Maa Ki Chudai Hui:- पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कैसे हम गुडगाँव में मिले पहली बार. फिर वो वापस घर चली गयी. मैं इस वीकेंड घर गया. अब हम ओपन हो ही चुके थे. सैटरडे 11 बजे तक मैं घर पंहुचा. हमारे पास 7 घंटे और नेक्स्ट डे भी दोपहर तक फ्री थे. मीन्स घर अकेले थे क्यूंकि पापा नहीं थे दिन में. फिर हम दोनों नंगे हुए उनके बैडरूम पर और किस किया और मैंने उनकी गांड को खाया. ये काफी मज़े देता था. मैं सोच भी नहीं सकता था मैं ऐसे कर रहा होऊंगा मम्मी के साथ. 2 दिन हमने ऐसे ही फुल मज़े किये.
पिछले पार्ट नहीं पढे है तो पहले यहा से पढ़ ले तभी कहानी का मज़ा आएगा:- माँ और बेटे की वासना से लेकर चुदाई तक का सफर 5
Aakhir Maa Ki Chudai Hui
मैं 1 वीकेंड छोड़ कर घर जाता था. हर वीकेंड हेक्टिक हो जाता था और रेस्ट का मौका नहीं मिल पाता था. जब रूटीन सा बन जाता है ऐसे सेक्स वाला तब एक्साइटिंग नहीं रहता. शुरू में एक्साइटिंग रहता है. फिर रूटीन बनने के बाद मैं उनको कैजुअल सा समझने लगा जैसे प्रॉपर्टी थी मेरी और कभी भी कर सकता था सेक्स. मैं 3 बार घर जाता था उनके आने के बाद. उसमे उनको भी ज़्यादा मज़ा नहीं आता क्यूंकि घर में फ्री नहीं होती थी. कोई न कोई आने का ही रहता था मेरे फ्रेंड या गली वाले. तो वो मज़ा आ भी नहीं रहा था. मम्मी नवंबर फर्स्ट वीक में फिर गुडगाँव आती है. मगर फ्राइडे इवनिंग में ही आ जाती है खुद गुडगाँव पापा से बोल कर की दिवाली की शॉपिंग कर लूंगी गुडगाँव में सही हो जाती है. मैं भी ऑफिस से जल्दी आ गया.
हमने बाहर ही डिनर किया. घर वापस आने के बाद हम नंगे हुए. इस बार सुषमा ने दिल खुश कर दिया. उन्होंने लंड मुँह में लेने के लिए बोला.
मैंने पुछा: इस बार कैसे बनाया मन?
वो बोली: कही पढ़ा था की पार्टनर को खुश करने के लिए सबसे बेस्ट चीज़ लंड को मुँह में लेना है.
मैंने कहा: फिर देरी किस बात की?
वो झुकी और मुँह में लंड लिया. वो पहली बार ले रही थी. पहले ऐसे सेक्स नहीं करते थे. तो उनको एक्सपीरियंस नहीं था. दांतो को लंड पर लगा रही थी तो दर्द हो रहा था. मैंने उनको बताया ऐसे लेना है की दांत न लगे और जीभ से लंड के साथ खेलना है अंदर. फिर वो सुख मिला बता नहीं सकता. अभी तक पोर्न में देखा था. आज मम्मी खुद कर रही थी मेरे साथ. वो लेटी हुई थी नंगी और मुँह में लंड था. मैं देख रहा था अपनी टांग चौड़ी करके. उनकी गांड उठी हुई थी. मस्त सीन था. जब निकलने वाला था मैंने उनको हटा दिया और स्पर्म बाथरूम में छोड़ दिया. वो तो कह रही थी मुँह में ही छोड़ देता पर मेरा मन नहीं था. मगर वो बोल रही थी स्पर्म का टेस्ट तो किया है उसने थोड़ा नमकीन होता है.
फिर मैंने उनकी चूत को चाटा. वो बता रही थी जीभ का अलग मज़ा था चूत पर. वो ये बता सकती थी क्यूंकि वो पहले सेक्स कर चुकी थी पापा से. हमारी अलग रात थी वो. हम दोनों नंगे सोये हुए थे. मेरी कामवाली 6 बजे आ जाती थी तो उसने 6 बजे बेल बजायी.
मैंने मम्मी को उठाया: उठो कपडे पहनो.
उसने पुछा: लेडी ही तो होगी कामवाली. क्या दिक्कत है?
फिर ब्लैंकेट लिया और सो गयी. मैंने टी-शर्ट पजामा डाला. मम्मी के कपडे मिल ही नहीं रहे थे. जल्दी में दरवाज़ा खोल ही दिया मैंने. कामवाली ने मम्मी को पहले कभी नहीं देखा था. मैं भी ब्लैंकेट के अंदर चला गया मम्मी के साथ. कामवाली समझ तो चुकी ही थी ब्लैंकेट में कोई नंगी लड़की ही थी. क्यूंकि उसने मम्मी की पैंटी ब्रा कपडे उठा के कुर्सी पर रख दिए थे. वो भी अलग ही एक्साइट करता है दिन. किसी तीसरे के सामने मैं मम्मी के साथ और मम्मी नंगी. उसके जाने के बाद थोड़ी देर बाद उनको उठाया और बोला-
मैं: बेशरम अब तो उठ जा.
मम्मी: उठ रही हु बाबा. बेशरम क्या है? अपने बन्दे के साथ थी नंगी किसी और के साथ थोड़ी न थी.
मैं: चलो नहा लो.
मम्मी: क्यों न साथ में नहाये?
इस बार मम्मी अलग ही मूड में थी. बहुत सोच कर आयी थी क्या-क्या करना था. हम बाथरूम में गए. वो तो पहले से ही नंगी थी. मैंने कपडे उतारे और शावर चला दिया. मैंने पहले उनको साबुन लगाया. बीच बीच मे चूत को जीभ से चाटा और फिर गांड को खाया. दोनों पार्ट के बीच में मुँह दे दिया और उसको भी लिक किया. मैं भी मूड में आ गया था. फिर उसने लंड मुँह में लिया और मुझे साबुन लगाया. फिर नहा के बाहर आयी. अब फिरसे नए लेवल पर पहुंच गया था रिलेशन. अब सब कुछ कर रहे थे बस लंड को चूत में नहीं डाल रहे थे. पता नहीं क्यों मना कर रही थी वो. अब ये सब हमारा रूटीन बन चुका था. 3 दिन हमने यही किया. अब अलग सा सटिस्फैक्शन मिल रहा था. मुझे पता है मम्मी के अलावा कोई और गर्लफ्रेंड होती तो नहीं कर पाता इतना सब कुछ.
अब मैं ही जाता वीकेंड पर घर. मैं 10 से 11 बजे के बीच पहुंच जाता. मम्मी भी नहीं नहाती थी तब तक. साथ में मिल कर ही नहाते. धीरे-धीरे वो लंड मुँह में लेने में एक्सपर्ट बन चुकी थी. पूरा लंड भी ले लेती थी मुँह में. मगर वो एक सटिस्फैक्शन के लिए पूरा मुँह में लेती थी. मज़ा तो आधे लंड को मुँह में देने का है. फिर जब वो उसके साथ जीभ से खेलती थी उसका मज़ा होता है. मैं भी चूत चाटने में एक्सपर्ट हो चुका था.
जनवरी में मम्मी ने बताया की अब पीरियड आने बंद हो चुके थे उनके और 2 महीने से नहीं आये.
मैं: जान अब तुझे प्रेग्नेंट कैसे करूँगा?
मम्मी: प्रेग्नेंट हो जाती न पता चल जाता आपको क्या होता है.
मैं: मज़ाक कर रहा हु.
मम्मी: एक महीना और देखती हु पीरियड आएंगे की नहीं.
मम्मी 51 या 52 ईयर की हो चुकी थी. तब तक तो पीरियड्स आने बंद होने ही थे. मैं एक वीकेंड छोड़ कर घर जाता और हमारी सेक्स लाइफ कंटिन्यू रखता. अब नेक्स्ट टाइम मम्मी 1 मार्च को आयी गुडगाँव. मुझे वो दिन हमेशा याद रहेगा. उनके पास एक्स्ट्रा चाभी थी और वो घर चली गयी थी. मैं फिर घर पंहुचा. पहुँचते ही किस किया. उन्होंने उनकी फेवरेट ब्लैक ड्रेस पहनी हुई थी जो डलहौज़ी से लाये थे. 3 साल हो गए थे. अभी भी फिट आ रही थी. थोड़ा सा भी वेट नहीं बढ़ा था इन 3 सालों में. हम दोनों रेस्टोरेंट गए बारबेक्यू नेशन. हम दोनों ने हाथ पकड़ा हुआ था. मैंने उस दिन सूट डाला हुआ था. परफेक्ट कपल लग रहे थे हम दोनों. मैंने एडवांस बुकिंग करवाई हुई रही मिसेज रवि के नाम की. वेटर ने जब उनको मिसेज रवि बोला वो चौंक गयी. हमने डिनर किया और रूम पर आ गए.
उन्होंने उस दिन एक सरप्राइज दिया.
वो बोली: मैं पीरियड स्टॉप होने का वेट ही कर रही थी. इसलिए सेक्स नहीं कर रही थी. आज सेक्स करने के लिए तैयार हूँ.
एक साल से ज़्यादा हो गया था हमारे रिलेशन को. हर दिन यही बात करते थे मैं तुझे पटक-पटक का चोदूँगा, ये करूँगा, लंड पर खिलाऊंगा! वगैरह! वगैरह! आज उसके लिए हां मिल गयी थी. फिर मैंने उनके कपडे उतारे. उसने मेरे उतारे और हम दोनों नंगे हो गए.
मैं: आज आया है मौका तुझे पटक-पटक कर चोदने का।
मम्मी: फिर चोदो न आज.
मैं: देखती जा.
मम्मी: देख ही रही हूँ कैसे खम्बे की तरह खड़ा है ये. काफी दिनों से मतलब सालों से नहीं लिया लंड मैने।
मै: अब मैं दिया करूँगा. पहले इसको मुँह में ले.
फिर मैं खड़ा हो गया बेड पर. वो बैठ के मुँह में लेने लगी. टाइट इतना था की मुँह में लंड देने का मज़ा नहीं आ रहा था. टाइट ही इतना था. मुँह में ले रही थी तो दर्द हो रहा था. फिर उनको लिटाया. ऊपर के पार्ट को चूत पर रखा मम्मी अपने हाथो से. कंडोम की ज़रुरत थी नहीं. वो प्रेग्नेंट तो हो नहीं सकती थी. फिर धीरे-धीरे से डालने लगा. सही से फिट नहीं बैठ रहा था. फिर सुषमा ने पैरों को ऊपर किया तब अंदर जाने लगा. पहली बार कर रहा था तो एक्साइटमेंट अलग थी. जब चूत खुलती है पता चलता है. जैसे गया मुझे भी पता चला और एक-दम से ग्रिप बन गयी लंड पर. कुछ देर ऐसे ही रहे. मैंने कुछ नहीं किया बस मज़ा लिया लंड उनके अंदर डालने का.
सुषमा बोली: मज़ा सा आ रहा है.
फिर थोड़ी देर बाद आगे-पीछे होने लगा. फ्रिक्शन बढ़ा तो थोड़ी देर बाद स्पर्म को उनके अंदर ही छोड़ दिया. 30 मिनट रिलैक्स के बाद वो ऊपर बैठी मेरे लंड को अंदर डाला और ऊपर-नीचे होने लगी. ये मज़े वाली पोजीशन थी. इस बार निकला भी नहीं जल्दी. वो कूदती रही और मैं लेटा ही रहा. फिर वो नीचे हुई और मेरे ऊपर लेट गयी. मैंने उसकी गांड को पकड़ा और चूचूं को मुँह में ले लिया. मैं चूचे ज़्यादा चूसता नहीं था. इसलिए कभी बताया भी नहीं. मगर उस दिन अलग मज़ा आ रहा था उसको चूसने में. सुषमा भी धीरे-धीरे आगे पीछे हो रही थी. फिर मैंने दोबारा से स्पर्म उसकी चूत में छोड़ दिया. वो वापिस साफ़ करके आयी.
नंगी ही लेट गयी बेड पर. फिर उसकी गांड खाने लगा. जब उसकी गांड खा रहा था तो टाइट कर रही थी. मैं गांड पर चांटा मारता फिर सॉफ्ट करती. मज़ा आ रहा था. फिर गांड में मुँह दे दिया. मुझे खुद नहीं पता कब सो गया रात को. फिर 3 बजे उठा और उसकी गांड के ऊपर मुँह था. वो भी दिन थे हम क्या-क्या कर रहे थे. 3 दिन में 8 से 9 बार चोदा होगा उन्हें मैंने. अब सब कुछ कर चुके थे हम. खुशियां ऐसी लग रही थी कभी नहीं जाएगी. ज़िन्दगी जीने का अलग ही मज़ा चल रहा था उन दिनों. सुषमा को चोदना भी स्टार्ट कर दिया था. सुषमा को अब घर पर भी चोदता था.
आगे की कहानी अगले पार्ट में.
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