Dost ki biwi ko choda story:- हेलो दोस्तों मेरा नाम इरफ़ान शेख है. मै आज आपके सामने अपनी एक रियल कहानी बताने जा रहा हूँ. मै अपनी ख़ुशी आपके साथ शेयर करना चाहता हूँ और आप सब मेरे और मेरे परिवार के लिए दुआ करना. मैं सेक्स कहानी पूरी शुरू से बताता हूँ कैसे सब हुआ. आज मै 31 साल का हूँ और ये कहानी 4 साल पहले स्टार्ट हुई थी.
मै साँवले रंग का जवान लड़का हूँ. मेरी हाइट और बॉडी अच्छी है. मै ज़्यादा पढ़ा लिखा नहीं हूँ और कॉलेज ड्रॉप आउट हूँ क्युकी मुझे पढ़ना अच्छा नहीं लगता था और मै नौकरी नहीं बल्कि खुद का कुछ करना चाहता था. मैंने पैसे के लिए अलग-अलग काम किये और फिर फाइनली लोन लेकर मैंने मुंबई में अपना एक क्लॉथ स्टोर खोल लिया. मेरा परिवार नार्मल सा मिडिल क्लास परिवार था और मुझे खुद अपने पैरो पे खड़ा होना था. तो मैंने सब कुछ अपने से किया. मै मुंबई से हूँ और मेरा मार्किट में खुद का एक क्लॉथ स्टोर है. शुरू-शुरू में मुझे बिज़नेस में काफी प्रॉब्लम होती थी. मेरे बगल में एक विजय शाह भैया का क्लॉथ स्टोर था. फिर उन्होंने मुझे बिज़नेस के लिए काफी कुछ समझाया. वो गुजराती थे तो उनको धंधे की काफी समझ थी.
Dost ki Biwi ki chudai ki kahani
विजय भैया की उम्र उस समय 39 थी और मेरी 26 थी. मै उन्हें विजय भाई कहता था और वो भी मुझे भाई ही बोलते थे. हम दोनों में काफी अच्छी दोस्ती हो गयी थी. विजय भाई की मदद से हम दोनों का स्टोर अच्छा चलता था. मै उनसे बिज़नेस में काफी कुछ सीखता था और उनकी मदद भी कर देता था. हम दोनों अच्छे दोस्त बन गए थे. मै उनकी काफी रेस्पेक्ट करता था क्युकी वो मुझसे उम्र में काफी बड़े थे. विजय भाई ईद के टाइम मुझसे शीर खोरमा भी मंगवाते थे. हम एक-दुसरे के फेस्टिवल को मस्ती से सेलिब्रेट करते थे. फिर एक दिन विजय भाई ने नवरात्री में मुझे अपने घर दावत दी. मै उनके घर गया तो काफी अच्छा घर था उनका. 2 बीएचके घर था उनका और घर में लोग सिर्फ 3 थे. विजय भाई खुद उनकी बूढ़ी माँ और उनकी पत्नी ही थे बस घर में. Dost ki biwi ko choda story
मैंने माता जी को नमस्कार किया और भाभी को हेलो बोला. फिर मैंने नवरात्री के लड्डू खाये और खूब एन्जॉय किया. भाभी भी काफी फ्रैंक थी. हम सब ने मिल कर बाते की और फिर मै वापस अपने घर चला गया. विजय भाई की पत्नी मुझे बहुत प्यारी लगी. एक-दम सुन्दर चेहरा गोरा बदन मस्त फिगर था उनका और साड़ी में वो मस्त सुन्दर लग रही थी. दूसरे दिन मैंने विजय भाई को नवरात्री की दावत के लिए थैंक्स किया और हम कुछ बाते करने लगे.
मै – विजय भाई कल की नवरात्री का खाना मस्त था, शुक्रिया दावत के लिए.
विजय भाई – मोस्ट वेलकम इरफ़ान.
मै: भाई आपके घर में बस इतने ही लोग रहते है?
विजय भाई: हां इरफ़ान पापा का डेथ कुछ साल पहले ही हुई है और मै अकेला बच्चा हूँ अपने पेरेंट्स का. अब माँ है और मेरी नेहा(नेहा दीक्षित वाइफ ऑफ़ विजय भाई)।
मै: बच्चे नहीं है आपके?
विजय भाई: हां यार यही अफ़सोस है. शादी के 10 साल हो गए है और अब तक बच्चा नहीं हुआ. इसी वजह से माँ बार-बार नेहा को कोसती है जब की कमी मेरे में है.
मै: कमी मतलब क्या? आपके स्पर्म काउंट में प्रॉब्लम है? मै एक हकीम को जानता हु उससे इलाज करवाएंगे तो शायद कुछ हो सकता है.
विजय भाई: हां यार स्पर्म काउंट की ही प्रॉब्लम है और अब पूरा सामान भी टाइट नहीं होता. क्या सच में हकीम कुछ कर सकता है?
मै: हां कोशिश करके देखते है.
मै: अच्छा आपकी अरेंज मैरिज है क्या?
विजय भाई: नहीं यार प्यार करके शादी की थी और बड़ी मुश्किल से शादी हुई थी. तुझे अरेंज्ड मैरिज क्यों लगा?
मै: वो भाभी बहुत सुन्दर है ना हाहाहा.
विजय भाई: अरे यार मै भी तो हैंडसम हूँ, बस अब थोड़ा मोटा हो गया हूँ. बड़े पापड बेलने पड़े यार इससे शादी करने के लिए.
मै: मतलब क्या हुआ? थोड़ी अपनी लव स्टोरी बताये?
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विजय भाई: ये उस वक़्त कॉलेज में पढ़ती थी और इसकी उम्र 20 होगी. मेरी उम्र 28 थी मगर मै काफी हैंडसम था. मै अपने पापा के साथ दुकान में बैठता था और ये मेरी दुकान में अपनी फ्रेंड्स के साथ कपडे लेने आती थी. विजय भाई: मेरा दिल इसपे आ गया था. ये बहुत मस्त थी शुरू में. पतली थी मगर सुन्दर थी. मै इसको अच्छा डिस्काउंट देता था और अच्छे से बाते करता था. शुरू-शुरू में ये नार्मल बाते करती और मुझे विश्वास नहीं होता था की मै इसको पटा सकता था क्युकी कॉलेज की लड़की एक काम करने वाले से कैसे पटती. ऊपर से मै उम्र में इससे कुछ 9 साल बड़ा था. मगर मै हमेशा इससे खुश होक अच्छी अच्छी बाते करता था. फिर इसके दिल में भी मेरे लिए कुछ हुआ. मै इसके कॉलेज में भी कुछ हेल्प करता था क्युकी मै भी उसी कॉलेज से पढ़ा था तो मेरी अच्छी पहचान थी. फिर मेरी इससे दोस्ती बनने लगी और फिर कब प्यार हो गया पता ही नहीं चला. फिर मैंने इसको प्रोपोज़ किया तो इसने टाइम माँगा. उसके बाद ये मान गयी मगर इसके फॅमिली वाले नहीं माने क्युकी नेहा मराठी ब्राह्मण है और हम गुजराती बनिए. हमने कोशिश भी की उन्हें समझाने की मगर नहीं माने. फिर हमने भाग के शादी कर ली. इससे नेहा की फॅमिली नाराज़ हो गयी और उन्होंने इससे रिश्ता ख़तम कर दिया. मगर मैंने नेहा को हमेशा खुश रखा और अब हम साथ खुश है. बस एक बच्चे की कमी है जो नेहा भी चाहती है. Dost ki biwi ko choda story
मै: गज़ब लव स्टोरी है आपकी तो विजय भाई. मै आपको हकीम से मिलाता हूँ. उम्मीद है की ये ख़ुशी भी आप दोनों को मिले और हमेशा साथ रहे आप दोनों.
विजय भाई और मेरे में अच्छी दोस्ती रही. हम दोनों एक-दुसरे के घर आते-जाते रहते थे. हम दोनों मिल कर भाइयो की तरह रहते थे. सब ठीक चल रहा था और मै हकीम से विजय भाई का इलाज भी करा रहा था. मगर एक इंसिडेंट ने सब बदल दिया. मेरी दुआ की विजय भाई और भाभी हमेशा साथ रहे ये मेरी गन्दी नज़र बन गयी. फिर एक दिन विजय भाई अपनी बाइक पे दुकान से घर जा रहे थे और उनका रात को ट्रक से एक्सीडेंट हो गया. विजय भाई मेहनती गुजराती आदमी थे. वो रात 11 बजे तक दुकान खोल कर रखते थे क्युकी उनकी दुकान काफी फेमस थी और मुंबई जैसी सिटी में लोग रात तक शॉपिंग करते है. मै उनसे अलग था. मै लाइफ को एन्जॉय करता था और जल्दी दुकान करीब 9 बजे तक बंद कर देता था और रात को दोस्तों के साथ घूमने चला जाता था.
जब एक्सीडेंट हुआ तो नेहा भाभी का मुझे फ़ोन आया. वो बेचारी बहुत डरी हुई थी. मै भागता हुआ हॉस्पिटल गया. हमने बहुत कोशिश की मगर हम विजय भाई को बचा नहीं पाए. भाभी तो मानो रोने से खुद को रोक नहीं पा रही थी. नेहा भाभी बेचारी सिर्फ 30 की होगी और वो विधवा हो गयी. भाभी की तबियत खराब हो गयी थी और वो शॉक में थी. वो कुछ कह नहीं रही थी. फिर मैंने विजय भाई के दोस्तों के साथ मिल कर उनका क्रिया क्रम किया. मुझे बहुत दुःख हुआ था क्युकी ऐसे अचानक विजय भाई की डेथ हो गयी थी. भाभी तो मानो टूट सी गयी थी. मै भाभी के घर जाता और उन्हें समझाने की कोशिश करता. भाभी के घर वाले भी आये थे उन्हें वापस लेने मगर विजय भाई की माँ ने उन्हें गुस्से में भगा दिया. उन्होंने उनसे कहा-
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विजय भाई की माँ: मेरे बेटे के डेथ पर तुम लोग आये भी नहीं तो अब क्या लेने आये हो. दफा हो जाओ यहाँ से.
मै भाभी को समझाता था- मै: भाभी जो होना था वो हो गया अब आगे की सोचो. आप अपनी लाइफ ना खराब करे और अपनी सासु माँ का सोचे. अब आपके सिवा इनका कोई नहीं है. मुझे लगता है की अब आपको विजय भाई की दुकान चालानी चाहिए. Dost ki biwi ko choda story
भाभी ने पहले जब मना कर दिया तो मैंने उन्हें समझाया-
मै: फिर माँ का ख़याल कौन रखेगा? दुकान तो किसी को चलानी ही होगी तो आप ही चलाओ. आज-कल महिला पुरुष से कम नहीं है.
भाभी अब समय के साथ ठीक हो रही थी. उन्हें भी मालूम था की जो चला गया अब उसपे रोने से वो वापस तो नहीं आएगा. और फिर भाभी दुकान चलाने के लिए मान गयी. विजय भाई का एक हेल्पर था और मैंने मिल कर भाभी को सब बिज़नेस समझा दिया. शुरू-शुरू में मै उनकी सब हेल्प करता था जिससे मेरे और भाभी में और दोस्ती बनने लगी. फिर समय के साथ सब ठीक होने लगा. अब विजय भाई की माँ भी भाभी की रेस्पेक्ट करती थी क्युकी दुकान वही चलाती थी और मैंने दुकान भी भाभी के नाम पे ही करा दी थी. इससे उनकी सासु माँ, भाभी को कुछ नहीं बोलती थी. अब मुझे दुकान में और मज़ा आता था क्युकी मेरे बगल की दुकान में भाभी बैठती थी. हम दोनों को विजय भाई का दुःख था और याद भी आते थे मगर सब कुछ धीरे-धीरे नार्मल हो रहा था.
मै भाभी के और करीब होने लगा था और मुझे अब भाभी से बाते करना अच्छा लगता था. मै भी उनको हंसी-मज़ाक में बिजी रखता था क्युकी उनको विजय भाई के दुःख से दूर करना ज़रूरी था. आखिर कब तक वो विजय भाई की याद में रोती रहती. इससे उनका भी तबियत खराब होती और जो चला गया है उसके लिए अपनी लाइफ तो नहीं ख़तम कर सकते ना. इन्ही बातो पे भाभी से एक दिन मेरी बात हुई.
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मै: भाभी आप कब तक ऐसे रहेगी? पहले आप चूड़ी और मंगल-सूत्र में कितनी अच्छी दिखती थी. अब नार्मल और बेरंग होके रहती हो. मेरे ख़याल से अब आपको विजय भाई के जाने से अपनी लाइफ नहीं खराब करनी चाहिए. जो हुआ उसको हम नहीं रोक सकते थे. मगर आप अभी सिर्फ 30 की है तो ऐसे जीना न छोड़ो. Dost ki biwi ko choda story
भाभी: इरफ़ान जो कुछ हुआ वो सब भूलना इतना आसान नहीं है. और मुझे भी मालूम है की अब मै कुछ नहीं कर सकती. अब उनकी याद में ही जीना होगा मुझे.
मै: भाभी ऐसा नहीं है. बहुत लेडीज इस उम्र में विधवा हुई है मगर उन्होंने जीना नहीं छोड़ा. आप भी जीना ना छोड़े. मेरे ख़याल से आपको बाहर की ठंडी हवा की ज़रुरत है. एक काम करते है आज दुकान जल्दी बंद करके जुहू-बीच चलते है. वहाँ पानी-पूरी और भी बहुत कुछ खाएंगे और मस्ती करेंगे. क्या बोलती हो भाभी.
भाभी: हां सही कह रहे हो. ऐसे अकेले खाली दिमाग में वही सब पुरानी बाते याद आएँगी. बेहतर होगा की थोड़ा बाहर की ठंडी हवा खा आये. चलो चलते है आज.
फिर हम बाहर घूमने गए. रात के 8 बजे थे और वहाँ काफी लोग थे. हम कुछ देर घूमे और फिर भाभी चली गयी क्युकी वो घर जा कर अपनी सासु माँ के लिए खाना बनाती थी. फिर हम हफ्ते में 2 दिन बाहर साथ में घुमते थे. भाभी के साथ रहने से मेरे दिल में उनके लिए प्यार बनने लगा और मुझे वो अच्छी लगने लगी. मुझे नहीं मालूम था की उनके दिल में मेरे लिए क्या था. हम जब घूमने जाते थे तो नार्मल फ्रेंड्स की तरह रहते थे. हम घुमते थे मगर एक-दुसरे के हाथ पकड़ कर नहीं घुमते थे जैसे कपल रहते है. मेरा दिल करता था की भाभी को कपल की तरह लेकर घूमू जिस तरह मै दुसरे कपल्स को घुमते हुए देखता था. भाभी सलवार या साड़ी में रहती थी और मै जीन्स और टी-शर्ट में. भाभी से मिलने के बाद से मै और बेहतर दिखने की कोशिश करता था। हम बाहर घूमने बीच साइड बैठते थे. तब बहुत से कपल हाथ में हाथ डाल कर चलते थे, मस्ती करते थे और कुछ तो किस भी करते थे. भाभी उनको देखती थी. मै भी उनको देखता था मगर कुछ कहता नहीं था. मेरे दिल में सच में भाभी के लिए प्यार आ गया था.
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भाभी मुझसे नार्मल ही बिहेव करती थी मगर मुझसे रहा नहीं जा रहा था. फिर मैंने सोचा की अब कुछ भी हो जाए मै अपने दिल की बात उन्हें बता देता हूँ. उसके बाद जो होगा देख लेंगे. फिर एक दिन हम बीच साइड बैठे थे. Dost ki biwi ko choda story
तभी मै बोला- मै: भाभी अब तो विजय भाई की डेथ को 1 साल हो गया है. अब भी आपको उनकी याद आती है?
भाभी: हां याद तो आती है. मैंने कुछ खोया है तो याद तो आएगी ही. मगर हां अब याद थोड़ी कम हुई है पहले से. अब थोड़ा बाहर बिजी रहने से दिल थोड़ा खुश हो जाता है.
मै: अच्छा भाभी आपकी तो उम्र अभी कम है तो क्या ऐसे ही रहेंगी? मतलब कुछ आगे का सोचा है आपने?
भाभी: हां उम्र तो कम है मगर अब क्या कर सकती हूँ? अब तो ऐसे ही रहना होगा.
मै: यहाँ देखो भाभी सब एक साथ कैसे खुश है. कुछ यंग कपल्स है तो कुछ 40 वाले भी है. मेरे ख़याल से प्यार की कोई उम्र नहीं होती है और प्यार हमेशा किया जा सकता है.
भाभी: कहना क्या चाहते हो तुम?
मै: भाभी एक दिल की बात कहना चाहता हूँ. अगर आपको अच्छा ना लगे तो बुरा मत मानना. मुझे आप से प्यार हो गया है.
भाभी: क्या! मर्दो की यही प्रॉब्लम है. थोड़ा उनके साथ रहो तो वो प्यार करने लगते है. मेरे ख़याल से हमारा दोस्त ही रहना सही होगा.
मै: इंसान जिसके साथ रहता है हंसी-मज़ाक करता है प्यार भी तो उसी से होता है. तो इसमें मेरी क्या गलती है? मै बस आपका व्यू पॉइंट जानना चाहता हूँ.
भाभी: देखो मै तो तुम्हे सिर्फ दोस्त की तरह मान रही हूँ और वैसे भी हमारा आगे बढ़ना सही नहीं होगा. मै एक विधवा हूँ और तुम मेरे पति के दोस्त रहे हो. ऊपर से तुम्हारा धर्म भी अलग है. लोग बहुत कुछ कहेंगे.
मै: लोगो को तो बस बोलना ही आता है. उनका छोड़ो और प्यार में धर्म नहीं आता. बस मेरे दिल में जो था मैंने कह दिया. बाकी आपकी मर्ज़ी. मैंने आपकी ख़ुशी के लिए कहा था क्युकी आपके पास बहुत ज़िन्दगी है अभी और ऐसे अकेले जीने का क्या फ़ायदा. प्यार उससे ही होता है जिसको आप अच्छे से जानते हो. और हम दोनों तो एक-दुसरे को अच्छे से जानते ही है. बाकी आपकी मर्ज़ी. Dost ki biwi ko choda story
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भाभी: देखो मै तुम्हारी फीलिंग समझ सकती हूँ. ये नेचुरल है की लोग एक साथ रहने से प्यार डेवलप कर जाते है. मगर मेरे ख़याल से हमारा दोस्ती तक ही रहना सही होगा. वरना समाज बहुत गलत समझेगा.
मै: समाज क्या सोचता है हमें उससे क्या. उनके ताने तो प्यार करके शादी में भी रहते है. मगर आप ने विजय भाई से प्यार किया ना. हमें कानून हक़ देता है की हम अपनी मर्ज़ी से प्यार कर सके. आप एक इंडिपेंडेंट लेडी है. आप समाज का ना सोचे और अपना फैंसला खुद ले. कोई जल्दी नहीं है आप सोच कर मुझे बताये.
भाभी: बात सही है तुम्हारी मगर मेरे ख़याल से इस रास्ते में अगर हम चले तो बड़ी मुश्किल आएगी.
मै: मुश्किल तो हर रास्ते में है. अच्छा क्या सच में आप हमेशा अकेले रहना चाहती है? क्या आपका दिल नहीं करता फिर से नए तरीके से ज़िन्दगी जीने का?
भाभी: मन करना और उसको पूरा करने में फर्क है. मन तो हमें बहुत कुछ करने का होता है मगर कुछ चीज़े ना की जाए तो अच्छा होता है.
मै: फिर आप समाज का सोच रही है. समाज तो हमें अपनी मर्ज़ी से कभी जीने नहीं देगा. विजय भाई को भी ख़ुशी मिलेगी की उनकी नेहा फिरसे वही पुरानी ख़ुशी वाली लाइफ जियेगी और ये भी की उनका दोस्त ही उनकी पत्नी का ख़याल रखता है. मेरे ख़याल से आपको इसपे सोच कर फैंसला लेना चाहिए.
भाभी: कही तुम मेरी मदद और मेरा अब तक सहारा बनने का फ़ायदा तो नहीं ले रहे? तुम सोच रहे होंगे की इतनी मदद की है तो भाभी को तो मानना होगा?
मै: नहीं भाभी ऐसा कुछ नहीं है. मैंने मदद इस कारण से नहीं की थी. प्यार तो अब हुआ है आपसे और आपके साथ थोड़ा टाइम बिताने पे हुआ है. प्यार नैचुरली होता है तो बस हो गया. मैंने अपने दिल की बात कह दी है बाकी आपकी मर्ज़ी है. आपका जो भी फैंसला होगा उसको मै मानूंगा और आपका साथ हमेशा दूंगा.
भाभी: अच्छा अब तुम इमोशनल कर रहे हो. अब हमें चलना चाहिए चलो.
मै: चलिए जैसी आपकी मर्ज़ी. बस इसपे सोचना और आपका जो भी फैंसला हो मुझे बता देना.
फिर हम वहाँ से चले गए….अब अगले पार्ट में देखेंगे की भाभी का क्या फैंसला होता है. थैंक्स फॉर रीडिंग.
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