Maa ko chodne ki story: पापा के आने का टाइम हो गया था. माँ उठ के चुपचाप खाना बनाने चली गई.. पापा भी आ गए.. इधर उधर की बातें हुई. सब मिलके मज़ाक मस्ती किये… रात को 11 बजे मै सोने गया और फिर उस टाइम पर माँ मेरे कमरे में आई. और सिर्फ उतना बोली के कल सोचते है… और वो चली गई… मै ऊपर गया था के कही कुछ देखने को मिले अगर माँ चुद रही है पर कुछ पता नहीं चला… मै मुठ मार कर सो गया… एक दिन खराब. उमेश भाई का ना ही मैसेज आया था और मैंने भी मैसेज नहीं किया.. अगले दिन सुबह… पापा के जाने के बाद मै और माँ आगे के रूम में बैठ कर बातें कर रहे थे…
इस कहानी का पहला भाग अगर आपने नहीं पढ़ा है तो पहले इसका पहला भाग ज़रूर पढ़ लें। 👉 माँ ने चोदना सिखाया भाग – 1
Maa ko chodne ki story
मै: हाँ माँ! तो आप मुझे आज कुछ बताने वाले थे..
माँ: देख समीर. आज जो भी बातें होंगी उसके बाद से… हम इस पर कभी भी बातें नहीं करेंगे..
मै: ठीक है…
माँ: देख मुझे तेरे पापा से कोई प्रॉब्लम नहीं है. बस वो मुझे खुश नहीं कर पाते.. मतलब.. तूने वीडियोस देखी है ना… उसमे वो समझा ना?
मै: नहीं माँ.
माँ: तूने क्या क्या देखा है बता…
मै: मतलब?
अरे ये तो मेरे पे आ रहा है. मै बिंदास बन जाऊ?
माँ: मतलब तूने कौनसी मूवीज देखी है…
मै थोड़ा डर तो रहा था…
मै: मिया खलीफा, सनी लियॉन…
माँ: तू बॉलीवुड मूवी देख रहा है के हीरोइन के नाम याद कर रहा है…
अरे भाई नहीं पता था उस समय.. मत हंसो.. जो है वो है.
मै: माँ…
माँ: बच्चू कल मेरा भी यही हल हो रहा था.. चल अब बता…
मै: मतलब आप किस तरह से पूछ रहे हो वो ही समझ नहीं आ रहा…
माँ: BDSM स्लेव देखी है?
मै: हम्म्म्म!
माँ: कभी कभी मुझे ऐसा लगता है मुझे वो पसंद है…
मै: गैंगबैंग?
माँ: नहीं… हम्म कभी कभी हाँ…
मै: हम्म्म्म!
माँ: बस अच्छा लगता है औरत हूँ. जैसे मर्द को मन होता है वैसे मुझे…
मै: उसमे कोई बुराई नहीं है.. माँ आप मेरी बीवी होती तो मै कभी कोई शिकायत का मौका न छोड़ता…
माँ: हाहाहाहाहा और वो भला क्यों?
मै: माँ आप इतनी खूबसूरत हो, और कोई दिमाग में आ ही नहीं सकता.
माँ: हाँ वो तो तेरे पापा के ख्याल में भी नहीं है…
मै: मेरे पास 10 इंच का है…
मै बिंदास कुछ ज्यादा हो गया? अगर अब नहीं बोलूंगा तो कब बोलूंगा? पर माँ थोड़ी सीरियस हुई और आश्चर्य भी…
माँ: झूठ मूठ का मत बोल…
मतलब माँ ने तो इंटरेस्ट लिया मेरी बातो पर. मुझे लगा के नाराज़ हो जाएँगी…
मै: हाँ माँ है तो है…
माँ: मेरी बहु बहुत लकी होगी फिर तो…
मै: हाँ और 3 इंच मोटा…
माँ: हम्म्म्म!
माँ मुझे कुछ अलग तरीके से देख रही थी…
मै: सच बोल रहा हूँ…
माँ: हम्म मै कहा मना कर रही हूँ…
उसके बाद पूरे आधे घंटे तक, मैंने टीवी भी चालू कर दिया और टीवी देखने भी लगा, पर माँ एक शब्द नहीं बोली और फिर…
माँ: सच बोल रहा है…
मै: क्या? मैंने भूलने का नाटक किया!
माँ: तू जो बोला थोड़ी देर पहले…
मै: क्या?
माँ: 10 इंच 3 इंच…
मै: हां.. उसमे क्या इतना तो होता ही है ना.. मूवीज में इतने ही तो होते है…
माँ: हम्म सब के नहीं होते…
मै: लगता है पापा का नहीं है इतना… हाहाहाहाहा!
माँ: मज़ाक करने की बात नहीं है… माँ सीरियस हो गई…
मै: माँ आप इतनी परेशान क्यों है…
माँ: कुछ नहीं!
मै: देखना है?
माँ: तू ठीक तो है.
माँ हूँ मै तेरी!
मै: दोस्त हूँ पहले. मेरी दोस्त निराश बैठी है. उसे खुश करना मेरा कर्तव्य है. आप बोलो तो…
माँ: तुझे शर्म नहीं आएगी?
मै: माँ हो मेरी कैसी शर्म मुझे तो आपने कई बार ऐसे देख ही लिया है…
माँ: हम्म! मै: पर माँ एक छोटी सी शर्त?
माँ: हम्म?
मै: मै ये दबाउ?मैंने इशारा किया मम्मे के बूब्स की ओर…
माँ: ह्म्म्म मतलब हां… ओके तो मैंने अपनी तेज़ धड़कनो के साथ ज़िप पर हाथ रखा…
मै: खोलू ना?
माँ: तेरी मर्ज़ी!
मै: मुझे तो शर्म आ रही है..
माँ: हम्म्म… तू झूठ ही बोल रहा है…
मै: ना… सच बोल रहा हूँ…
माँ: है तो दिखा चल… 10 इंच 3 इंच हुआ तो ही ये दबाने दूंगी डन?
मै: हाँ डन…
माँ: खोल अपना पेण्ट…
मैंने पेण्ट का बटन खोला और ज़िप खोली. निक्कर के अंदर मेरा शेर बहुत ही बड़ा दिख रहा था… मैंने अपना हाथ मेरी माँ के मम्मो पर डाला…
माँ: ना पहले दिखा..
मै: माँ पर चार्ज तो करना पड़ेगा न?
माँ: तू बहुत चालाक है. तुझे काफी कुछ पता है…
माँ ने विरोध नहीं किया और मैंने मेरी माँ के मम्मो पर साड़ी के अंदर हाथ घुसा कर ब्लाउज के ऊपर से मम्मो पर हाथ घुमाते हुए आह किया…. लंड ने भी निक्कर खोलने की दस्तक दी.. माँ ने भी हलका आह किया पर छुपाने की कोशिश करते हुए..
माँ: (थोड़ी आहे भरते हुए) निकाल ना इसे…
10 inch ke lund se maa ki chudai
अब मै यहाँ उसे ब्लाउज निकालने को बोल सकता था पर मैंने सोचा के अगर दूर की सोचनी है तो.. क्योंकि 10 इंच 3 इंच नाप सुनकर ही माँ मेरा लंड देखने को तैयार हुई तो… मैंने मम्मो के निप्पल जोर से मसला और लंड एक जटके में निक्कर से बाहर निकला. निप्पल इतना सॉफ्ट होता है? मतलब सच में? माँ के मम्मे तो कड़क थे. उठे हुए भी है… थोड़े से सॉफ्ट भी है… पर निप्पल… क्या मज़ा आया… माँ जोर से चिल्ला उठी और तब ही मैंने अपने लंड के दर्शन माँ को करवा दिये… पूरा 10 इंच 3 इंच।
मै: देखा है ना?
माँ सिर्फ देखती रही…
माँ: इतना तेरे पापा का नहीं है…
मै: हम्म्म छू लो!
माँ: नहीं…
मै: छू लो.. किसको पता चलेगा?
माँ: बेटे… जिद मत कर…
मै: अरे दोस्त के साथ तो इतना चलता है…
माँ प्यासी थी और मै उनका फायदा उठा रहा था… भरपूर… वो उसे भी पता है… माँ डर रही थी गलत है ऐसा समझ रही थी पर मेरे मोटे बड़े लंड को देख कर अपने आप को रोक भी नहीं पा रही थी. आँखे हटा भी नहीं पा रही थी.. मेरी पकड़ माँ के मम्मो पर बढ़ती जा रही थी. उमेश भाई ने एक बात बोली थी के एक मम्मे पर कंसन्ट्रेट करो तो दूसरा मम्मा वो खुद दे देती है. पर माँ अपने आप को कण्ट्रोल तो देखो कितना कर रही थी. एक मम्मे को में दबा रहा था पर वो छोटी छोटी आहे भर रही थी पर कुछ बोल नहीं रही थी. BF में देखा था. आज रूबरू देख रहा था. माँ की आँखे बंद हो रही थी…
मै: माँ छुओ न.
माँ का ध्यान भंग हुआ और उनका हाथ आगे बढ़ा. पहली बार कोई औरत मेरे लंड को छूने जा रही थी. मै जवान हुआ उसके बाद. बाकि तो यही औरत मुझे नहलाती थी छोटा था तब. पर खड़े लंड को पकड़ने मम्मे जैसे जैसे हाथ बढाती जा रही थी मेरी सांसे फूली जा रही थी. मुझे लगा के मै अभी फारिग हो जाऊंगा. पर कैसे कण्ट्रोल करू? इसी कश्मकश में माँ ने अपने मुलायम हाथो से मेरे लंड को छुआ और मेरे लंड ने सलामी मारी. एक झटका लगा. एक तरंग दौड़ गई. माँ ने अपना हाथ पीछे ले लिया…
मै: माँ कुछ नहीं करेगा ये।
माँ: (मुस्कुरा कर) बेटे माँ हूँ तेरी. मुझे मत सिखा…
मै: तो पकड़ो न. क्या रोक रहा है आपको।
माँ: हमारा रिश्ता।
मै: माँ हम दोस्त है न?
माँ: हमम्म!
मै: माँ मुझे एक दोस्त घर में मिल रहा है पर वो अच्छा नहीं है?
माँ: हम्म्म्म!
फिर माँ का हाथ फिर से आगे आया और मेरे लंड को इसबार कस कर मुट्ठी से पकड़ा. टोपा मुठी से बाहर आ रहा था. ये अहसास क्या बताऊ में… वाह… मैंने तो सिद्दत से माँ के मम्मे को और जोर से दबाया. माँ आअह्ह्ह कर पड़ी तो उसने भी मेरे लंड को जोर से दबाया. माँ के मम्मे से कुछ नहीं आने वाला था पर मेरा लंड जवाब देने की कगार पर था… मै थोड़ा शर्म में आ गया. कैसे भी विचार थे मेरे. पर ये मेरी माँ थी. मैंने माँ के हाथो को दूर करना चाहा…
माँ: क्यों सहन नहीं हो रहा।
मै: माँ प्लीज… निकलेगा अभी…
माँ: हाँ तो निकालने दो.. मै भी तो देखु के मेरा बेटा कितना जवान हो चूका है.
ये सुन कर मुझे जोश चढ़ा. मै माँ की क्लीवेज में हाथ डालना चाहता था. पर मेरा लंड मेरे पुरे बदन पर हावी हो रखा था. 2 इंच दूर था मेरा हाथ पर नहीं पहुँच रहा था. माँ मेरे लंड को मुठियाने भी लगी थी. ये कारण था के मै वो दो इंच की दुरी तय नहीं कर पा रहा था. अब मै अपने आप को होल्ड करने में असफल था. मैंने एक छोटी से आह भरी और लंड से सफ़ेद पिचकारी. आअह्ह्ह्ह… अद्भुत अध्भुत अनुभव. ये अनुभव मेरा पहला अनुभव था…
माँ: ओहूऊ इतना ज्यादा? बस बस बेटे…
मेरे लंड ने बहुत सारा माल निकाला. इतना कभी मुठ मारने पर भी नहीं निकला था आज तक.
मै: आआहाहा…
माँ: इतना?
मै: आह माँ पकड़े रखो… आआहाहा…..
माँ: हाँ हाँ हो जाओ हलका. और हलका…
आखरी बून्द पर मेरा हाथ माँ के ब्लाउज को खींच लाया. ब्लाउज का पहला हुक टूट गया. ब्रा का कपड़ा बाहर आ गया. और मेरे हाथ से लाल लाल हुआ उनका मां भी दिख आया… ऊपर वाला हिस्सा. माँ ने तुरंत अपना हाथ वहाँ पर रख कर ढक लिया…
माँ: शरारती जा बाथरूम में जा. और मुझे भी हाथ साफ करने जाना है…
मै थोड़ा शर्म में तो आ गया था. मै तुरंत भागा. माँ भी गई… और फिर हम वापस 10 मिनट्स के बाद वही जगह इकट्ठे हुए… हम दोनों चुपचाप थे. कोई शर्म के मारे बोल नहीं रहा था. मैंने देखा माँ ने तो ब्लाउज भी चेंज कर दिया था…करीब 30 मिनट्स तक हम दोनों चुप चाप बैठे रहे. खाना खाने का टाइम हो चुका था. ये सुबह भी बहुत रंगीन गई. ये दिन शुक्रवार का था. अब मेरे दिल में थोड़ी आस बढ़ी थी. मुझे इच्छा थी के मै कुछ करू अब. पर ये मौन तो कैसे सहन हो पायेगा. संडे को तो पापा भी घर पर रहेंगे…
माँ: चल खाना खा लेते है..
मै: माँ।
माँ: चल खाना खाने के टाइम पर बात करते है .. मै और माँ डाइनिंग टेबल पर बैठे.
माँ: हाँ बोलो!
मै: माँ वो…
माँ: हम दोस्त है ज्यादा टेंशन मत लो।
मै: हम्म्म थैंक यू।
माँ: बस अब ज्यादा अपना दिमाग मत चलाना. पर…
मै: मै कुछ दिमाग नहीं चला रहा. पर क्या?
माँ: देखो बेटे. ये सब सेंसिटिव बातें है.. पर अब थोड़ा हमारे बीच बात थोड़ी खुल चुकी है तो…
मै: हम्म्म?
माँ: देखो…
मै: माँ मुझे आपके ये दबाने है… मैंने माँ को बोलने का मौका ही नहीं दिया।
माँ: हम्म्म्म।
मै: माँ ये गलत है न के आपने तो ये देख भी लिया और… और मैंने तो देखा तो ठीक पर अच्छे से दबाया भी नहीं…
माँ: ब्लाउज फाड् दिया उतना तो दबा दिये।
मै: माँ दूसरा ?
माँ: हम्म्म …करीब एक मिनट बाद…
माँ: मै भी यही कहना चाहती थी. पर …
मै: माँ दोस्त बोलती हो और खुल कर नहीं बताते आप?
माँ: हम्म्म एक मम्मा दबाया दूसरा नहीं दबाया. मुझे भी बहुत मन हो रहा है के तू मेरा दूसरा मम्मा भी दबाये…
मै माँ के मुँह से मम्मा शब्द सुन कर एक दम खुश हो गया.
माँ: ऐसे क्या देख रहे हो. आप क्या बोलते हो इन्हे. मम्मा ही बोलते हो न.. क्या बोलते हो कॉलेज में?
मै: माँ हम लोग…
माँ: देख खुल के बोलो… जो भी बोलना है. दोस्त है हम. मुझे उमेश जैसा दोस्त ही समझ…
मै: हम्म ओके. माँ हम वैसे तो गेंद कहते है. छोटी गेंद और बड़ी गेंद.
माँ: हम्म्म चेंज हो गए सारे वर्ड…
मै: आपके कॉलेज में क्या कहते थे?
माँ: हमारे तो वह बॉल बोलते थे.
मै: पर माँ बॉल बोले तो वैसे भी पता चल जाता है. तो गेंद बोले तो हम क्रिकेट की भी बात कर सकते है…
माँ: स्मार्ट…
मै: और…
माँ: और?
मै: आपके जैसी बड़ी गेंद को फुटबॉल कहते है…
माँ: अच्छा तो मेरे पास फुटबॉल है?
मै: हाँ माँ इतने बड़े तो कभी मैंने देखे नहीं।
माँ: बच्चू मार्किट में गया नहीं तू अभी वरना इनसे भी बड़े होते है…
मै: पर माँ आपके पास जो है वो किसी के पास भी नहीं हो सकते…
माँ: चुप कर. खाना खा चुपचाप.
मै: माँ मुझे मम्मे तो आप दबाने दोगी पर आप ब्लाउज पहने रहोगी?
माँ: हाँ क्यों?
मै: माँ आपके कहने पर मैंने अपने इसको बाहर निकाला ना.
माँ: अच्छा इसे क्या कहते हो?
मै: माँ वैसे तो हम लोग… वो.. डंडा कहते है…
माँ: लंड नहीं कहते है?
माँ के मुँह से लंड सुन कर मै सातवें आसमान पर था.
मै: वो तो सिर्फ गाली बोलने के टाइम पर… आप क्या कहते थे अपने कॉलेज में?
माँ: हम्म्म हम लोग हथियार बोलते थे… हमारे लिए तो ये हथियार…
माँ कुछ बोलना चाहती थी और अचानक चुप हो गई… पर मै समझ गया…
मै: हाँ माँ समझ सकता हूँ. आपके लिए तो हथियार ही है…
माँ: बहुत शरारत कर रहा है और नालायक भी हो गया है तू…
मै: माँ आपको वैसा ही पसंद है न…
माँ: खाना खा ले..
मै: माँ आपने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया ..
माँ: नहीं मै ब्लाउज नहीं निकाल सकती…
मै: माँ सिर्फ ब्लाउज ही नहीं मैंने निक्कर भी निकाला था. आपने उसे छुआ था…
माँ: तू चाहता है के मै ब्रा भी निकालूँ?
मै: हाँ माँ सोच लो. आप चाहो तो मै आपका हथियार वापस निकाल सकता हूँ…
माँ: हथियार देखने से थोड़ी फायदा होता है? (माँ एकदम हलके से बोली)।
मै: क्या?
माँ: कुछ नहीं!
मै: आप चाहो तो आप उसका जो करना है कर लेना. बस?
माँ: हम्म्म जो चाहूँ वो?
मै: हाँ एक बार मै आपका ब्लाउज और ब्रा निकालूँ बाद में आप आपका हथियार बाहर निकाल लेना और जो चाहो वो कर लेना.
माँ के मन में लड्डू फूटा तो था. पर अब कितना फूटा ये देखना था. माँ मेरे सामने देख रही थी. पर कुछ बोल नहीं रही थी..
मै: खाना खा लो..
माँ: मेरी बिल्ली मुझसे म्याऊँ? सोचते है चल कुछ।
मै: डर लगा इतना बड़ा हथियार देख कर..?
माँ: नहीं मै नहीं डरती।
मै: पता है मुझे कितना नहीं डरे थे आप।
माँ: मै नहीं डरती.
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मै: तो फिर ये तो पक्की बात है के मेरे हाथो से तो डर ही गए. के ब्लाउज ब्रा पहने तो भी लाल निशान कर गया खुला दे दिया तो निकालके ले जाएगा।
माँ: मै नहीं डरती किसी से..
मै: BDSM पसंद है आपको पर आप डरते है…
माँ: मै बोली ना नहीं डरती।
मै: हाँ तो चलो देख लेते है.
माँ मेरे जाल में फंस गई. माँ पर मै अपनी पकड़ बनाते जा रहा था धीरे धीरे…
मै: नहीं छोडो आप. नहीं कर पाओगे. आप के चेहरे पर डर दिख रहा है.
माँ: मै नहीं डरती. बोला ना!
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मै: सुबह ही ये हथियार देख कर डर गए थे. और फिर कितनी बार सोचने पर जवाब दे रहे थे. नहीं होगा माँ आपसे रहने दो. बात BDSM की करते हो और फिर डर जाते हो. तो फिर बोलो ना के है ब्लाउज और ब्रा उतारने को रेडी हूँ और दबाने से आप नहीं डरते. चैलेंज एक्सेप्ट करो.
माँ: तो मै भी हथियार से जो भी करो चैलेंज एक्सेप्ट करो के माल नहीं निकालोगे.
हम्म्म गंभीर चैलेंज दे दिया मस्ती मस्ती में… पर ठीक है…
मै: आप भी अगर आह निकले तो आप हर गए…
माँ: ठीक है… मेरे मुँह से आह निकलेगी ही नहीं।
मै: चलो जल्दी खाना खत्म करते है और देखते है के कौन हारता है….
हमने खाना फटाफट ख़तम किया. माँ किचन में गई मै भी किचन में गया. वो जहा जहा जाये मै पीछे पीछे…
माँ: ऐसे पीछे पीछे घूमता रहेगा तो फिर मै नर्वस हो जाउंगी. ऐसे पीछे पीछे मत घूम।
मै: माँ मुझे अच्छा लगता है पीछा करना…
माँ: तेरी उम्र की लड़कियों का पीछा नहीं करता और मेरा पीछा क्यों?
मै: माँ मेरी नज़र में आप से सुन्दर और कोई है ही नहीं.
माँ: पता है मुझे. तू कुछ और के लिए कुछ ये कर रहा है..
मै: माँ प्लीज चलो न…
माँ: मै तो मजाक कर रही थी, सीरियसली ले ली?
माँ तो मुकरने लगी.. पर मै कैसे छोड़ सकता हूँ…
मै: हाँ मुझे पता था आप सिर्फ मजाक कर सकते है. बाकि कल आप के चेहरे पर डर साफ साफ दिखाई दे रहा था.
माँ: हाँ मै डर रही हूँ बस?
मै: बोला ना.. जो बात BDSM की करते है वो डर जाते है हमारे हथियार को देख कर.. हुंह…
मै निकल गया वहाँ से… सोचकर के शायद दांव सीधा पड़े… और शायद पड़ा भी… माँ पीछे पीछे आ गई मेरे ड्राइंग रूम में…
माँ: मै डरपोक तो हरगिज़ नहीं…
मै: माँ आप सिर्फ डरपोक ही नहीं. आप हर जाओगी उसकी भी फ़िक्र है…
माँ: मै आज तक नहीं हारी. और मै कभी नहीं हारती…
मै: हाँ तो चलो… देख लेते है…
मेरा दांव सीधा पड़ा था. मै तो अपनी माँ की ही औलाद हूँ ना. वो अगर ऐसा नेचर रखती है. तो मै भी वही नेचर अपने साथ लेकर जन्मा हूँ.. मै भी नहीं हारूंगा. आज के ज़माने का हूँ तो कुछ तो मै चालाकी मेरे बाप से लेकर आया हूँ… और वही मै आजमा रहा हूँ…
माँ: चल निकाल हथियार…
मै: ना माँ आपका ब्लाउज और ब्रा निकलेगा पहले…
माँ: तू नहीं ही मानेगा ना?
मै: नहीं माँ पहले मेरा हथियार बाहर निकालकर मुझे हराने का आपका प्लान है वो मै रिस्क नहीं ले सकता.
माँ: हम्म ठीक है चालाक…
मै: मै निकालूँ?
माँ: नहीं नहीं मै पहले निकालती हूँ वरना कहेगा के मैंने चालाकी की है…
मै: अरे मै ब्लाउज और ब्रा निकालूँ?
माँ: नहीं!
मै: माँ फिर तो मम्मो को दबाने वाला हूँ, तो निकालने में क्या प्रॉब्लम है…
माँ: बेटे तू भी ना.. चल ठीक है…
माँ मेरे पास आ कर बैठ गई… दोनों के मन में डर नही था. एक अलग अहसास. कुछ अलग होने जा रहा था… माँ और मेरे रिश्तो की बुनियाद एक शर्त पर निर्भर होगी ये मैंने नहीं जाना था. माँ को पटाना इतना आसान बन जायेगा वो भी मेरे लिए सपने के बराबर था. पर उमेश भाई ने एक बार बोला था. पटी हुई को पटाना आसान होता है… जैसे चुदी हुई औरत को चोदना…हम लोग सोफे पर बैठ कर ना जाने क्या कर रहे थे?? माँ जैसे ही मेरे बाजु में बैठी.. मुझे न एक तो मेरे माँ की स्मेल बहुत ही अच्छी लगती है… ऊपर से अभी अभी वो बर्तन धो कर आयी थी… माँ है तो बहुत ही खूबसूरत… इतने करीब से ये सोच के साथ मैंने पहले माँ को इतनी नजदीक से नहीं देखा था. मै पागल हो रहा था. क्या बताऊ… मैंने हलके से माँ की ओर देख कर माँ का साड़ी का पल्लू नीचे डाला.. और माँ ने आँखे बंद कर ली. मै कब से चाह रहा था इस क्लीवेज को छूना. और वो मेरे हाथो से काफी नज़दीक थी. ब्लाउज को देखा 3 हुक थे.. माँ के मम्मे वैसे भी उससे कैद नहीं हो पा रहे थे. मतलब लग रहा था के कभी भी हुक निकाल सकता है इतना दबाव उन पर आ रहा होगा.. मैंने अपने दोनों हाथो से हुक के फीते को पकड़ कर थोड़ा खींचा पर निकला नहीं.. बहुत टाइट है रे…
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मै: माँ ये तो थोड़ा दबाना पड़ेगा…
माँ: बस क्या अभी से जरुरत पड़ी मेरी?
मै: माँ मै कहा इतना जानकार हूँ. मै वर्जिन हूँ… मुझे ये सब समझ नहीं आता… मुझे सीखना पडेगा।
माँ: हम्म देख.. अरे क्या मुसीबत है! देख तू ना अंदर की तरफ खीचेंगे तो अपने आप मम्मे दब ही जायँगे… देखा पहला हुक खुल गया… अब बाकि के दो खोल…
मै: माँ आप हाथ चौड़े कर देते हो.. और आप खोलते हो तो आप अंदर करते हो हाथ… ये फर्क है…
माँ: क्या करना चाहता है तू?
मै: अंदर हाथ रखो… बहुत बड़े है आपके फुटबॉल…
माँ ने हाथ थोड़ा अंदर किया और फिर मैंने दबा कर दूसरा हुक भी खोला और फिर धीरे से तीसरा हुक भी.. जैसे ब्लाउज की अब कोई औकात ही न हो वैसे मम्मे थोड़े आज़ाद हुए. क्या मम्मे है यार… मै ब्लाउज निकालने लगा कंधे से…
माँ: इसे पूरा निकालने की क्या जरुरत है. तुझे जो चाहिए वो यहाँ है… रुक ब्रा मै खोल देती हूँ…
माँ ने ब्लाउज को पहने ही रखा और पीछे हाथ डाल कर ब्रा के हुक खोल दी. पर ब्रा ऐसे तो कैसे निकल पाएंगी वो? पर फिर मुझसे रहा नहीं जा रहा था. मैंने तुरंत ब्रा को ऊपर कर दिया और मम्मो को आज़ाद कर दिया… माँ ने अपने हाथ से मम्मे को ढकने की कोशिश की.. पर मैंने धीरे से उसे हटा दिया.. माँ अभी तक सिसकिया नहीं ले रही थी…
मै: माँ देखो हर जाओगे…
माँ: मै नहीं हारती…
मै: बस देखो अभी आवाज़े आएँगी…
माँ: स्टॉप… पहले अपना हथियार निकाल…
मैंने तुरंत अपना लंड निकाला और माँ के सामने पेश कर दिया…
मै: कुछ भी कर लो आप देख लेना हार जाओगी. मेरे हथियार से कुछ निकले उससे पहले आपके मुँह से आह निकल जाएगी ये मेरा वादा है…
माँ: देखते है…
बेटे ने सगी माँ को चोदा
अब मेरे सामने माँ के मोटे मोटे मम्मे थे, उस पर लगा निप्पल था. जिसको मैंने बचपन में पिया था. मै उनके साथ खेलने लगा. दोनों को खींचता… माँ मेरे लंड को मुठियाती मै स्तन मर्दन करता… ये सब 10 मिनट तक चला पर वो हारने का नाम नहीं ले रही थी. मै दोनों निप्पल को एक साथ एक दूसरे को टच करने के लिए खींच ने लगा. तब मुझे लगा के माँ अब तो कराह ही उठेगी. पर ना… माँ ने उस टाइम पर मेरा लौड़े का ऊपर का टोपा खींच दिया और मुझे लगा मै गया… पर बहुत ही कष्ट हो रहा था.. ये कश्मकश में मै ना मम्मो पर कोई भी रहम नहीं कर रहा था. मै ज्यादा हावी था. माँ कभी भी आह बोल उठ सकती थी. और पता नहीं उसे क्या सूझा के उसने तुरंत ही एक ही झटके में मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया. मै एकदम हक्का बक्का. माँ ने ये दांव इसीलिए खेला के उनकी आवाज़ मुझे सुनाई ना दे और मेरे इस हमले से मै पानी जल्दी निकाल दू… मेरे लिए तो उनका पूरा खुला बदन गायब. मतलब अब मै तो मम्मे दबा ही नहीं सकता… मेरे दिमाग में मै जीतू या फिर झड़ कर मज़ा लू यही समझ नहीं आ रहा था. मज़ा दोनों में मुझे ही आने वाला है.. पर करू क्या? माँ का गीला गीला मुँह.. और जुबान का चलना. मेरे लंड को चाटना.. मै देख नहीं पा रहा था क्योंकि माँ के बाल बीच में आ रहे थे…
मै बहक गया था. पता नहीं मुझे क्या करना चाहिए.. इतना दबाव भी मेरे लंड पर पहले कभी नहीं आया.. मै हार जाऊ? चाहूँ ना चाहु मै हार जाऊंगा… माँ के मम्मे मुझे चाहिए ही चाहिए थे इस वक़्त. क्योंकि हारू तो भी मज़े ले कर हारूँ… पर कैसे… मेरा लंड पहली बार किसी छेद में गया था. भले मुँह मे ही, मुँह भी तो छेद ही है… मुझे BF याद आई.. उसमे कैसे मर्द अपनी औरत के बाल को एक साइड कर के ऊपर बांध कर बाल से पकड़ता है और फिर वो खुद मुँह को लंड के ऊपर नीचे मज़े से करता है. बस मुझे भी वैसा करने को मन हुआ.. माँ खुद जीतने के लिए कुछ भी करेगी… तो यही मौका उठा कर मैंने माँ के बाल को ऊपर बांध कर ऊपर उठाये… माँ ने तिरछी नज़र से मुझे देखना चाहा पर मैने लंड अंदर और मुँह में घुसाया… अब होल्ड मेरे पास था. माँ लंड चूसे जा रही थी. पर एक्चुअली मै माँ के मुँह को चोद रहा था.. एक हाथ से बाल पकड़ कर मुँह चोद रहा था. दूसरे हाथ से मैंने माँ के ब्लाउज वाले पीठ पर से हाथ घुमा कर आगे की और कर के मम्मा बाहर निकाला.
Maa ko chodne ki story
एक तो एक ही सही. दूसरा वैसे मेरे पैरो के बीच में फंस चुका था. पर माँ को अगर इसमें मै हरा भी दू तो ही वो जोश में होश खोयेगी. जीत जाएगी तो नकचढ़ी हो जाएगी. पर मेरा कभी भी माल निकल सकता था. मैंने मन ही मन कुछ और सोचने का प्रयास किया. मै सोचने लगा कॉलेज के असाइनमेंट एग्जाम ये सब सोचने लगा.. ताके मुझे थोड़ा टाइम मिल जाये… मै काबू तो कर पाया.. माँ के मुँह से आह निकलवानी है बस… मैंने जो मम्मा बाहर खींचा था उसे अच्छे से दबाना ही काफी नहीं था. मेरी बारी है अब मारदाना दिखने की…मैंने झट से माँ के मुँह से मेरा लंड निकाला. मुझे ये पसंद नहीं था पर फिर भी और उसे सोचने का एक पल भी न देते हुए उसके दोनों मम्मो पर मै टूट पड़ा. मै उनके मम्मो पर गया उससे पहले माँ के मुँह से थूक टपक रहा था. वो खुश तो थी इस लंड को लेकर. मेरा मुँह जैसे निप्पल पर क्या बताऊ. ये निप्पल भी न चूसने के लिए ही बने हैं मै दरखास्त करता हूँ मर्दो को के निप्पल को चूसना हो तो आम चूस रहे हो वैसे दोनों हाथो से पकड़ कर दबा कर चुसो. मज़ा आ जायेगा. और मेरा ये आम चूसना माँ को आह निकला दी.. मैंने चूसना बंद कर दिया…
मै: आह निकल गई ना…
माँ: तू चूसना बेटा इतना दबाव मेरे मम्मो पर आज तक नहीं आया. आह… मै हार गई..
पर दोनों मम्मे को ऐसे दबा कर उसे ये बात का अहसास करा के वो मम्मे है और दबाने के लिए बने है…
मै: हार गई तो मै जो चाहूँ वो करोगे?
माँ: हाँ जो चाहे.. पर तू अभी मेरे मम्मे जैसे चूस रहा है वैसा चूस प्लीज… हाथ जोड़ती हूँ.. मम्मो का ऐसा भी मसल कर आनंद देना पहली बार पता चला. कहा से सीखा तूने?
मै: ब्लू फिल्म देख कर…
माँ: और क्या क्या करेगा मम्मो से. मेरे दो निप्पल को तूने एक दूसरे को जब टच कराया तब ही मै हार गई थी.
मै: माँ ऐसा नहीं हो सकता के आप लंड चूसो और मै मम्मे चुसू??
माँ: लंड?? डायरेक्ट लंड? तुझे आज़ादी देने के क्या अंजाम हो रहा है मै ये अब देख रही हूँ…
मै: हाँ माँ प्लीज?
माँ: कैसे?
मै: आप एक्सपीरियंस हो.. आप बताओ…
माँ: मुझे न तेरे पापा ने इतना कोई एक्सपीरियंस दिलाया ही नहीं.
मै: मै दिलाऊंगा माँ आपको।
माँ: मुझे वीर्य पीना है… तू पैर फैला कर बैठ मै तेरे पैर के बीच में आ जाउंगी तू मम्मे से खेलते रहना, मुझे तू वीर्य पिला, मैंने कभी नहीं चखा…
मै: माँ पर…
माँ: हाँ मुझे पता है तेरा बाप भी यही बोलता है.
मै: मै कुछ बोला ही नहीं।
माँ: मुझे पता है तू यही बोलेगा के ये गन्दा होता है…
मै: अरे माँ आप बात को सुनो तो सही…
माँ: हाँ बोलो।
मै: माँ आप सच में ये सब करना चाहते हो ना?
माँ: हा बेटा. मुझे थोड़ा कुछ अहसास करना है अगर तू कराये… पर एक शर्त है..
मै: क्या?
माँ: अगर तू मुझे एक औरत समझे. ना के तू मुझे माँ समझ कर कुछ भी करे. एक गर्लफ्रेंड समझे. वरना तू डरता रहेगा. मुझे वीर्य पीना है मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है पर तेरे पापा.. बस वो बोलते है के ये गन्दा है… ना ही मेरी चू…
मैं: हाँ बोलो न चूत..
माँ: हम्म बस तो वो भी नहीं चाटते.. तुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है ना?
मै: आज तक मैंने कभी…
माँ: पर करेगा भी या नहीं…
अब मै मना कर दूंगा तो मेरा चांस जायेगा. मतलब माँ की हवस अलग लेवल पर थी. ये तो साफ दिख रहा था. उसे वो चाहिए जो उसे करना है. मतलब ठीक है.. मै तो इन सब चीज़ो में एक बच्चा ही तो हूँ. बाद में देख लेंगे के कौन होल्ड करता है…
मै: मुझे कुछ सवाल है.. पहले कुछ पुछु? ये सब मेरे लिए नया है.. मैंने कभी मम्मे भी नहीं देखे थे और अभी..
माँ: है ठीक है पूछ ले. जो पूछना है पूछ ले…
मै: माँ मैंने BF में देखा है के पोर्नस्टार को बराबर दबा कर सेक्स करते है…मै तो बोल पड़ा धड़ से.. मै देखना चाहता था रिएक्शन माँ का…
माँ: देख मै सेक्स नहीं करने वाली तेरे से ठीक है?
मै: हाँ! माँ मैंने कहाँ बोला के मुझे सेक्स करना है आपसे… पर मै सिर्फ पूछना चाहता हूँ… उस दिन भी आप बोल रही थी पापा को, के वो आपको पीछे से अच्छे से नहीं दबाते. आपको BDSM ज्यादा पसंद है. पोर्न मूवी में भी ज्यादातर ऐसे ही होता है..
माँ: वो तो मुझे भी नहीं पता. पर अच्छा लगता है के बराबर दबा कर मस्त मसले…
माँ ना फ्लो फ्लो में अब बोल जाती थी जो उनके मन की बातें थी. बस वो खुल नहीं पा रही थी. ऑब्वियस है भाई. मै उनका बेटा हूँ. मै थोड़ी उनका पति या बॉयफ्रेंड हूँ? अरे बॉयफ्रेंड से याद आया मुझे वो पूछना है…
मै: हाँ बोलो माँ बिंदास. आप ही बोले के आप मेरी गर्लफ्रेंड बन रही हो… तो बॉयफ्रेंड के साथ ये सब चलता है ना माँ?
माँ: हम्म ठीक है.. पर ना मुझे अपना ये माँ बेटे का रिश्ता भी बीच में आ रहा है…
मै: भाड़ में गया… आप बोलो…
माँ: हाँ तो मुझे किसी और का पता नहीं पर अगर कोई मुझे मसले तो मुझे मज़ा आये… पोर्न मूवी ना मैंने ज्यादा देखी नहीं. और तेरे पापा से मेरी लव मैरिज हुई है तो मेरा ऐसे कोई बॉयफ्रेंड वाली दोस्ती किसी से नहीं है..
आई मीन व्हाट? इतनी खूबसूरात औरत और इनके कोई बॉयफ्रेंड नहीं है जो मिला उससे ही सीधी शादी? और मेरे दिमाग में कही होल है क्या? मैंने तो बात सिर्फ सोची थी इसे पता कैसे चल गया?
मै: हम्म्म… तो भी पापा क्यों आपको खुश नहीं रख पाते?
माँ: किसने बोला खुश नहीं कर पाते?
मै: तो?
माँ: अरे खुश तो कर देते है पर वो न सिर्फ अपना देख लेते है. ये सब चीज़े उनके हिसाब से गन्दी है तो है. तो इसीलिए वो नहीं करते. उनका भी प्यार ही है जो मुझे ऐसे ट्रीट कर रहे है. मतलब लंड से पेशाब निकलता है और वही मुँह में डालो.. पर मुझे मज़ा आता है सिर्फ मुँह मे लो तो क्या मज़ा? जब औरत मेहनत करके उस लंड को तैयार करती है के उसको उनके मुँह में लेने का फल मिले…
मुझे न माँ की ये सब बातें सुनकर मज़ा आ रहा था… मै तो और मज़े ले रहा था…
मै: तो उस दिन पापा…
माँ: तू मज़ा ले रहा है ना मेरी बातो का?
अरे मेरे दिमाग में सचमुच छोटा से छेद है.. जो बातो को लीक कर दे रहा है… गलत है… मुझे भी मौका मिलना चाहिए ना के मेरा होल्ड आये…
माँ: बेटे मै माँ हूँ तेरी.. सब पता चलता है… अब तू चल पैर खोल मै अपने घुटनो पर आती हूँ…
मै: माँ पोर्न मूवी में पोर्नस्टार जैसे करती है ऐसे करना चाहोगी? आप भी सीख लो.. मै लगाता हूँ..
माँ: हाँ वो अच्छा रहेगा… तुझे भी तो चाटना कैसे है मेरी चूत को तू वही सीखेगा ना..
मै: मैंने तो देखा है कई बार…
माँ: हाहाहाहा नालायक कही का…
मै: माँ अब ब्लाउज और ब्रा उतारो हाँ… बहुत हुआ.. वैसे भी आपको चूत चटवानी है तो घाघरा भी उतारना ही पड़ेगा।
माँ: मतलब नंगी होना पड़ेगा?
मै: माँ नंगी तो होना ही पड़ेगा ना.. सोच लो..
माँ: हम्म्म्म कमीना कमीना कमीना. चूत तो चटवानी ही है. पता नहीं कब मौका मिलेगा उसके बाद.
मै: तो आज का कार्यक्रम ऐसे ही थोड़ी खत्म कर देंगे?
माँ: तो?
मै: ये तो हम जब भी अकेले होंगे तब…
माँ: ये सब सिर्फ आज के लिए है।
ये क्या कर रही है माँ मेरे साथ??? माँ तो ये कार्यक्रम सिर्फ आज के लिए बोल के बैठ गई मेरे पैरो को हलके से खोल कर…
मै: माँ अगर सच में लास्ट टाइम है तो फिर ब्लाउज और ब्रा को तो निकालो ही…
माँ: तू नहीं मानेगा ना?
मै: माँ आप एक तरफ से बोल रहे हो के ये सिर्फ एक बार है… तो फिर…
माँ: हम सेक्स नहीं करेंगे ना?
मै: हाँ माँ सेक्स नहीं करेंगे पक्का!
माँ: ठीक है…
मै: तो BF लगा दूँ?
माँ: क्यों?
मै: आप भी तो देख लो.. एक बार करना है कैसे करते है पोर्न मूवी में..
माँ: तू बता दे।
मै: नहीं माँ आप देखो और आप सोचो फिर एक ही बार है तो मै भी मज़े करू ना…
माँ: नालायक तो तू है. ये बात मेरी मान ले…
माँ ने ब्लाउज और ब्रा निकाली तब तक मैंने बेस्ट ब्लो जॉब सर्च कर के सनी लियॉन की वीडियो निकाली.
मै: माँ नीचे का तो उतारो.
माँ: वक़्त है! सेक्स करने नहीं बैठे ठीक है? दिखा क्या देखना है… हम्म्म्म सनी लियॉन.. पढ़ा है पोर्न एक्ट्रेस से इंडस्ट्री में आ गई… तेरे पापा को पसंद है बहुत तभी तो…
मै: तो आपको बुरा नहीं लगता।
माँ: बुरा क्या लगाना चूत तो मेरी ही मिलने वाली है. पर बुरा तब लगता है जब पता है के पोर्न स्टार से पटक पटक कर सेक्स करते है मेरे साथ वो नहीं करते. बीवी बना कर हिफाज़त करते है.. अरे इज़्ज़त करो पर बिस्तर पर नहीं.. चल छोड़ उन बातो को.. वीडियो मेरे सामने रख और मुझे मज़े लेने दे… और तू बोल देना जब तेरा होने वाला हो…
माँ ने वीडियो देखना स्टार्ट किया… और ठीक वैसे ही लंड को चूसना स्टार्ट किया.. हर एक जैसे वो करती गई वो करती रही. जैसे टोपे पर जुबान घुमाई तो यहाँ भी लंड पर.. अंदर मुँह में लिया अंदर लिया…
मै: माँ देख इसने पूरा अंदर लिया…
माँ: मैंने पूरा अंदर तो पहले भी नहीं लिया था…
मै: तो क्या फायदा…
माँ: है ठीक है कोशिश करती हूँ… तू भी तो अपना हथियार चला ये देख कैसे चलता है…
और फिर मैंने भी अंदर घुसाने की कोशिश की… माँ देख कर उत्तेजित हो रही थी और मै उसे देख कर. माँ मेरे सामने देख भी नहीं रही थी. तो मेरी उत्तेजना उतनी नहीं बढ़ रही थी. मैंने मोबाइल किया साइड में और फिर माँ के चहेरे को पकड़ कर मेरे लंड को मुँह में अंदर बाहर करने लगा. पापा ने लंड तो चूसने दिया था पर शायद मेरी तरह चोदा नहीं था.. दस मिनट्स घपाघप करने के बाद मुझे ऐसा लगा के अब मै माँ को उनके मेहनत का फल देने जा रहा था… माँ उस टाइम पर जैसे मानो कोई लॉलीपॉप चूसता है न बच्चा ऐसा लंड पर सक्शन दिया.. और मै छूटा माँ के मुँह के अंदर दबा के.. मतलब पहली बार की तरह ही. माँ पूरा का पूरा वीर्य पी गई. चाट चाट कर लंड भी साफ कर दिया… मेरा चीखने चिल्लाने का प्रोग्राम बंद हुआ… मै हाफ रहा था…
मै: कैसा लगा?
माँ: अच्छा है पर खारा है… मुझे पर्सनली मज़ा आया…
मै: गुड. चलो नीचे का निकालो मै आपकी चूत चूस दू…
माँ: हम्म ठीक है..
माँ खड़ी हुई और उसने घाघरा नीचे उतार दिया. पेंटी पहनी थी वो निकालने में शर्मा रही थी… मैंने उनकी और देखा…
मै: माँ …
माँ: यही शब्द पर शर्म आ रही है. मै माँ हूँ तेरी।
मै: तो?
माँ: गर्लफ्रेंड हूँ ना तेरी?
मै: हा।
माँ: तो आज से तू मुझे शांति बुलाएगा. और ये आप आप छोड़. अब सिर्फ पैंटी में खड़ी हूँ तेरे सामने. तू बोलेगा तो चलेगा.
मै: माँ ये सब आप बोल रही है?
माँ: हाँ और नहीं तो और कौन है यहाँ…
मै: हम्म्म मै तुम बोल सकता हूँ पर माँ बोलना नहीं छोड़ सकता.
माँ: ठीक है एट लीस्ट तू तो बोल…
मै: माँ अब पेंटी तो निकालो।
माँ: तुझे बड़ी जल्दी हो रही है.
मै: ये मेरा जन्म स्थान है ना?
माँ: हाहाहा ये बात तो है… कभी तू निकला था यहाँ से आज तू इसे चाटेगा.. चल तू आँखे बंद कर, पहली बार है मुझे शर्म आ रही है…
मैंने आँखे बंद कर दी और फटाफट उसने पेंटी निकाल कर अपने घुटनो पर बैठ गई… और मेरे लंड को जब मुँह में लिया तब मुझे पता चला… एक तरह से देखे तो मैंने कपडे नहीं उतारे. माँ मेरे सामने नंगी है… उसे तो हथियार चाहिए था वो उसे मिल गया… सीधा मुँह में लंड ले कर माँ उसे मज़े से चूसने चाटने लगी… मैंने उसके बालो को ठीक किया और उसे देखने लगा.. वह मेरी आँखों को देख थोड़ा शरमाई और फिर अपने काम पर लग गई.. वो आधा ही अपने मुँह में ले रही थी. इस व्यू से मै अच्छे से देख पा रहा था के वो कैसे और कितना मेरे लंड को चूस रही है. ये बेहतरीन अनुभव मुझे हो रहा था. सुबह से भी ज्यादा.. मैने हलके हलके धक्के मारना शुरू कर दिया. माँ ने मेरी ओर देखा…मै: माँ.. मुझे करना पड़ेगा…माँ ने शर्मीली आँखों से देख कर मेरा साथ देना शुरू कर दिया… धीरे धीरे मै माँ के अंदर अपना लंड करीब 7 इंच तक उतार पाया. मै मज़े कर रहा था. सातवें नहीं 100वे आसमान पर. क्या बताऊ…
मै: आह… बहनचोद… ऊप्स…
माँ ने फिर मेरी ओर देखा और शरमाई. आँखे वापस झुका कर.. लंड चूसने लगी. जब जब नशीली आँखों से मुझे देखती मेरी धड़कने बढ़ जाती… और फिर एक टाइम आया माँ को वीर्य पिलाने का.. मुझे गालिया बोलने का तो ग्रीन सिग्नल मिल गया था…
मै: भोसडी की ले ले पूरा यू बिच. चूस रंडी चूस माय बेबी चूस कुतिया…
अब मैंने इंग्लिश पोर्न मूवी ज्यादा देखी थी तो वो वाले वर्ड्स ज्यादा आ रहे थे…
मै: आई ऍम कमिंग बेबी.. ओह यू सक बिच टेक इट डीप टेक इट डीप…
आहहहहहह मैंने सारा का सारा वीर्य माँ के मुँह में डाल दिया. माँ ने जैसे स्ट्रॉ से पीते है वैसे लंड को ऊपर निचे करके मेरे लंड को पूरा खाली कर दिया. बून्द बून्द तक पी गई चाट चाट कर साफ भी कर दिया… मै थका था और आँखे बंद कर दी… जब लंड थोड़ा ढीला हुआ…
मै: मज़ा आया. कैसा लगा वीर्य?
माँ: खारा था थोड़ा अच्छा था…मै खुश तो तब हुई जब तू मुझे इंग्लिश में गलियाँ बक रहा था. मुझे अच्छा लगा जब तू मुझे बोल रहा था…
तब तक वो वीडियो याद है मैंने साइड में रखा था सनी लियॉन का? उसमे से आवाज़ आने लगी. वहाँ सनी लियॉन की चुदाई चल रही थी. चूत में लंड और घपाघप. एक्टर उनके मुँह पर मार भी रहा था. और जोर जोर से पेल रहा था.. माँ भी देखने लगी…
मै: ऐसा तुझे पसंद है ना…
माँ: हम्म्म काश… खैर तू ये मुझे दे. मै देखती हूँ कुछ इसमें। तू मेरी चूत चाट… चल. और तू.. कपडे उतार! महाराजा पूरा पहन के बैठा है मुझे नंगी करके! चल …
मै तो माँ का ये रूप देख कर हैरान तो था ही पर एकदम मज़ा भी ले रहा था… मैंने खड़े हो कर अपने कपडे उतारे और माँ को मैंने सोफे पर बैठाया तो माँ सोफे पर लेट गई और मै चूत के मुख के हिसाब से उधर खिसका. वाह.. जैसे पोर्न मूवी में देखने को मिलता है वैसे ही.. ये चूत उतनी फटी हुई नहीं थी पर दो पैरो के बीच एक चीरा था जो मुझे मेरे होठो से भिगोना था. मै ये सब देखना चाहता था के मूतते कहा से है ये लोग. और लंड कौनसे छेड़ में डालना है.. माँ तो मोबाइल ले कर वीडियो देखने लगी थी…
माँ: क्या देख रहा है. ये रहा छेद काम पर लग जा. बस चुदाई बाकि रहेगी इसके बाद… जब ना ये चूत मै फाड् दूंगा तब ही ये मेरे हुक्म मानेगी. वरना अभी तक तो वही मालिक हम गुलाम. क्या गोरे गोरे नंगे पैर थे. मैंने दोनों पैरो को चौड़ा किया और फिर लक्ष्य की ओर बढ़ने लगा. मेरे हाथ जैसे जैसे चूत के पास आ रहे थे.
माँ: नहीं हाथ नहीं. अभी तू ऊँगली करेगा. मै सहन कर नहीं पाऊँगी और तेरे पापा रात को आने वाले है…मैंने यही मौके को झपट लिया…
मै ठीक बोल कर माँ की चूत के पास गया. क्या खुशबू थी.. मैंने मुँह लगाया तो उस पर पानी आलरेडी था. खारा सा पानी… मैंने चूत पहली बार चाटी और स्मेल किया. मुझे तो बहुत अच्छा लगा. मैंने तो जैसे ये मुँह से छुआ मुझे लगा वैसे… ऐसी नरम चीज़े भी होती है क्या? मुझे मन हुआ के मुझे इन्हे छूना है… मै जैसे ही हाथ नज़दीक लगाने गया. माँ ने नहीं लगाने दिया. ये कैसा एन्जॉयमेंट? ठीक है मुझे गुस्सा आया… मुझे सब याद है.. मम्मे दबाने को मिले चूसने नहीं मिले. चूत चाटने को मिल रही है पर छूने नहीं मिल रही है.. मै भी बदला लूंगा. अब तो मै पक्का बदला लूंगा… माँ ना बॉस बन रही है. उसे जो टाइप की मूवी पसंद है वैसे तो मुझे करने नहीं दे रही है… ठीक है मै तो चूत की गंध सूंघकर मदहोश हो गया था. बदला कैसे लू पर? पहले चाटना तो शुरू करू.. मैंने जैसे कुत्ते जीभ से अपने ओनर को नहीं चाटते? वैसे ही मेरी जुबान से चूत की दरार पर किया. और कुत्ते पानी पीते है वैसे ही मैंने एक दम फटाफट करना शुरू किया.
माँ तो पोर्न मूवी देख रही थी पर मेरे अजीब तरीके से वो चौंक गई और उनके पैर मेरे बदन पर आ गए… मेरा लंड तो लोहे जैसे कड़क बन चूका था. मै अपने हाथो से लंड को मुठियाने लगा. इतनी गोरी चिट्टी कोई पोर्न स्टार मूवी की माडरचोद रंडी.. क्या क्या दिमाग में आने लगा था. मै माँ को गाली वापस बकने लगा था… माँ ने मोबाइल रखा साइड में और मेरे माथे को चूत में जोर से घुसा दिया… मुझे लगा माँ को कुछ हो रहा है.. पर ये मेरे लिए पूरा नया अनुभव है… जैसे रंडिया मूवी में झड़ जाती है वैसा कोई ड्रामा होने वाला है? माँ की चूत ने थोड़ा पानी निकालना शुरू किया. अजीब लग रहा था पर मज़ा हद से ज्यादा आ रहा था… माँ ने एक सीख दी…
माँ: प्लीज जीभ को अंदर डालो.. आह्हह्हआआआ चूत के अंदर प्लीज… अंदर डाल हरामी… आह….
मै समझ गया. माँ का कार्यक्रम खत्म होने पर है… एक मिनट… मेरा साला हरामी दिमाग. माँ अभी मेरे कब्ज़े में है यही एक मौका है जब माँ कब्जे मे आ सकती है. और मै चूत चाटता रहूँगा? ना जी ना.. मुझे तो ये मौका चाहिए ही चाहिए… माँ के हाथो को हटाते हुए मैंने चूत चाटना छोड़ दिया…माँ: चूतिये साले… क्यों रुक गया? माँ गुस्से में थी. लगा के कुछ हाथ लग गया तो मार देगी. माँ के मुँह से गाली आज मै बहुत सुन रहा था…
माँ: भोस्डि के क्या देख रहा है… तेरा माल पिया तो लौड़े मेरा माल नहीं पी सकता. मादरचोद….
पर मुझे इसे ऐसे हैंडल करना था के मै माँ पर होल्ड कर सकु।
मै: नहीं माँ ऐसा कुछ नहीं है…
माँ: चूतिये चूत से खड़ा क्यों हो गया. मेरा होने वाला था…सच में औरत कैसी हो जाती है ना अगर उसकी चूत पर बात आ जाये तो?
मै मज़े कर रहा था. पर बेचारी माँ एकदम बेचारी बन चुकी थी. उसके पास कोई चारा नहीं था. पर भड़की हुई औरत…
माँ: क्या चाहता है तू भोस्डिके…
मै: माँ ना ही मुझे मम्मे चूसने देती हो न ही मै चूत को छू सकता हूँ… मज़े तो सिर्फ आपके हो रहे है मै तो…माँ ने मुझे रोक दिया…
माँ: चूतिये साले तेरा लंड तो लिया मुँह में और क्या करू? तेरा वीर्य भी पिया. भोस्डिके आ गया मर्द औकात पे..?
मैंने माँ का गुस्सा देखा यहाँ. अगर मै माँ को अपने अंडर लाना चाहता हूँ. तो मुझे यहाँ धीरज से काम करना है. मुझे ऐसा रास्ता निकालना ही निकालना है के जिससे माँ को ऐसा भी लगे के मुझे उनकी परवाह है पर हाथ ऊपर मेरा ही हो. मुझे बॉस बनना पड़े तो मुझे थोड़ा पीछे हटना पड़ेगा.
माँ: क्या सोच रहा है?
मै: माँ ऐसे मै भी गुस्सा हो सकता हूँ. मै भी तो सोच सकता हूँ न के मेरे सामने एक खूबसूरत नंगी औरत लेटी हुई है पर मै उन पर लेट नहीं सकता. ना ही मम्मे छू सकता हूँ ना ही चूत. एक जवान लड़का महज़ 18 साल का अगर एक नंगी औरत जो उनकी माँ है उनके साथ ऑलमोस्ट ओरल सेक्स कर रहा है. यहाँ उनकी माँ उसे चूत चाटने को बोल रही है पर किसी को छूने से मना कर रही है… खुद का काम हो गया तो भाड़ में गया बेटा. माँ नहीं लगता ऐसा के आपको सीरियसली सोचना चाहिए. एक तरफ से आ ये भी बोल रही है के ये आखिरी बार है. आप ने मुझे समझ क्या रखा है…?
माँ को सीरियसनेस अब पता चली. एक तरफ उसे अब होश आया. अब मेरा होल्ड माँ के ऊपर आ रहा था. धीरे धीरे…मेरा गुस्सा झूठ मूठ का था. पर बात परफेक्ट थी. माँ को ये मानना जरुरी था. माँ का गुस्सा शांत हुआ पर वाह क्या अदा है माँ की. माँ की चूत को कुछ चाहिए था. दिमाग को कुछ और. माँ सोफे पर उठी तो भी लगा के सनी लियॉन मेरे साथ बैठी है. माँ का जिस्म वाओ कैसे बयां करू. चिकनी चूत पैरो के बीच में छुप सी गई. भरी भरी मम्मे पे निप्पल का दाना छूने पर पता नहीं हो रहा था उतना देखने पर पता हो रहा था. मुँह में लूंगा तब तो… क्या कहना यारो…
माँ: देख लिया?
मै: हम्म्म्म!
माँ: देख तू जो चाहता है वो नहीं हो सकता.
मै: पर ऐसा क्यों?
माँ: क्योंकि तू मेरा बेटा है..
मै: तो इतना भी क्यों?
माँ: तू नहीं समझेगा..मै: मुझे समझना है बताओ मुझे.. माँ: मुझे भी हक़ है जीने का. मुझे जो खुशियाँ चाहिए है वो नहीं मिल रही है।
मै: माँ मै वो ख़ुशी देने के लिए तैयार हूँ।
माँ: पर तू मेरा बेटा है…
मै: बहुत हुआ बेटा बेटा. एक तरफ से आप मुझे तुम कह कर बोलने के लिए भी बोल रही हो माँ तक मत बोलने के लिए बोली. नंगी भी हो गई हो मेरे सामने. मेरा लंड चूस लिया चूत चटवा ली. और अब क्या बाकि है? मेरे पास भी लंड है जो आपको चाहिए..
माँ: पर रिश्ता?
मै: ये देख रहे हो मेरा लंड? खड़ा हुआ ना? उसे पता है के ये चूत किसकी है? मेरी माँ की है या नहीं है… और ये चूत. इसे पता है क्या के ये मेरे बेटे का मुँह है. हो रही है न गीली…मै एक दम ना बिंदास हो चुका था. भाड़ में गया संस्कार. अब तो मुझे माँ पर होल्ड करना ही है… तभी तो बात आगे बढ़ेगी.
माँ: हम्म्म पर बेटा…
मै: समीर नाम है मेरा क्या? समीर! बॉयफ्रेंड हूँ तेरा…
मैंने अपनी जान लगा दी माँ से तू तड़ाक करने के लिए. काफी हिम्मत चाहिए थी. क्योंकि 18 इयर्स का हो चुका कभी तू करके नहीं बोला. और आज… पहली बार इतना कुछ एक ही दिन में. मुझे तो शक हो रहा था के मै सपना तो नहीं देख रहा? पर लंड तो मुँह में था ही… तो सपना नहीं है… लोल मै भी ना.. क्या क्या सोच रहा था…
माँ: ठीक है समीर. पर एक शर्त पर. ये सिर्फ एक बार ही होगा.
ठीक है.. मुझे सिखा तो दो कैसे चुदाई होती है. एक बार आ गया और एक बार घिस लू बराबर फिर मजाल है के तू मुझे बोले के मत आइओ मेरे नजदीक…
मै: एक बार मतलब. तू मुझे सिखाएगी वो काउंट नहीं होगा….क्या मै भी. आज मुझे अहसास हो रहा है के मै ये क्या कर रहा था. माँ मेरे सामने नंगी पड़ी थी. धीरे धीरे सहला फुसला के अभी तक तो लंड को चूत में घुसा दिया होता. और शायद पहली बार है तो हो सकता है के झड़ भी गया होता… आहहहहहह क्या मचल रहा है मन मेरा के माँ की चूत में सिर्फ लंड नहीं… उम्म्म्म मै वीर्य अंदर डालूंगा… आहहाआआआ… पर मै अनाड़ी था पहली बार में… दोनों अनाड़ी होता तो चल जाता. पर यहाँ माँ प्यासी और एक्सपेरिएंस्ड है…
माँ: मतलब?
मै: माँ पहली बार आप मुझे सिखाओगे के कैसे करना है और दूसरी बार मै खुद करूँगा…
माँ: तू पक्का कमीना बन चुका है…
मै: हाँ तो मै खुद करू तो ही काम का ना. वरना मुझे तो कुछ पता नहीं. आता नहीं और फिर…
माँ: हम्म ठीक है तू नहीं मानने वाला. (वो धीमे से बोली)
झड़ने के कगार पर हो ना औरत वो सारी शर्त मान ही लेती है…
मै: क्या बोली?
माँ: कुछ नहीं.. बोल क्या करना है…
माँ ने मेरी आँखों में देखा और मैंने उनकी… दोनों लगे. मेरे हाथ थोड़े ऊपर आये और माँ के चहेरे पर रखे. माँ समझ गई के मै किस के लिए ये सब कर रहा हूँ. अब सबकुछ होना ही है तो ये भी होगा… माँ मेरे नज़दीक आने के लिए उन्होंने भी अपना हाथ ऊपर किया मेरे गाल पर रखा… उसने तो आँखे बंद कर और होठ को देख कर मै दंग रह गया के माँ के होठ तो काफी खूबसूरत है. ला जवाब है. गुलाबी गुलाबी.. उसके होठ थोड़े से खुले हुए थे…. पर एकदम सुर्ख लग रहे थे. मै करूँगा उसे गीला अभी के अभी… मैंने उसको जोर से अपनी और खींच कर किस कर दिया… ये मेरा भी हाल था… मेरे दिल की धड़कने मेरे गले से पानी उतरने नहीं दे रही थी. मेरे होठ भी सुर्ख थे… मैंने माँ के सर पर बालो के पीछे से उसे मेरी और खींचने लगा. माँ भी वैसा ही कर रही थी.. हम दोनों इंटेंस होते जा रहे थे. एकदूसरे से बेहतर किश कौन कर सकता है मानो वैसी स्पर्धा थी. माँ और मेरी साँसे गर्म गर्म टकरा रही थी. मेरे वीर्य की और माँ की चूत की खुशबु घुल मिल रही थी.
कुछ ऐसा माहौल जो आज तक कभी महसूस ही नहीं किया.. माँ बहती जा रही थी.. मैंने माँ को उनकी छाती पर हाथ घुमा कर मेरे बदन के साथ चिपका लिया और उसके पीठ पर हाथ घुमाने लगा. माँ का साथ पूरा का पूरा था. माँ ने मुझे खींचा.. अरे ये क्या कर रही है? मै तो किश करते करते जो वो किये जा रही थी साथ दे रहा था. उसने मुझे धीरे धीरे उसके ऊपर ले लिया.. किश टूटने नहीं दी. वाओ हाउ रोमांटिक. अब मै माँ के ऊपर आ गया था. कब आ गया मुझे भी पता नहीं चला, ऐसे माँ ने मेरा साथ दिया. माँ का बदन वैसे भरावदार है नरम गाड़ी सा है. एकदम मीठा मीठा है. बहुत ही कूल लग रहा था मुझे… आआआ क्या अहसास था क्या अहसास था क्या बताऊ? आह्ह्ह्हह्ह्ह्हह!
माँ ने कब अपने पैर खोले. कब ना जाने मै उन दो पैरो के बीच में उनके ऊपर आ गया. मुझे ऐसा लग रहा था के मै जन्नत से सिर्फ 1 कदम दूर हूँ… दोनों के बदन एकदूसरे से एकदम चिपके हुए थे. मेरे हाथ माँ के बदन को यहाँ वहाँ छू कर एक्स्प्लोर कर रहे थे. मम्मे दबा रहा था निप्पल को तो मैंने थोड़ा खींच ही लिया. इस टाइम पर माँ ने उम्म्म्म किया, वो भी जब मेरा और उनका मुँह एकदूसरे से किस कर रहा था. मुझे बहुत मज़ा आया.. मैंने और खींचा… और उनकी आवाज़ उसका मुझे लगा के ज्यादा देगा… हाय राम कैसे करे अपने पर कण्ट्रोल जब ऐसी खूबसूरत चीज़ आपके बदन के नीचे लेटी हो. आह्ह्ह्ह मेरा लंड माँ की चूत के ऊपर ही अपने आपको माँ की चूत से नहला रहा था. कब चूत और लंड आपस में टकरा गए थे.. कब दोनों भी एक दूसरे से घुल मिल गए थे पता नहीं चला.. पर जैसे चूत मेरे लंड को बोल रही थी… डोंट वरी आई विल टेक केयर ऑफ़ यू ओके? जस्ट रब मी फॉर समटाइम. लेट मी वेट फॉर फ्यू मिनट्स…. 5 मिनट के कश्मकश के बाद जैसे मुझे मन हुआ के मेरे मुँह को माँ के बदन का अहसास भी करना चाहिए. मैंने आँख, गाल, फॉरहेड पर किश करी..
माँ एकदम खुश हुई… माँ के मुँह पर स्माइल था. आँखे बंद ही रखी थी. मैने फिर कान को काटा. गले पर किश करता हुआ वहाँ आया जहा मेरे मुँह को असली काम करना था और वो था मम्मे चूसना. बचपन में चूसा था. यही चूसा था. तब तो इस पापी पेट का सवाल था. पर आज हवस से भरपूर मन था. ऐसा था के आज चूस चूस के इसमें से कुछ निकालूँ. बच्चा था तब तो अपने आप चूस लेता था. पर आज तो बात अलग थी… मै मम्मे के पास आया और जैसे मेरे और मम्मे के बीच में बातचीत चल रही हो… निप्पल उसका राजा… ये सब चीज़े मैंने पढ़ी थी और वो सब ज्ञान, मै मन ही मन में दोहरा रहा था…
मै: मुँह में लू?
निप्पल: ले ले पर बारी बारी से दोनो को लेना।
मै: थोड़ा काटूंगा है?
निप्पल: क्यों भला? चूसो न खाली! काटो मत! पता है मै औरत का सबसे सेंसिटिव अंग हूँ. अगर मुझे थोड़ा सा भी ज्यादा दर्द हुआ ना तो औरत का पूरा मूड ख़राब हो जायेगा…
मै: तो मै क्या करू?
निप्पल: हलके से सहलाओ ताकि उसे और भी इंटिमेट लगे. मुझे चुसो मगर प्यार से इतना प्यार से के बस वो मेरे पडोसी निप्पल को सामने से तुझे मुँह में दे… मुझे या बाजु वाले निप्पल को चूस कर औरत को जीत जाओगे ना. उसे मज़ा आ जायेगा…
तभी माँ बोली..
माँ: चुसो ना प्लीज?
और जैसे मुझे परमिशन मिल गई… मैंने हलके से निप्पल पर मेरी टंग घुमाई. माँ के मुंह से आह निकल गई…
माँ: ऐसे मत कर कुछ होता है..
मै: मज़ा आ रहा है या कुछ और?
माँ: मज़ा तो हद से बाहर आ रहा है पर.. प्लीज ना..
ऐसा मत कर कुछ कुछ होता है…
मै: तो करने दो ना. मज़े करो…
माँ: अरे पर ये सहन नहीं होता मुझसे…
मै: तो यहाँ क्या सहन करने बैठी हो?
माँ: तेरा लंड है ना अभी.. बड़ा और मोटा है तेरे पापा से वो भी तो सहन करना है ना….
मै फिर भी लगा रहा एक निप्पल पर सिर्फ टंग घुमाता रहा.. उसे अपने आपको थोड़ा कर पर के मेरे होठ तक निप्पल दे दिया… फिर मैंने होठ नहीं खोले तो फिर उसे अपने हाथ से मम्मे को थोड़ा दबा कर निप्पल को ऊपर कर के मुझे चूसने का आह्वान किया.”हे भगवान”…. क्या करू इस औरत का. कैसी भूखी है ये औरत.
मैंने फिर और नहीं तड़पाया और फिर उसे मुँह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा. इतना चूसा इतना चूसा के
माँ अअअअअ ह्ह्हह्ह्ह्ह ऊईईईईईई धीमेएईईए समीईईएएर…. आआआउउउउउउउउछ्छःह आहहहहहहहहह…. मैने भी एक मम्मा छोड़ा तो दूसरा, दूसरा छोड़ा तो पहला… लगा रहा…. अब मै अपने आप को ना काबू से बाहर होते हुए देख रहा था. अब ऐसा था के करने को मन तो काफी कुछ था पर पहले अब हो जाए लंड का काम. दूसरी बार चुदाई के टाइम पर कुछ करूँगा जो बाकि बचा था. अब रहा नहीं जा रहा था.. मै माँ के बदन से खड़ा हुआ…
माँ: कहा जा रहे हो?
मै: कही नहीं जा रहा. बस लंड को अब तो चूत में डालना ही पड़ेगा. वरना झड़ जायेगा. नहीं रहा जा रहा… चलो अब सिखाओ…
माँ: हाहाहाहाहा ओके… ठीक है… यहाँ नहीं जमेगा सोफे पर बिस्तर पर चलते है…
माँ खड़ी हुई और फिर माँ मुझे अपने साथ लेकर गई नीचे रूम पर ही जहां मेरा कमरा था… नंगी औरत जा रही थी. गांड मटक मटक हो रही थी… मेरे लंड ने ना अब अगर नहीं मिला सहारा तो जवाब दे देना है है बता रहा हूँ अभी से…
मै: मेरे रूम में?
माँ: हाँ तेरे बिस्तर पर.
मै: क्यों?
माँ: पहली चुदाई है तेरे बिस्तर पर रहेगी तो याद रहेगी।
मै: माँ वो मैंने कुछ पहना नहीं है.. वो कंडोम!
माँ: कोई नी.. मै पिल लेती हूँ..
मै: अंदर ही झाड़ूँ ना?
माँ: ऑफ़ कोर्स थिस इस योर फर्स्ट टाइम. डोंट थिंक टू मच! नहीं तो ये लंड जो है न वो टेंशन में कड़क नहीं रह पायेगा… इतना परेशान मत हो. चूत है डालना है ठीक है?
उमेश भाई याद आ गए सही बोल रहे थे पहला सेक्स अगर चुदी हुई औरत सिखाये तो बात ही कुछ अलग है…
मै: ह्म्म्म!
माँ: अरे टेंशन मत ले चल… माँ बिस्तर पर सो गई और अपने पैर फैला दिए…
माँ: चल आजा अब इधर मेरे सामने…
मै: माँ चूत नहीं चटवानी?
माँ: चूतिये ये सब टेंशन मत ले. अगर गीली करनी होती तो पहले मै तुझे बोलती के चाट. पर इतनी गीली हो चुकी है के अब कोई परवाह नहीं है. चूत बाद में चाट लेना. चटवाउंगी तो जरूर पर अभी नहीं. अभी प्लीज…
मै पलंग पर गया. मेरा पलंग सिंगल बेड था. और अभी चुदाई के लिए डबल बेड को जरुरत ही कहाँ है… मैंने माँ के पैर फैलाए हुए आसन में पैर को और चौड़ा किया और फिर लंड को चूत के ऊपर रखा. मेरे दिल की धड़कने शायद मेरे पापा के ऑफिस तक सुनाई दे रही होगी. इतनी जोर जोर से धक् धक् हो रही थी…. मै ना थोड़ा सा टेंशड हो गया… मेरा लंड थोड़ा नरम हो गया… माँ समझ गई.. क्या हैंडल किया साली ने वाह.. मान गए…
माँ: समीर. प्लीज मुझे चोदो ना. ऐसे चोदो ऐसे चोदो के बस चोदते ही जाओ. लंड को अंदर तक घुसाना है. सनी लियॉन को देखा था ना क्या हाल बनाया था. प्लीज ऐसा हाल कर दो…. मै मना करू तो भी चोदते ही जाओ चोदते ही जाओ.. प्लीज… मै हाथ जोड़ती हूँ.. चोदो मुझे.. मेरी चूत का भोसड़ा बना दो. ये देख मेरी चूत? मेरे मम्मे भी कब से बोल रहे है काटो मुझे! जब झड़ो तो दांतों के निशान छोड़ दो… प्लीज समीर….
ये वर्ड्स सुन कर तो मेरा लंड वापस खड़ा हो गया… माँ बोलते समय अपने मम्मे मसल रही थी. पोर्न स्टार जैसे होठो के मूव कर रही थी. अपने होठो पर टंग चला रही थी. अहहहहहहहहहहहहह क्या बताऊ… मैंने लंड का टोपा उठाया और वापस चूत के छेद पर रखा… इस बार तो चीर ही दूंगा इस चूत को सोच कर धक्का तो दिया पर ना लंड की चमड़ी पीछे खींची चली जा रही थी. वो अहसास… लंड की चमड़ी पीछे जा रही थी और मेरी उत्तेजना और भी बढती जा रही थी… मै झड़ जाऊंगा मै बता रहा हूँ.. मै चूत में डालने से पहले ही झड़ जाऊंगा… पर माँ के उत्तेजित वर्ड्स मुझे उकसा ही रहे थे… मैंने जोर से एक धक्का दिया पर लंड फिसल गया… करीब 5 मिनट और ऐसी कश्मकश में निकल गए और फिर एक आखिरी धक्का घुसेड़ दिया लंड के टोपे को चूत में…
माँ के मुँह से आउच निकल गया.. क्योंकि कब से कर रहा था और जा नहीं रहा था. तो इसबार तो उसे ऐसा कोई यकीन नहीं था पर मैंने घुसेड़ दिया… मै भी आआआआआह कर रहा था… क्योंकि मुझे थोड़ी जलन हो रही थी अपने लंड पर… मै हाँफ चुका था…
माँ: आह्ह्ह्हह्ह. इस बार डाल दिया तूने… बहुत मोटा है…. आए… उम्मम्मम हम्म्म्म बस अब रुक थोड़ी देर.. तुझे दर्द….. हुआ?
मै: आहअम्म्म…. हम्म्म्म लगता है के चमड़ी खींच गई है…
माँ: रुक रुक कुछ मत कर थोड़ी देर रहने दे….
मै: मुझसे रहा नहीं जा रहा….
माँ: होता है पहली बार… पर अब तो बस घुसेड़ना ही है…
माँ का ये वर्ड काम कर गया मेरे लंड की माँ की चूत से दोस्ती हो चुकी थी… करीब 4-5 मिनट बाद ड्रिलिंग चालू हुआ… कुछ कुछ बातें खुद ही आ जाती है.. उसे सीखने की जरुरत किसी को नहीं पड़ती. मैंने धीमे धीमे धक्के मारना शुरू किया. मेरा दर्द थोड़ा कम हुआ था पर मज़े का पोरशन ज्यादा हो गया… मै माँ के मुँह के एक्सप्रेशन देख रहा था…
मै: दर्द हो रहा है…
माँ थोड़ा गुस्सा हो गई…
माँ: गर्ल फ्रेंड समझ के चोद. रंडी समझ ले चाहे. पर दया मत दिखाना. करता रह…
मै: पर शांति देख तो सही तुझे दर्द हो रहा है..
माँ: है थोड़ा मोटा है.. एक इंच जितनी चूत मेरी चौड़ी हो गई है. कोई सरिया डाला हो ऐसा लग रहा है।
मै: गरम गरम भट्ठी में सरिया गया है शांति. तेरी चूत भी इतनी गरम होगी नहीं पता था….
मै और माँ ने एकदूसरे के सामने देख कर फिर से हलका सा किश किया और फिर किश करते करते मैंने पम्पिंग करना चालू किया .धीरे धीरे मेरा लंड माँ के चूत को सूट हो गया था. मै पेले जा रहा था. और माँ की दर्द भरी आहे बदल कर सेक्सी आहों में तब्दील होती जा रही थी…
माँ: बस बस समीर और नहीं जायेगा… तेरे बाप को आज मेरी चूत जरूर से चौड़ी लगेगी…
मै: उसे छोड़ अभी.. पर अभी मेरा लंड अंदर नहीं गया. देख और भी बाकि है…माँ के एक्सप्रेशन ने मुझे हिला डाला और वापस मै माँ के ऊपर अपने आपको सेट कर के किश करते हुए.. मम्मो को दबाते मसलते हुए माँ को एक जोर का झटका दे कर पूरा लंड अंदर घुसा दिया.. इस बार माँ का अनजाने मे वीक पॉइंट पकड़ लिया था। माँ में अचानक से इंटेस ताकत आ गई. मुझे मेरे पीठ से एकदम से खींच कर होठो पर जोरदार चुम्बन करने लगी… मुझे अपनी और बहुत ही जोर से खींच लिया.. मुझे लगा के माँ को अचानक क्या हुआ है… माँ ने अपने हाथो से मेरे गांड पर रख कर मुझे जैसे इशारा किया के मै ऊपर नीचे ऊपर नीचे करना चालू रखु..
मै: नहीं मानोगे आप पर मेरा लंड तो चूत में जैसे अंदर फिसल रहा था… अअअअअअअह जी स्पॉट.. पढ़ा था मैंने.. कही मैंने वही तो हिट नहीं कर लिया… हम्म्म्म बराबर वही…
माँ तो और अकड़ती जा रही थी… मुझे बहुत ही अजीब फीलिंग हो रही थी.. मै कुछ नहीं कर रहा था.. पहली बार कोई औरत मुझसे झड़ गई थी.. तो मै उनको निहारने में था. मतलब के अनुभव को देखने में. मैंने पढ़ा था के जब औरत एक बार झड़ जाये फिर कोई प्रॉब्लम नहीं. फिर जैसे चोदो छोड़ सकते हो. पर माँ एकदम शांत हुई…. उसने आँखे खोली…
माँ: समीर तू नहीं जानता इतना अच्छा अनुभव मुझे आजतक नहीं हुआ. बहुत ही अद्भुत हुआ ये… पता है तुझे… वो… हाहाहा… इतना आअह्ह्ह्ह..
माँ हँसे जा रही थी. मतलब बहुत ही खुश थी. माँ के जी स्पॉट तक मै पहुंचा था. या पहुँचने वाला मै पहला आदमी था. अब मेरा काम था मेरा काम पूरा करने में.. काफी चीज़े छूट रही थी.. पर पहली बार में इतना भी बहुत था. अब मैने धीरे धीरे पम्पिंग करना स्टार्ट किया… माँ एक दम से गंभीर हो गई.. गंभीर? ना वो एकदम कंसर्नड हो गई के अब मुझे ख़ुशी दिलानी है… उसने धीमे धीमे अब मेरे पीठ पर हाथ फिराया और मुझे अपने सीने से और लगाने लगी.. मेरी पोर्न मूवी देखने की आदत को ध्यान में रखते हुए…
माँ: फ़क मी बेबी… डीप इनसाइड. यू नो व्हाट यू जस्ट हिट माय जी स्पॉट… डीप इनसाइड… स्क्वीज़ मी बेबी.. टफ एंड बी हार्ड… यू सोन ऑफ़ द बिच. पंप मी डीप… आअह्हह्ह्हा सेकंड टाइम.. आह्ह्ह्हह!!!
माँ दूसरी बार झड़ गई… मै बहुत खुश था. मै सातवे आसमान पर था. शायद 100 आसमान है तो हाँ मै वहीं था.. माँ के बदन से मिलाप होते होते मैंने करीब इस मुद्रा में करीब 10 और मिनट चोदा और फिर मै एकदम आक्रामक हो गया क्योंकि मै झड़ने की कगार पर था. मुझसे रहा नहीं गया मैंने माँ के मम्मे को मुँह में लेकर चूसते चूसते चूत में ही आखिरकार झाड दिया. माँ उस टाइम पर तीसरी बार झड़ गई…. मै और माँ जोरो से चिल्ला उठे थे और फिर दोनों आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह क्या बताऊ दोस्तों…. मै बहुत ही आनंदित था… कितना ज्यादा कितना ज्यादा के लगा के मेरे बदन से अब खून भी निकल जायेगा अगर सीधी लाइन है तो… बहुत ही मज़ा आया… माँ के अंदर जो पिचकारी मैंने उड़ाई है…. बात न पूछो…. शायद चूत से बाहर भी निकला होगा मेरा वीर्य. मैंने उस टाइम नहीं देखा कुछ भी.
मै और माँ जैसे नए नवेले दूल्हा दुल्हन हो ऐसे चिपके हुए थे. किश कर रहे थे इंटेंस थे. मै जवान था पर माँ भी कुछ कम नहीं थी बिस्तर पर. थोड़ी देर और किसिंग हुआ तो मेरा लंड चूत के अंदर ही फिर अंगड़ाई लेने लगा और फिर मैंने माँ की चूत में पम्पिंग चालू किया. वापस मैंने चुदाई चालू की. माँ का पूरा साथ. इस बार टाइम लगा पर करीब और 10 मिनट्स के बाद मैंने फिर से माँ के चूत में एक और बार पिचकारी छोड़ी. माँ भी 2 बार बीच में झड़ी… दोनों थके हुए करीब दोपहर के 3 बजे थे और दोनों सो गए… एकदूसरे को बहो में लिए… नंगे ही…
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