगा. फिर और मज़े. मैंने उस दिन से दूसरी जॉब ढूढ़नी स्टार्ट कर दी. मैंने मम्मी को बताया नहीं इस बारे में क्यूंकि फिर वो हर दिन तंग करती पूछ-पूछ के की जॉब मिली की नहीं.

अब हम दोनों फुल प्यार करने लग गए थे एक-दुसरे से. मैं तो उन पर गुस्सा भी हो जाता था जब वो मेरी बात नहीं मानती थी. मैं उन पर हद्द से ज़्यादा हक़ ज़माने लग गया था. अब माँ वाली रेस्पेक्ट तो चली ही गयी थी. ये स्टार्ट हो चुका था मेरा जूनून, कि मेरे बिना वो कुछ नहीं कर सकती और मैं जो बोलू वो करेगी. एक बात बताता हूं. जून में मेरे कजिन की शादी थी. मेरी उससे बनती नहीं थी. मम्मी को डांस का शौक है. मैंने मम्मी को बोला-

मैं: सुषमा तुम शादी में डांस नहीं करोगी.

मम्मी: क्यों? मैं: तुझे बोल दिया ना तू नहीं करेगी. मुझे वो पसंद नहीं.

मम्मी: ठीक है नहीं करुँगी. गुस्सा क्यों होते हो मेरे पर उसकी वजह से?

मैं: गुस्सा नहीं बता रहा हूं तेरे को की कुछ नहीं करना.

मगर मम्मी ने डांस कर दिया. मुझे पता था उन्होंने मना बहुत किया और लोगों के कहने पर डांस कर ही दिया. आज सोचता हूं छोटी-छोटी बातों पर कैसे डांटने लग जाता था उनको.

मैं (पूरे गुस्से में): तुझे बोला था न तुझे डांस नहीं करना. फिर भी तूने किया.

मम्मी: मेरी बात तो सुनो. मैंने बहुत मना किया. फिर सभी ज़िद करने लग गए तो कैसे मना करती?

मैं: मैं कुछ नहीं जानता. मुझे लगता है तुझे मेरे साथ नहीं रहना.

मम्मी: प्लीज माफ़ कर दो. आगे से नहीं होगा. मगर थोड़ा सा कर भी लिया तो क्या ही हुआ?

जैसे ही उन्होंने बोलै कि क्या ही हुआ मेरा दिमाग फुल गरम हो गया. समझ नहीं आया क्या बोलू.

मैं: क्या हुआ बहनचोद तुझे नहीं रहना मेरे साथ तो बोल दे. अब से कॉल न करियो.

मैंने पहली बार उनको गाली दी. लगता था आज जैसे सुषमा से सच में माँ हटा दिया था मैंने. मैंने कॉल कट कर दी. मुझे पता नहीं मम्मी को उस वक़्त क्या लगा होगा ये गाली सुन कर. 2 घंटे बाद फिर उनका कॉल आया. मैंने कट कर दिया. फिर मैसेज आया माफ़ कर दो. मैंने जवाब नहीं दिया. पूरा दिन वो कॉल और मैसेज करती रही. मैंने कोई जवाब नहीं दिया. मैंने नेक्स्ट डे खुद कॉल किया.

मैं: ठीक है सुषमा आगे से ऐसे न करना.

मेरे अंदर थोड़ा सा भी गिल्ट नहीं था. उन्होंने भी कुछ नहीं बोला उस गाली के बारे में. अब मेरी हिम्मत और बढ़ गयी थी. फिर जब भी लड़ाई होती गाली दे ही देता उनको. मैं उनसे फ़ालतू की लड़ाई करता रहता और उनका व्यू समझने की कोशिश नहीं करता. एक बार जून में पापा को मलेरिया हो गया. तो माँ 2 दिन तक वो अलग रूम में नहीं सोई और उनके पास ही रही. मैं 2 रात को उनसे बात नहीं कर पाया. फिर मैं उनसे गुस्सा हो गया।

मै: लगता है अब तेरा मन ख़तम हो गया है मेरे से।

मम्मी: ऐसा क्यों बोल रहे हो आप?

मैं: इस मंथ में दूसरी बार मेरी बात नहीं मान रही हो. 2 दिन से बात नहीं की.

मम्मी: आपके पापा की तबियत खराब हुई पड़ी है. इसलिए नहीं कर पा रही हूं.

मैं: मुझे नहीं पता रात को उनके सोने के बाद आ जाती दुसरे रूम में.

मम्मी: आप समझते क्यों नहीं हो? अभी तक मैं झूठ बोल के दुसरे रूम में सो रही थी की उनके खर्राटों से नींद नहीं आती. अब क्या झूठ बोलू? दो दिन भी सहन नहीं कर सकती उनके खर्राटे? उनको कुछ शक या गुस्सा हो गए तो कर लेना मेरे से बात रात को.

मगर मुझे अपनी बात ऊपर रखनी थी तो गुस्सा होके मैंने फ़ोन काट दिया. वो पूरा दिन मनाती रही मुझे. मैं ये सब इसलिए बता रहा हूं क्यूंकि ये भी एक फेज होता है इन्सेस्ट रिलेशन में. हम रेस्पेक्ट खो देते है. मगर साथ में एक खुश खबरि भी थी हमारे रिलेशन में. भाई हैदराबाद सेटल हो चूका था. मैं दिल्ली एनसीआर में जॉब ढूंढ रहा था और मिल भी गयी. ये जुलाई मिड में मिली थी जॉब. अभी 1 मंथ का नोटिस पीरियड था. मगर मम्मी से मिलने का मन था. उनको मैंने ये न्यूज़ नहीं दी थी अभी तक. सोचा घर जाके ही देता हूं उनको सरप्राइज. 14 जुलाई को घर पंहुचा मैं. जैसे ही मम्मी ने दरवाज़ा खोला तो चौंक ही गयी मुझे देख के.

मम्मी: क्या आपने बताया भी नहीं आ रहे हो?

मैं: सोचा जान को सरप्राइज दे दू.

मम्मी: मज़ा आ गया.

मैं अंदर आया दरवाज़ा बंद किया और बंद करते ही किश करना स्टार्ट हो गया. वो भी पागल होके किश कर रही थी. हम अलग हुए एक-दुसरे को देखा फिर हग करके किश स्टार्ट कर दी.

मम्मी: इस बार बहुत तड़पाया है आपने. 4 महीनो बाद आये हो.

मैं: कोई नहीं जो इस बार गिफ्ट दूंगा 4 महीने का दर्द भूल जाओगी.

मम्मी: क्या गिफ्ट?

मैं: मैंने गुडगाँव में जॉब ले ली है.

उनका ख़ुशी का ठिकाना नहीं था.

मैं: फिर हर वीक चोदने आया करूँगा तुझे.

मम्मी स्माइल करने लग गयी थी. फिर हम बातें करने लग गए थे. उसके बाद वो खाना बनाने लग गयी. मैंने तैयार होके उनके साथ खाना खाया. फिर मैंने उनका हाथ पकड़ा उनको रूम में ले गया और किश करने लगा. मैंने उनको बेड पर लिटाया और उनके ऊपर लेट गया. फिर आगे-पीछे होने लगा. उनकी साड़ी के अंदर हाथ डाला पेटीकोट को लूस किया गांड को पकड़ा, उसकी सॉफ्ट गांड को महसूस करने लगा और किश करता रहा. फिर माल निकालने के बाद हम अलग हुए. अभी बात आगे नहीं बढ़ी. सोचा अब तो टाइम ही टाइम था तो कभी भी कर सकता था. उस दिन 2 बार किया ऐसा किश.

नेक्स्ट डे मैंने बोला: चलो सेलिब्रेट करते है इस ख़ुशी को. मूवी देख के आते है. लंच करके आते है बाहर ही.

थिएटर पहुंचे तभी कॉकटेल मूवी रिलीज़ हुई थी. हमने पीछे कार्नर की सीट्स ली. थिएटर हाफ भी नहीं था. वो हमारे लिए अच्छा था. हमने सीट्स ली. फिर हमने किश करनी स्टार्ट कर दी. कुछ लोग देख रहे थे शायद. मगर कोई जानने वाला नहीं था. मम्मी ने सूट डाला हुआ था. मैंने कुछ हिम्मत दिखाई और आगे से उनकी पैंटी में हाथ डाला. फिर चूत को टच किया.

उन्होंने हाथ पर मारा और बोली: यहाँ नहीं घर पर कर लेना.

मैंने सुना नहीं और उनकी चूत को टच किया. मज़ा आ गया था. वो स्माइल कर रही थी. फिर एक ऊँगली उनकी चूत में डाली और हिलाने लगा, घुमाने लगा और उन्होंने आँखें बंद कर ली. मैंने कोई मूवी नहीं देखि या तो किश की उनको या चूत में ऊँगली डाल कर रखी. फिर हम लंच करके घर वापस आ गए. फिर उनको उनके बैडरूम में ले गया और किश करते हुए उनके ऊपर लेट गया. उसके बाद उनकी चूत को टच किया और ऊँगली की. उनका हाथ लिया और फिर पैंट के अंदर किया मेरी. एक-दम से उसने लंड को पकड़ा. किश और इंटेंस हो गयी हमारी. थोड़ी देर बाद माल निकल गया.

पहली बार स्पर्म मेरा उनके हाथ में था. हम अलग हुए. फिर साफ़ करने चले गए अपने आप को. पूरा दिन बात की, कि कब शिफ्ट हो रहा था मैं और कैसे रहेगा. मैंने बताया अब वापस जाके रेसिग्नेशन दूंगा और एक मंथ के नोटिस पीरियड के बाद जॉइन करूँगा. कब जॉइन करना है कंपनी डेट देगी. ट्रिप ज़्यादा बड़ा नहीं था. नेक्स्ट 2 दिन और रहा और 17 को निकल गया. मगर इस बार मैंने सुषमा को अपना बना लिया और सभी पार्ट्स को टच करने लग गया था उसके. वो भी खुश थी. मुझे पता था वो रियल प्यार करती थी मुझसे. मुझे उस वक़्त अपना नहीं पता था. मैं प्यार करता था या फिर सेक्स के लिए कर रहा था. मगर अब हम एक-दुसरे के बिना जीने की सोच नहीं सकते थे.

कैसे मैं गुस्सा होता नेक्स्ट दिन बातें करने लग जाता. झगड़ा गुस्सा टेस्ट भी होता लव का, कि सामने वाला कितना प्यार करता है. सुषमा तो पास थी मगर मेरा टेस्ट बाकी था. मगर वो गुस्सा होती ही नहीं थी मेरे से. बहुत प्यार करती थी उस वक़्त मुझे.

आगे की कहानी नेक्स्ट पार्ट में. कमेंट में ज़रूर बताना कैसी है हमारी प्रेम कहानी. कुछ लोग कहते है ये डालो वो डालो. बता दू कुछ ऐड नहीं हो सकता स्टोरी में. जो हो चुका है वो बता रहा हूं.

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