Family sex story in hindi:- आजमगंज नाम का एक गाँव जो ज़्यादा बड़ा गाँव नहीं था. वहाँ एक परिवार जिसमे 4 लोग- अफ़ज़ा, हामिद, रिज़वान और हीना रहते है. हामिद जिसकी उम्र 48 साल और पेशे से किसान और चेहरे पे बड़ी-बड़ी दाढ़ी. हीना – हामिद की बीवी, उम्र 43 साल, रंग गोरा, चूचियों का आकार 36 इंच तो होगा ही. अफ़ज़ा – हामिद और हीना की बेटी जिसकी उम्र 21-22 के करीब होगी और उसकी चूचियों का साइज 32 बी. रिज़वान – उम्र 18-19 के आस-पास, हामिद और हीना का बेटा. चलो शुरु करते है स्टोरी:-
Family sex story in hindi
जून की गर्मी थी. बहुत गर्मी होने की वजह से रात में बिना बिजली के सोना बिलकुल नामुमकिन हो जाता था. ऐसे ही एक रात वह चारो रात का खाना खा के सोने गए. उसके कुछ घंटो बाद, करीब 10 बजे गाँव की बिजली चली गयी. अफ़ज़ा अपने कमरे में ही सो रही थी की गर्मी होने के कारण उसकी आँख खुल गयी और ऊपर छत पे सोने आ गयी. ऊपर आ कर देखा तो पहले से उसके अब्बू, अम्मी और रिज़वान वहाँ सो रहे थे. हीना एक कोने पे, रिज़वान दुसरे कोने पे, हामिद रिज़वान की तरफ मुँह करके सो रहा था, जिससे अम्मी-अब्बू के बीच में थोड़ी सी जगह बची थी. अफजा वही बीच में तकिया लगा के लेट गयी. हवा अच्छी चल रही जिससे अफ़ज़ा की आँख लग गयी.
नींद में ही अफ़ज़ा के मुँह से आह आह आह की आवाज़े निकल रही थी. जैस ही अफ़ज़ा को दर्द ज़्यादा होने लगा तो उसकी आँख खुल गयी. आँख खुली तो देखा कि कोई उसकी चूचियों को कस कर पकडे हुए उसके पीछे से ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहा था. उसने मुँह घुमा के देखा तो उसके अब्बू का हाथ था और वही धक्के पे धक्का दिए जा रहे थे. फिर उसने अब्बू के पीछे देखा तो अम्मी और उसका भाई दोनों नहीं थे. फिर उसने चारो ओर नज़र घुमाई तो देखा बिजली आ चुकी थी. लेकिन हामिद गहरी नींद में फुल जोश में अफ़ज़ा की गांड पे धक्के मारे जा रहा था. उन ज़ोरदार धक्को के कारण अफ़ज़ा की चड्डी उसकी गांड में फंस चुकी थी. हामिद के लगातार धक्को से चड्डी गांड में घुसती चली जा रही थी. अपना हाथ उसने अपनी गांड पे ले जा कर महसूस किया तो हामिद का लंड लुंगी के बाहर कच्छे में पूरी तरह से तना हुआ था और वो उसकी सलवार से ऊपर से धक्के मारे जा रहा था.
इससे अफ़ज़ा की सांस में सांस आयी. फिर वो हामिद की जकड़न से बाहर निकलने की कोशिश करने लगी. लेकिन कुछ नहीं हो पाया. थोड़ी देर बाद खुद ही धक्के की रफ़्तार कम हुई और उसकी चूचियों पे हामिद का हाथ भी ढीला हो गया. अफ़ज़ा जल्दी से उठ कर बैठ गयी और नज़र अब्बू के कच्छे पे डाली तो झड़ने के कारण उनका कच्छा गीला हो गया था. तभी अपनी गांड पे भी एक बार हाथ लगा के देखा तो उसकी सलवार में छेद हो चुका था और उसकी कच्छी भी हामिद के झड़ने के कारण हलकी गीली हो चुकी थी. अफ़ज़ा ने तकिया उठाया और जल्दी से नीचे आयी. फिर जैसे ही कमरे में घुसी बिजली फिरसे चली गयी. लेकिन वो अपने कमरे में आ कर लेट गयी. गर्मी के कारण नींद तो आ नहीं रही थी. तो अफ़ज़ा को ऊपर आना पड़ा और वापस आ कर वो अब्बू (हामिद) के बगल में लेट गयी.
लेकिन उसकी आँखें खुली थी जो हामिद पे नज़र रखे हुए थी. साथ ही हवा भी मस्त चल रही थी और कब अफ़ज़ा की पलके भारी हो कर आँखों में नींद आ गयी उसको कुछ पता नहीं चला. ख्वाबों में अब्बू की हरकते याद आते ही अचानक से आँख खुली तो उसके होंठो पे हामिद के होंठ और इस बार उसकी सलवार के अंदर हामिद का हाथ भी घुसा था जो उसकी चूत को कच्छी के ऊपर से सहला रहा था. लेकिन इस बार वो दोनों अकेले नहीं थे उनके आस-पास अम्मी हीना और हामिद के पीछे रिज़वान लेटा हुआ था. हामिद कच्छी पे से चूत को बड़े प्यार से सहलाने में लगा था जिससे अफ़ज़ा की सिसकियाँ निकलती और अफ़ज़ा और हामिद के होंठो के मिलन से वही खत्म हो जाती. चाह के भी अफ़ज़ा कुछ नहीं कर पा रही थी.
कुछ हरकत करके अब्बू को उठाना नहीं चाहती थी क्यूंकि उसे पता था की अब्बू ये सब उसे अम्मी समझ के कर रहे थे. बस अफ़ज़ा खुद को कण्ट्रोल करने पे लगी थी. तभी हामिद कच्छी जैसी दीवार को चीरते हुए अफ़ज़ा की चूत तक पहुँच गया और उसकी चूत में बीच की ऊँगली लगा कर रगड़ने लगा. पहली बार चूत पे मर्द की ऊँगली का टच फील करके अफ़ज़ा जैसे खिल गयी. उसके बदन मे जैसे बिजली दौड़ने लगी हो. अब तो उसे ऐसा फील हो रहा था जैसे ये कभी रुके ही न. इसलिए अफ़ज़ा आँखें बंद करके इस फीलिंग को महसूस करने लगी. तभी उसके कानो पे एक आवाज़ आयी.
“तेरी चूत तो गरम हो कर पानी-पानी हो गयी. अब मेरे लंड को भी गरम करके पानी-पानी कर दे”.
अफ़ज़ा फुल मदहोशी में बोली
“आह हां ज़रूर”.
तभी अचानक से अफ़ज़ा की आँखें खुली तो देखा हामिद की आँखें खुली थी और चेहरे पे एक कामुक मुस्कान भी थी.
अफ़ज़ा: अब्बू!
वो कुछ बोलती तभी हामिद ने उसके मुँह पे हाथ रख उसकी आवाज़ को दबा दिया. फिर आराम से खड़ा हो कर अफ़ज़ा की तरफ हाथ बढ़ा कर नीचे की ओर चलने का इशारा किया. हामिद का इशारा पा कर अफ़ज़ा खुद को रोक न सकी और उसके हाथो में अपना हाथ दे कर नीचे आ गयी. फिर दोनों बाथरूम के पीछे चले आये.
अफ़ज़ा: अब्बू आप ये सब जो कर रहे थे. वो नींद में नहीं बल्कि…
हामिद: हां.
और हामिद उसको अपनी और खींच कर अपनी बाहों में पकड़ लेता है.
अफ़ज़ा: लेकिन अब्बू ये गलत है. अपने अब्बू के साथ ये सब अजीब लगता है.
हामिद: अजीब था तो मेरे साथ यूं बाथरूम के पीछे मेरी बाहों में क्यों है? जाके सोई क्यों नहीं?
अफ़ज़ा: वो मैं.
हामिद उसके होंठो की लड़खड़ाहट देखते हुए उसे अपने होंठो से मिला कर चूमने लगता है. अफ़ज़ा की हरकते भी हामिद के साथ थी और वो चुम्बन का मज़ा ले रही थी.
हामिद: इस चुम्बन के बाद अफ़ज़ा तेरा क्या ख़याल है?
अफ़ज़ा: वादा करो की अम्मी को नहीं पता चलेगा.
हामिद: मेरे लंड का पानी निकाल तो वादा करू.
उसकी बाहों से दूर हो कर अफ़ज़ा वही घुटनो पे बैठ जाती है. हामिद अपना लंड पकड़ कर लुंगी खोल के कच्छा उतार कर अपना खड़ा लंड अफ़ज़ा के सामने रख देता है. अफ़ज़ा लंड को हाथो में लेकर हिलाने लग जाती है और कभी लेफ्ट तो कभी राइट हाथ से लंड पकड़ कर हिलाने लगती है. तभी बाथरूम का गेट खुलने की आवाज़ सुन कर दोनों चौकन्ने हो जाते है और अफ़ज़ा लंड धीरे-धीरे हिलाने लग जाती है. हामिद कान लगा के सुनता है तो पेशाब की आवाज़ से रिज़वान लग रहा था. अफ़ज़ा हिलने में लगी रहती है और साथ ही हामिद अफ़ज़ा के बूब्स को मसलने लग जाता है. लेकिन तभी बीच में बाथरूम से हांफने की आवाज़ आने लगती है जिससे चौकन्ने हो कर दोनों अपना काम छोड़ कर उस आवाज़ को सुनने में लग जाते है.
तभी हामिद अफ़ज़ा को कंधे पे उठाता है और वो बाथरूम के ऊपर छेद से बाथरूम के अंदर झांकती है. अंदर देखकर उसकी हवा ही निकल जाती है. रिज़वान, जिसके एक हाथ में काली कच्छी थी और वो जिसे अपने चेहरे पे लगाए सूंघे जा रहा था और दुसरे हाथ से अपना लंड पकडे हुए मुठ मार रहा था।
रिज़वान: आह्ह्ह्हह अफ़ज़ा आह्हः एक बार मेरे लंड की बेगम बन जा आह्ह्ह्हह अफ़ज़ा! आह्ह्ह बस एक बार अफ़ज़ा.
देखते-देखते लंड से निकलता माल कच्छी पे पूरी तरह से सन्न गया. फिर एक लम्बी सांस लेते हुए वो बोला-
रिज़वान: अफ़ज़ा एक दिन तेरी चूत में अपना ये लंड घुसा कर तुझे जन्नत ज़रूर दिखाऊँगा.
ये कह कर वह वापस छत पे चला जाता है. अफ़ज़ा के उतरने के बाद.
हामिद: क्या कर रहा था रिज़वान?
अफ़ज़ा: मेरे नाम की मुठ मार रहा था.
हामिद: वाह क्या बात है अफ़ज़ा. घर में ही तेरे चूत के 2 दीवाने है.
अफ़ज़ा: क्या बाकी का काम कल करे?
हामिद: तो इस खड़े लंड का क्या होगा?
अफ़ज़ा (मन में): अभी तो किसी और का खड़ा लंड देख कर मेरी हालत खराब हो गयी है.
हामिद: एक काम कर तू यही बैठ मैं तेरे मुँह पे झाड़ता हूँ.
अफ़ज़ा वही बैठ कर आँखें बंद करती है. जब खोलती है तो उसे ऐसा लगता है जैसे उसके सामने रिज़वान अपना खड़ा लंड लिए मुठ मारे जा रहा था. रिज़वान का लंड देख के उसका मुँह खुल सा जाता है.
रिज़वान (मुठ मारते हुए): आह्ह्ह्हह अफ़ज़ा आह एक बार मेरी लंड की बेगम बन जा.
ये सब सुन कर अफ़ज़ा की रग रग में बिजली दौड़ने लगी थी. फिर अचानक से हामिद का लंड अपना रस छोड़ता है जो आ कर अफ़ज़ा के मुँह के अंदर जाके गिरने लगता है. ज़ोर-ज़ोर से हिलाते-हिलाते हामिद अपना लंड पूरी तरह से अफ़ज़ा के मुँह में खाली कर देता है. अफ़ज़ा उस रस को रिज़वान के लंड से निकला रस समझ कर गट से निगल जाती है।
हामिद: वाह अफ़ज़ा मेरा माल इतना मीठा लगा कि गट से पी गयी.
अफ़ज़ा: अब क्या ही कहूँ टेस्ट के बारे में? आह बस मज़ा आ गया.
बाकी की स्टोरी अगले पार्ट में.
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