पागल लड़की बेटी बनकर चुदी

Desi Sex Story: ट्रिन! ट्रिन! ट्रिन! ट्रिन! टेबल पर पड़े मेरे मोबाइल की रिंग से मैं चिहुंका। मैंने मोबाइल उठाकर स्क्रीन पर नज़र डाला और वापस रख दिया…. ये मेरे द्वारा सेट किया हुआ डेली अलार्म था. मेरा नाम रोहित सक्सेना है और मेरा ट्रेवल एजेंसी का बिज़नेस है वैसे तो मेरा बिज़नेस बहुत बड़ा नहीं है कुल 4 लोग जॉब करते हैं… लेकिन इस काम में व्यस्तता बहुत रहती है, मैं अक्सर अपने काम में इतना खो जाता हूँ की मुझे समय का ध्यान ही नहीं रहता और १० बजे के बाद मुझे काम करना बहुत पसंद नहीं, इसलिए मैंने अपने मोबाइल पर अलार्म लगा रखा है। दरअसल ऐसा मैंने अपनी पत्नी प्रेमा के कहने पर किया है, जब मेरी नयी नयी शादी हुई थी तब मेरे पास रहने के लिए अपना घर भी नहीं था। उन दिनों हमलोग किराए के मकान में रहते थे जिसकी वजह से मेरी कमाई का एक बड़ा भाग रेंट पर चला जाता था। परिणाम स्वरुप मैं प्रेमा के लिए ज़्यादा कुछ नहीं कर पाता था। मुझे इस बात का हमेशा अफ़सोस रहता था, फिर मैंने एक दिन अपनी नौकरी छोड़ दी और ट्रेवल एजेंसी का काम शुरू कर दिया तकदीर ने मेरा साथ दिया और मैं कामयाब होता चला गया।

Desi Sex Story

Desi Sex Story Hindi

चंद सालो बाद हमारे पास अपना घर और अपनी गाडी दोनों हो गयी। मैं खुश था सब कुछ ठीक चल रहा था. बस जैसे जैसे मेरी कमाई बढ़ती गयी मैं अपनी बीवी और बेटे से दूर होता चला गया। मैं रोज़ देर से आने लगा एक दिन प्रेमा ने मुझे समझाया और उसके कहे मुताबिक मैंने कुछ स्टाफ बढ़ा दिया और घर जल्दी आने की कोशिश करने लगा। इस बात पर कई बार मेरा और प्रेमा का झगड़ा भी हो जाता था। फिर एक दिन उसी ने मेरे मोबाइल ये डेली अलार्म सेट कर दिया, तब से आजतक मैं अपने नियमित समय पर ऑफिस निकल जाता हूँ। हालांकि अब घर पर मेरा इंतज़ार करने वाला कोई नहीं है प्रेमा का 5 साल पहले एक हादसे में देहांत हो गया। तब मेरी उम्र 37 साल थी और मेरा बेटा संजय 14 साल का था. प्रेमा की मौत के बाद मैंने दोबारा शादी करने का विचार त्याग दिया, कुछ दिनों तक मैंने संजय को किसी तरह की कमी नहीं होने दी, लेकिन जैसे जैसे वक़्त गुज़रता गया, प्रेमा की याद धुंधली होती चली गयी उसके बाद मुझे औरत की कमी महसूस होने लगी।

मैंने अपने एक दोस्त को अपनी समस्या बताया उसने कहा

“तुम्हे इस आयु में शादी करने की ज़रूरत ही क्या है संजय 14 का हो चुका है वो अब माँ के बगैर भी रह सकता है। रही बात तेरी तो तुम बाहर से काम चला सकते हो।

बहार से मतलब.. मैंने उससे पूछा.

अबे गधे…. मैं एस्कॉर्ट की बात कर रहा हूँ इस उम्र में शादी करने से अच्छा है नयी नयी लड़कियों की जवानी का मज़ा लूटो. तुम तो लक्की हो प्यारे! कोई रोकने वाला भी नहीं है। उसने हस्ते हुए कहा.

उसकी बात सुनकर मेरा मन भी गदगद हो गया. लेकिन….संजय को पता चला तो…? मैंने डरते हुए पूछा।

उसका भी हल है…उसे बोर्डिंग भेज दे पढ़ने के लिए। फिर लड़कियों के लिए बहार जाने की भी जरुरत नहीं। घर पर बुलाओ बीवी की तरह रात भर मज़े लो और सुबह तक भूल जाओ।

उसने आँखें चमकाते हुए कहा. मैं उसके प्रभाव में आ गया और अगले दिन ही मैं संजय को लेकर बैंगलोर चला गया और उससे बोर्डिंग में डाल दिया. तब से आजतक मेरा नयी नयी लड़कियों को घर बुलाकर भोगने का सिलसिला चालू है. हालांकि मैं ऐसा रोज़ नहीं करता, सप्ताह में 1 या 2 बार ही ऐसा करता हूँ. मैंने ऑफिस बंद किया और अपनी गाडी में घुस गया…अगले ही पल मेरी गाडी हवाओं से बात करती हुई सड़क पर दौड़ने लगी। आज मेरे मन में कोई कमसिन लड़की को चोदने का विचार था, मै जल्द से जल्द घर पहुंचना चाहता था. इसलिए मैंने गाडी को हाईवे में डाल दिया और तेज़ रफ़्तार से जाने लगा. अचानक ही मेरी नज़र हाईवे पर खड़ी एक लड़की पर पड़ी, वो ऐसी जगह खड़ी थी, जहाँ न तो बस स्टॉप था न ही कोई सिग्नल। मुझे उसे अकेले देखकर आश्चर्य हुआ, जैसे जैसे मेरी गाडी उसके नज़दीक होती गयी मैं गाडी का रफ़्तार भी काम करता चला गया। उस लड़की के पहनावे से लगता था वो कोई अच्छे घर की लड़की है. मेरी गाडी अब उसके नज़दीक पहुंच चुकी थी लेकिन इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता वो उस लड़की ने एक छलांग मारी और मेरी गाडी के आगे आ गयी. मैं लगभग गाडी के ब्रेक पर चढ़ गया गाडी चर्राती हुई एक झटके में रुक गयी।

इससे पहले कि मैं उसे कुछ कहता उसने एक और अचम्भित कर देने वाली हरकत की, वो लड़की पलक झपकते ही मेरी गाडी का दरवाज़ा खोल कर अंदर आ गयी. मैं हैरत और फटी फटी नज़रों से उसे देखने लगा. मेरे समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था मै भय और बैचेनी से मरा जा रहा था.

“कौन हैं आप….?” बड़ी मुश्किल से मेरे मुंह से ये शब्द निकले.

“गाडी चलाओ….” उसने गुर्राते हुए कहा.

लेकिन आपको जाना कहाँ है….और इस तरह मेरी गाडी में ज़बरदस्ती बैठने का मतलब क्या है” मैंने साहस बटोर कर उससे प्रश्न किया.

“तुम्हारे घर में कौन कौन है” उसने उल्टा प्रश्न किया. उसकी आवाज़ में एक कठोरता थी.

“कककोई….नहीं मैं अकेला रहता हूँ और मेरा घर भी बहुत छोटा है और मैं अमीर आदमी भी नहीं हूँ” मैंने हकलाते हुए कहा.

“डरो मत….मैं कोई लूटेरन नहीं हूँ….बस तुम्हारे साथ तुम्हारे घर में एन्जॉय करना चाहती हूँ.” उसने मेरे गालो को सहलाते हुए मुस्कुरा कर कहा.

“घर में क्यों…..? हम होटल चलते हैं…..ये ज़्यादा अच्छा रहेगा.” मैं उस बला को अपने घर नहीं ले जाना चाहता था.

“हरामी की औलाद….जान से मार डालूंगी तुझे अगर तू अपने घर के बजाये कहीं और ले गया तो.” उसने गुस्से से मेरा गर्दन दबाते हुए कहा.

उसकी पकड़ इतनी तेज़ थी की मेरा दम घुटने लगा. मैंने बाहर निकलती आँखों से उसकी और देखा उसने मेरा गर्दन छोड़ दिया. मैं अपने उखड़े हुए साँसों को नियंत्रित करने लगा.

“बोल घर जाएगा या होटल….?” उसने गुर्रा कर मुझसे कहा.

“घग्घर…..” मैंने हकलाते हुए जवाब दिया. आज तो कटने वाला है बेटा. मेरे दिल ने सरगोशी की…. ये पागल लड़की तेरे ही घर में तेरा बिरयानी बनाकर खाने वाली है.

मैं रास्ते भर सोचता जा रहा था कि कैसे इस मुसीबत से छुटकारा पाऊं लेकिन मुझे कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा था. मैंने गाडी की स्पीड इस उम्मीद से स्लो कर दी की कहीं रास्ते में इस लड़की का दिमाग ठिकाने में आ जाए और ये मेरी गाडी से उतर जाए. पर ऐसा कुछ नहीं हुआ. लगभग 15 मिनट गाडी दौड़ने के बाद मैं अपने घर पहुँच गया. मैंने गेट का लॉक खोला और अंदर घुस गया. वो लड़की भी मेरे पीछे ही अंदर आ गयी. अंदर पहुँचते ही वो रहस्मयी लड़की सोफे पर धम से जा बैठी और मुझसे बोली.

“इतने बड़े घर में तू अकेला रहता है तुझे डर नहीं लगता”

“पहले नहीं लगता था लेकिन अब लगने लगा है कल से अकेला नहीं रहूँगा”

मैंने अपने सूखे होंठो पर जीभ फेरते हुए जवाब दिया. वह लड़की मेरी बात सुनकर जोर से हंसने लगी.

“तू खाना कहाँ खाता है…मेरा मतलब है तू होटल में खाता है या खुद बनाता है” उसने मेरी और मुस्कुरा कर देखते हुए पूछा.

“मेरी नौकरानी खाना बना के रख देती है” मैंने डरते हुए जवाब दिया.

“अभी क्या बनाया है खाने में” उसने कहते हुए अपने होठों पर जीभ घुमाया

“पता नहीं…देखना पड़ेगा.”

“तो जाके देख न घोंचू….” उसने गुस्से में कहा.

और मैं सुनते ही दुम दबा के किचन की तरफ भाग गया. मैंने जल्दी से किचन में खाना चेक किया और लौटकर उससे बोला.

“आलू के 4 पराठे थोड़ा राइस और मटन है” मैंने एक ही सांस में पूरा मेनू उसे बता दिया.

“हम्म्म अच्छा है….तेरे फ्रीज़ में बियर तो होगी न” उसने पूछा.

“हाँ…..है” मैंने उसे जवाब दिया.

“तो जा पहले किचन से सारा खाना ले आ और बियर की 4 बॉटल उठा ला”

मैंने उसके आदेश का पालन किया लगभग 15 मिनट में खाना और बियर डाइनिंग टेबल पर सजा दिया. वो सोफे से उठी और डाइनिंग टेबल पर पहुँच गयी. उसने मेरी और देखा और मुझसे बोली.

“तू नहीं खायेगा….”

“तुम खा लो…..मैं बाद में खा लूंगा” मैंने डरते हुए जवाब दिया.

“बाद में क्या आचार खायेगा…..अभी आजा मेरे साथ…. मुझे अकेले खाना पसंद नहीं” उसने डांटते हुए कहा.

मैं मशीन की तरह उसके आर्डर को फॉलो कर रहा था. मैं उसके दूसरी तरफ के चेयर पर बैठ गया. और खाना शुरू कर दिया. वो बड़े आराम से खाना खा रही थी जैसे किसी के घर में मेहमान बन कर आयी हो. मैं कहते कहते उसे देख लेता था. कौन है ये लड़की कपडे से अच्छे घर की लगती है कॉलगर्ल ऐसी हरकत करेगी नहीं लेकिन इसका लैंग्वेज रंडियों की जैसी ही है. लगभग 1 घंटे तक मैं उसके साथ बैठकर खाना खाता रहा। खाना तो सब उसी ने खाया मुझसे तो डर के मारे खाया भी नहीं जा रहा था, मैं तो बस उसका साथ दे रहा था. वो उठी और फिर से सोफे पर बैठ गयी. कुछ देर वो उसी प्रकार बैठी रही, मैंने डाइनिंग टेबल से खाना बर्तन उठाया और किचन में रख दिया.

“बियर और मिलेगी…” उसने मेरी और देखते हुए कहा.

“हाँ 1 बॉटल और है” मैंने उसे बताया और फ्रीज़ से बियर निकाल कर उसके सामने रख दिया.

“2 गिलास ले आ” उसने बियर का बॉटल खोलते हुए कहा.

मैंने किचन से 2 गिलास लेकर उसके सामने रख दिया और खड़ा होकर उसे देखने लगा.

“तू भी आ जा.” उसने दोनों गिलास में बियर डालते हुए मुझसे कहा.

मैं लपक कर उसके पास गया. मुझे बियर की वास्तव में बहुत जरुरत थी. उसने एक गिलास उठाकर मेरी और बढ़ाया और दूसरा गिलास खुद उठा लिया.

“चियर्स!….” उसने अपना गिलास मेरी और दिखते हुए मुझसे कहा.

“चियर्स!” मैंने भी उत्तर दिया और बीयर का घूंट भरने लगा.

बियर मेरे गले से उतरते ही मेरा डर धीरे धीरे कम होने लगा और मै उसका साथ देने लगा. थोड़ी ही देर में बियर का बॉटल खाली हो गया.

“तुम और पीओगी…” मैंने उसकी और देखते हुए पूछा.

“तुम्हारे पास और बियर है…?” उसने मेरी और देखकर कहा.

“हाँ है…” मैं उठा और फ्रीज़ से 1 और बॉटल निकाल लिया.

“तुम तो कह रहे थे….तुम्हारे पास एक ही बॉटल है फिर ये कहाँ से आया” उसने मुझे घूरते हुए कहा.

“मैंने झूठ बोला था….ये बॉटल मैंने अपने लिए बचा रखी थी….तुम पीओगी” मैंने अपने गिलास में बियर डालते हुए उससे पूछा.

“नहीं…अभी नहीं.” उसने उत्तर दिया और मुझे देखने लगी.

मैंने भी अभी तक उसे ठीक से देखा नहीं था. डर की वजह से मैं उसे देख ही नहीं पाया था लेकिन अब बियर की वजह से मेरा सारा डर दूर हो चुका था. मैंने उस लड़की को ऊपर से नीचे तक देखा. उसने ऊपर येलो कलर का स्ट्रैपलेस टॉप और नीचे ब्लैक कलर का जीन्स पहन रखी थी. उसकी आधी छातियां नंगी थी और टाइट टॉप में उसके बड़े बड़े बूब्स तने हुए थे. मैंने ऐसी सुन्दर लड़की पहले कभी नहीं देखी थी. उसकी गोल गोल जाँघे बहुत ही जबरदस्त थी. ऑफिस से निकलते समय मैंने ऐसी ही किसी लड़की को घर बुलाकर चोदने का प्लान किया था लेकिन इस तरह से नहीं जैसा अभी मेरे साथ हो रहा था. मैं आँखें फाड़े उसकी सुंदरता को देखने लगा. दिल किया जाके उसके बूब्स दबा दूँ. अचानक वो उठी और अपने जीन्स का बेल्ट खोलने लगी. मैं थोड़ा डर गया. कहीं ये मुझे पीटना तो नहीं चाहती. लेकिन नहीं….वह अपना बेल्ट खोलने के बाद अपना जीन्स भी उतारने लगी और देखते ही देखते उसने अपने बदन से सारे कपड़े उतार कर फेंक दिये और फिर से सोफे पर बैठ गयी. मैं आँखें फाड़े उसके नंगे बदन को देखने लगा. वो सर से पैर तक क़यामत थी. उसकी भरी भरी चूचियां बेहद कठोर और गोलाकार थी और उसका पेट एकदम सपाट, उसकी नाभि भी बहुत सुन्दर और गहरी थी.

लेकिन जहाँ पर जाकर मेरी नज़र थम गयी वो उसकी चूत थी. वह अपने दोनों टांग फैला कर अपनी फूली हुई चूत मुझे दिखा रही थी. उसकी चूत में एक भी बाल नहीं था. उसकी चूत देखकर मेरे मुंह में पानी आ गया. मैंने एक ही घूंट में सारा गिलास खाली कर दिया और फिर से उसकी चूत देखने लगा. मैंने आज तक ऐसी चूत नहीं देखा था. मैं अपने होठों पर अपना जीभ घुमाने लगा. उसने मेरी और मुस्कुराकर देखा और फिर अपनी ऊँगली से इशारा करके मुझे अपने पास बुलाया. मैं किसी ग़ुलाम की तरह उसके पास जाकर घुटने के बल बैठ गया और उसकी चूत को निहारने लगा. मैं बस उसके आदेश की प्रतीक्षा कर रहा था. तभी उसने अपने टांग फैला दी और अपनी कमर को और आगे कर दिया. “चाट….इसे” उसने अपनी चूत पर हाथ फेरते हुए कहा. उसके बोलने की देरी थी और मैं कुत्ते की तरह उसकी चूत पर टूट पड़ा. मै पूरा जीभ निकाल कर उसकी चूत को ऊपर से निचे गांड के हॉल तक चाटने लगा. वो मेरे सर को सहलाने लगी और धीरे धीरे सिसकने लगी. मैं लगातार उसकी चूत चाटता रहा. मैंने चूत चाटते हुए अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में घुसा दिया वो एक दम से चिहुंक उठी.

“ओह्ह्ह पापा क्या कर रहे हो…?”

उसने बड़बड़ाया. मैंने उसकी बात सुनकर चौंक गया. ये लड़की मुझे पापा क्यों बोल रही है, मैं अपना सर उठाकर उसको देखा उसकी आँखे बंद थी, वो दोनों हाथो से अपने बूब्स मसल रही थी.

“ओह्ह पापा क्या हुआ…रुक क्यों गए…प्लीज मेरी चूत चाटो”

उसने फिर से बड़बड़ाते हुए कहा. फिर उसने आँखें खोल कर मेरी और देखा और मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत में दबा दिया. मैं फिर से अपना जीभ निकाल कर उसकी चूत चाटने लगा. 5 मिनट बाद उसके मुंह से फिर से शब्द निकलने लगे लेकिन इस बार जो शब्द निकले मैं सुनकर हक्का बक्का रह गया. उसके शब्द थे…

“ओह्ह्ह पापा तुम बहुत गंदे हो….यू आर डर्टी फादर….प्लीज मेरी चूत चाटो मेरे गंदे पापा…..पापा तुम सच में बहुत गंदे हो”

वो बड़बड़ाये जा रही थी, उसकी आवाज़ में एक कम्पन था और साथ में उत्तेजना भी. वह मेरा सर अपनी चूत में दबाने लगी और उसकी बड़बड़ाहट और तेज़ हो गयी.

“ओह्ह्ह…….पापा……मेरे……गंदे ……पापा…..पापा तुम गंदे हो….”ओह्ह्ह पापा ….यू आर वैरी डर्टी तुम बहुत गंदे हो…”

जैसे जैसे उसकी उत्तेजना बढ़ती, उस लड़की की बबड़बड़ाहट और तेज़ हो जाती. उसकी चूत चाटते हुए अब मुझे भी नशा होने लगा था. मैंने अपना जीभ लम्बा किया और उसकी चूत में घुसा दिया. और अपने जीभ को उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा.

“ओह्ह्ह्हह……पापा….आई लव यू…”

वह मेरा सर अपनी चूत पर दबाते हुए बोलने लगी. मैं अपना जीभ धीरे धीरे उसकी चूत के अंदर करता रहा. पूरा जीभ अंदर करने के बाद मैं जीभ को उसकी चूत के चारो और घूमने लगा. वो लड़की मस्ती में आकर अपनी कमर हिलाने लगी और मेरा सर अपनी चूत पर दबाने लगी. उसकी बड़बड़ाहट अभी भी जारी थी. उसकी चूत ने अब पानी छोड़ना शुरू कर दिया था। मैं उसकी चूत से बहता पानी अपने होंठो से पीता जा रहा था. उसका सारा रस अपने अंदर ले रहा था. अचानक वो लड़की उठ कर खड़ी हो गयी. उसको खड़ा होते देख मैं भी खड़ा हो गया. फिर वो लड़की आगे बढ़ी और मेरा जीन्स उतारने लगी। फिर देखते ही देखते उसने मुझे पूरा नंगा कर दिया. अब हम दोनों पूरी तरह से नंगे खड़े थे. वो आगे बढ़ी और मेरे गले मे अपनी बाहों का हार डाल दिया और मेरे होंठो को चूसने लगी.

“पापा आपका बैडरूम किधर है उसने नशीले आँखों से मुझे देखते हुए कहा.

उसकी आवाज़ में ग़ज़ब का नशा था. उसका बॉडी धूप में पड़े लोहे की तरह गरम था.

“उस तरफ….”मैंने ऊँगली से अपने बैडरूम के तरफ इशारा करते हुए उसे बताया.

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उसने अपना एक हाथ मेरी कमर से लपेट दिया और मुझे खींचती हुई बैडरूम ले गयी. बैडरूम पहुँचते ही उसने मुझे एक धक्का दिया. मैं पीठ के बल बिस्तर पर गिरा इससे पहले की मैं कुछ समझ पाता वो उछल कर बिस्तर पर आ गयी और पलक झपकते ही मेरे लंड को अपने होंठो के बीच दबा लिया. मेरा लंड तो पहले से ही तनतनाया हुआ था, उसपर उसके गरम होंठो का स्पर्श मिलते ही रोड की तरह कड़क हो गया. वह आधे मिनट से कम समय में मेरा लंड जड़ तक अपने मुंह के अंदर ले चुकी थी, मेरी आँखें हैरत से फ़ैल गयी. मेरा 7 का लंड उसके मुंह में जाने कहाँ गायब हो गया था. उसके होंठ मेरे बॉल्स को छूने लगे थे. उसने अपने दोनों होंठो को मेरे लंड पर दबाया और अपने होंठ धीरे धीरे ऊपर करने लगी. जैसे ही उसके होंठ ऊपर तक आये उसने अपना मुंह खोला और फिर से पूरा लंड अपने मुंह में दबोच लिया. उसके इस हरकत से मैं उछल पड़ा. उसने फिर अपने होंठों को मेरे लंड पर दबाया और फिर धीरे धीरे अपने होंठो को ऊपर करने लगी और फिर जैसे ही उसके होंठ टोपे तक आए उसने मुंह खोल कर फिर से पूरा लंड मुंह में लील लिया. वो लगातार ऐसे ही करने लगी.

वो अपने होंठो से मेरे लंड को दबा कर ऐसे चूस रही थी जैसे कोई आयल लेकर मेरे लंड की मालिश कर रहा हो। मैंने हज़ारों कॉलगर्ल से सेक्स किया था लेकिन ऐसा मज़ा मुझे आजतक नहीं मिला था, जो ये लड़की दे रही थी. मैंने मस्ती में अपनी आँखें बंद कर ली और नीचे से अपनी कमर उचका उचका कर अपना लंड चुसवाने लगा. उसकी चुसाई के आगे मैं ज़्यादा देर टिक ना सका। मेरा लंड अब झड़ने के पोजीशन में आ चुका था, मैंने अपना हाथ बढ़ाया और उसका सर अपने लंड पर दबाने लगा. मैंने ये भी नहीं सोचा की उस लड़की को ये पसंद है या नहीं और मैं उसके मुंह में अपना पानी छोड़ने लगा. आज मेरा लंड भी जरुरत से ज़्यादा पानी निकाल रहा था. मैंने कसके उसका मुंह अपने लंड पर दबा दिया और सारा पानी निकल जाने तक उसके सर को दबाये रखा. पानी निकलते ही मैंने एक लम्बी सांस ली और बिस्तर पर सीधा हो गया. मेरे वीर्य से उस लड़की का मुंह भर गया था उसने एक गटका मारा और लंड का सारा पानी अंदर ले लिया. फिर उसने अपना सर मेरे लंड पर झुका लिया और अपनी जीभ निकालकर मेरा भीगा हुआ लंड चाटने लगी. उसने मेरे लंड से एक एक बूँद को चाट लिया और फिर मेरे ऊपर आकर लेट गयी.

कुछ देर लेटे रहने के बाद, फिर उसने मुझे किश करना शुरू कर दिया. मैं फिर से गरम होने लगा. इस बार उसने मुझे अपने ऊपर खिंच लिया और मेरा सर अपनी एक चूचि पर रख दिया. मैं उसका इशारा समझते ही उसकी चूचि को चूसने लगा. मैं उसके बूब्स चूसते चूसते कभी कभी उसके निप्पल को अपने होंठों से दबाकर खिंच देता. मेरा ऐसा करने से वो कराह उठती…

ओह्ह पापा प्लीज आराम से, मैं आपकी बेटी हूँ कुछ तो तरस खाओ”

मैं बारी बारी से उसके बूब्स चूसने लगा और एक हाथ से उसकी चूत सहलाने लगा. मैं दूसरे हाथ से उसका दूसरा बूब्स मसलने लगा. उसकी कराहें तेज़ होने लगी वो मेरे सर को अपने बूब्स पर दबाने लगी. लगभग 5 मिनट बूब्स चुसवाने के बाद वो अचानक से खड़ी हो गयी और मेरा लंड अपने मुंह में भर कर चूसने लगी, 5 मिनट लंड चूसने के बाद उसने अपना मुंह मेरे लंड से हटा लिया और डोगी स्टाइल में बिस्तर पर हो गयी. मैं देर न करते हुए उसके पीछे चला गया और अपना लंड उसकी चूत पर रख कर दबाने लगा। तभी उसने अपना हाथ पीछे लाकर मेरा लंड अपने चूत से निकाल लिया और अपनी गांड के हॉल पर रख दिया. मुझे ये देखकर थोड़ा हैरानी भी हुआ, ज़्यादातर लड़कियां गांड मरवाने से डरती हैं और चूत ही मरवाना पसंद करती हैं लेकिन ये लड़की तो अपनी चूत से लंड निकाल कर अपने गांड में रख ली थी. मैंने ढेर सारा थूक लिया और उसकी गांड के हॉल पर लगा दिया, फिर एक ऊँगली उसकी गांड में डालकर थूक लगाने लगा. गांड में ऊँगली घुसते ही वो सिसकने लगी.

मैंने थूक लगाने के बाद अपने लंड का टोपा उसकी गांड के छेद पर रखा और एक ज़ोरदार धक्का मारा. धक्का इतना तेज़ था कि वो मुंह के बल बिस्तर पर गिर गयी. मैंने उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर फिर से ऊपर उठाया और दूसरा धक्का भी उतने ही ज़ोर का लगाया. अब मेरा पूरा लंड उसकी गांड में घुस चूका था, उस लड़की की कराहें निकलने लगी और उसका बदन दर्द से अकड़ने लगा. मैं उसकी तड़प की परवाह न करते हुए उसकी गांड पर लगातार चोट मारने लगा. उसकी चीखें तेज़ होती चली गयी.

“ओह्ह…. पापा….प्लीज आराम से, मेरी गांड फट जाएगी आपका लंड बहुत मोटा है”

वो मस्ती में बड़बड़ाती हुई बोली. उसकी आवाज़ में उत्तेजना थी, मैं उसके द्वारा पापा कहे जाने से और जोश में आ गया और मेरी स्पीड पहले से तेज़ हो गयी. मेरे हर धक्के पर वो पापा पापा बोलती जा रही थी उसकी बातों से अब मुझे भी लगने लगा था, कि मैं सच में उसका बाप हूँ और मैं अपनी ही बेटी की गांड मार रहा हूँ, हालांकि मेरी कोई बेटी नहीं है. मैं पागलो की तरह उसकी गांड मारता रहा, मेरा बदन पसीने से नहा गया था. लगभग 15 मिनट तक उसकी गांड में अपना लंड पेलने के बाद मेरे लंड ने पिचकारी मारना शुरू कर दिया। मैं कसके उसकी गांड को अपने लंड से चिपका लिया और लंड का सारा पानी उसकी गांड में छोड़ दिया. कुछ देर लंड को उसी तरह उसकी गांड से चिपकाए रखा और फिर अपना लंड निकाल लिया। जैसे ही मैंने अपना लंड निकाला उस लड़की ने तेज़ी से करवट लिया और मेरा लंड अपने मुंह में भर लिया. और मेरे लंड को अपने होंठों से साफ़ करने लगी. मैं निढाल होकर बिस्तर पर गिर गया. मैं बहुत थक चुका था लेकिन वो लड़की अभी भी वैसे ही चुस्ती फुर्ती दिखा रही थी, शायद ये हमारी उम्र का अंतर था.

मैंने उसकी तरफ देखा. वो अपनी जीभ अपने होंठो पर फेर रही थी.

“बेटी…..मैं थोड़ा रेस्ट चाहता हूँ….मैं बहुत थक गया हूँ”

मैंने बेटी शब्द का यूस इसलिए किया क्योंकि अभी तक वो मुझे पापा बोलती आयी थी। मुझे लगा उसे बेटी बोलने से उसे अच्छा लगेगा और वो गुस्सा नहीं करेगी. “ओके पापा…”उसने कहते हुए मेरे ऊपर झुकी और मेरे होंठों को चुम लिया. फिर एकदम से खड़ी हो गयी और रूम से बाहर निकल गयी. मैं हैरत से उसे देखने लगा. कुछ ही देर में वो वापस आ गयी. वो बियर लेने गयी थी. उसके एक हाथ में बियर का बॉटल और दूसरे हाथ में दो गिलास थे. उसने दोनों गिलास में बियर डाला और एक गिलास मेरी और बढ़ा दिया और दूसरा खुद ले लिया. उसने फिर से अपना हाथ उठकर “चियर्स!” कहा और बियर पीने लगी. मैं भी उसका अनुसरण किया और बियर का घूंट भरने लगा. मैं चुपचाप बियर पीते हुए उस लड़की के बारे में सोचने लगा कौन है ये लड़की और मुझे पापा क्यों कह रही है। मेरे मन में कई सवाल थे जो मैं उस अजनबी लड़की से पूछना चाहता था, लेकिन मेरी हिम्मत नहीं बन रही थी, क्या पता ये लड़की मेरे सवाल से भड़क जाए और मुझे नुक्सान पहुंचा दे. मैं ख़ामोशी से बियर पीता रहा और उसे देखता रहा. कुछ ही देर में मेरा गिलास खाली हो गया.

मैंने गिलास साइड के टेबल पर रख दिया और एक सिगरेट सुलगा लिया. जब तक उसके गिलास खाली होते मैंने अपना सिगरेट भी पी लिया था. वह लड़की ने अपना गिलास टेबल पर रख कर मेरे ऊपर आकर लेट गयी और मेरे होंठो को चूसने लगी। मैं भी उसे सहयोग देने लगा. अचानक उस लड़की ने मेरा एक हाथ अपनी चूत पर रख दिया और मेरी एक अंगुली अपनी चूत मे घुसा ली और मेरा दूसरा हाथ अपने बूब्स पर रखकर दबाने लगी। अजनबी लड़की ने मेरी ऊँगली को अपनी चूत में घुसाए हुए अपनी कमर को धीरे धीरे हिलाने लगी ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरी ऊँगली को चोद रही हो. उस लड़की के हिलते चूतड़ देख कर मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी. मैं अपने हाथ का दबाव उसकी चूचि पर बढ़ाने लगा. वो आह की सिसकारी निकलने लगी. मैंने अपना सर झुकाया और उसकी दूसरी चूचि को मुंह में भर लिया और उसका निप्पल चूसने लगा। उसकी सिसकियाँ तेज़ हो गयी. मैंने अपनी ऊँगली का रफ़्तार भी उसकी चूत पर बढ़ा दी थी. अचानक वो लड़की एक झटके में उठी और अपना सर मेरे लंड के पास ले गयी और मेरे लंड को अपने मुंह में भर कर चूसने लगी.

मेरा लंड उसके होंठो की गर्मी से अपनी औकात में फूलता चला गया. मेरे लंड के पुरे उफान पर आते ही उस लड़की ने अपना मुंह मेरे लंड से खिंच लिया और वो मेरे जांघों के बीच दोनों पैर फैला कर बैठ गयी. फिर मेरे लंड को अपनी चूत पर रखकर बैठने लगी, मेरे लंड का टोपा उसकी चूत में घुस चुका था। फिर उस लड़की ने नशीली नज़र से मेरी और देखते हुए एक करारा धक्का मेरे लंड पर मारा. उसका धक्का लगते ही फ़च की आवाज़ के साथ मेरा लंड उसकी चूत में घुस गया. अब वो मेरे लंड को जड़ तक अपनी चूत में घुसाए मेरी जांघो पर बैठी हुई थी. कुछ देर उसी हालत में बैठे रहने के बाद, वो धीरे धीरे अपनी गांड हिला कर मुझे चोदने लगी. मेरी आँख मस्ती में बंद होने लगी, धीरे धीरे उस लड़की की रफ़्तार बढ़ने लगी, अब वो किसी एक्सप्रेस की गति से धक्के पर धक्का लगा रही थी…. मेरे मुंह से आह निकलने लगी. मैंने आँख खोलकर उसको देखा…. वो लड़की किसी जंगली शेरनी की तरह आक्रामक लग रही थी। मैंने उसके हिलते हुए बूब्स को दोनों हाथों से पकड़ लिया और उसे मसलने लगा. मेरे ऐसा करने से उसकी रफ़्तार और बढ़ गयी. अब उसकी भी चीखें निकलने लगी थी. उसका पूरा बदन पसीने से भीग चूका था.

फिर अचानक वो मुझसे चिपक गयी और अपने दांत मेरे कंधो पर गड़ाती हुई, अपनी कमर को मेरी कमर से दाब लिया। तभी उसकी चूत से एक पिचकारी निकली और मेरी पूरी कमर गीली हो गयी. वो लड़की हाँफती हुई मेरी छाती से लिपट गयी. वो लगभग 6-7 मिनट तक हाँफती रही और अपनी साँसों को पाने की कोशिश करती रही। उसका पूरा शरीर मेरे ऊपर लिटा हुआ था। उसके दोनों बूब्स मेरी छातियों में दबे हुए थे। मैं उसके बालो को सहलाते हुए उसे देखने लगा, वो आँखें बंद किये लेटी हुई थी। अब उसकी सांसे सामान्य हो गयी थी. लेकिन बदन अभी भी पसीने से भीगा हुआ था. लगभग 5 मिनट बाद मैंने उसे पुकारा. लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया. मैंने उसे देखा वो गहरी नींद सो चुकी थी। मैंने उसके चेहरे को गौर से देखा, उसके खूबसूरत चेहरे में सुख की चादर फैली हुई थी, उसकी भोली सूरत पर मुझे बहुत प्यार आया, मैंने उसका माथा चूम लिया और उसका पीठ सहलाने लगा. मैं एक बार फिर उस लड़की के बारे में सोचने पर मजबूर हो गया.

कौन है ये लड़की….इसके माँ बाप कौन है? इस लड़की ने इस तरह मेरे घर आकर मेरे साथ सेक्स क्यों किया.

मैं सोचते सोचते पता नहीं कब सो गया. आँख खुली तो सुबह के 7 बज चुके थे, वो लड़की भी मेरी छाती पर सर रखे अभी भी गहरी नींद में थी. नींद में होने की वजह से मेरा लंड अभी भी पुरे तनाव में उसकी चूत के अंदर था. मैंने उस लड़की की पीठ सहलाते हुए उसका माथा चूम लिया. मैंने उसे थोड़ा सा हिलाया तो वो थोड़ी सी कसमसा कर रह गयी. उसका बदन हिलने से मेरा लंड और ज़्यादा उत्तेजित हो गया. अब मेरे मन में रात की चुदाई का सीन घूमने लगा। रात की चुदाई याद करते ही मेरे लंड में मस्ती आ गयी और मैं उसकी पीठ सहलाते हुए नीचे से धीरे धीरे अपनी कमर उठाकर उसे चोदने लगा. अभी मैंने 4-5 धक्के ही मारे थे की उसकी आँख खुल गयी. उसको जागता देख मैंने एक स्माइल दिया और फिर उसको जकड़ते हुए धीरे से एक धक्का दिया। वह हैरानी से मेरी और देखते हुए उठकर बैठ गयी. वो आँखें फाड़े मेरी ओर देखने लगी उसको इस तरह मेरी ओर देखता पाकर, मैं परेशान हो गया. मैं सोचने लगा….कहीं इस लड़की का दिमाग फिर से तो नहीं ख़राब हो गया. तभी उस लड़की को अपने नंगा होने का अहसास हुआ. वो अपने दोनों हाथ से अपने छतियो को ढकने लगी.

फिर जैसे ही उसकी नज़र नीचे गयी उसकी आँखें हैरत से फैलती चली गयी. मेरा लंड अभी भी उसकी चूत मे घुसा हुआ था। वो एकदम से उछल कर खड़ी हो गयी और मुझे गुस्से से देखती हुई एक जोरदार लात मेरी गांड पर दे मारी. मैं कराह कर बिस्तर से उठ गया.

“यू बास्टर्ड….तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे नंगा करने की…..हरामी की औलाद अब तू नहीं बचेगा…..तूने मुझे ख़राब किया है….मैं तुझे जान से मार दूंगी.”

वो चीखती हुई मुझपर झपटी, मैं फुर्ती से बिस्तर से उछल कर नीचे आ गया। वो लड़की मुंह के बल बिस्तर पर गिरी इससे पहले की वो उठकर फिर से मुझपर हमला करे…मैं दरवाज़े की तरफ भागा, मैं अभी दरवाज़े तक ही गया था की तभी मेरी पीठ पर कोई भरी वास्तु आ कर टकराई, मैं टेढ़ा होता चला गया. मैंने पलट कर देखा मेरे पावों के सामने बियर की टूटी हुई बॉटल पड़ी थी। तभी मैंने उस लड़की को अपनी और दौड़ते पाया. मैं फटाफट उस रूम से ऐसे गायब हुआ जैसे गधे के सर से सींग। मैंने बहार से रूम को लॉक कर दिया और सोफे पर जाकर पसर गया. मेरे पाँव ऐसे काँप रहे थे जैसे मुझे लकवा मार गया हो. मेरा दिमाग अभी भी कुछ सोचने की पोजीशन में नहीं था. वो लड़की अभी भी पागलों की तरह दरवाज़ा पीट रही थी. मेरे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करू, मैं तो बस डरे सहमे दरवाज़े की तरफ देखते हुए यही फरियाद करता रहा की मालिक कुछ भी करना, मगर दरवाज़े को मत टूटने देना. लगभग 15 मिनट बाद वो लड़की शांत हो गयी.

मैं सोफे से उठा और रूम की खिड़की के पास चला गया. मैंने अंदर नज़र दौड़ाया वो लड़की मुझे फर्श पर लेटी हुई दिखाई दी. वो दर्द से कराह रही थी….उसकी आँखें बाहर आ रही थी, साथ ही साथ वो वही रात वाला सेंटेंस बड़बड़ा रही थी.

“पापा तुम गंदे हो”।

मेरे तो होश उड़ गए मुझे समझ में नहीं आया क्या करूँ. तभी मुझे मेरे एक डॉक्टर दोस्त की याद आयी. वो एक सेक्सोलोजिस्ट हैं और अक्सर ऐसे पागल मरीज़ उनके पास इलाज़ के लिए आते रहते हैं. मैं दौड़ कर अपने फ़ोन के पास गया और उनका नंबर डायल करने लगा. कुछ देर में उधर से रिंग बजने की आवाज़ सुनाई दी. डॉक्टर तो इस वक़्त सो रहा होगा पता नहीं मेरा फ़ोन उठाएगा भी या नहीं…. अगर उठाएगा तो मैं क्या कहूंगा उससे.. तभी उधर से किसी ने फ़ोन उठाया. “हेलो…” मुझे फ़ोन के दूसरी तरफ से एक औरत की आवाज़ सुनाई दी, ये डॉक्टर रितेश की वाइफ थी.

“हेलो….भाभी जी….क्या आप मुझे डॉक्टर रितेश से बात करा सकती हैं… मैं उनका दोस्त रोहित बोल रहा हूँ…. मुझे उनसे एक जरुरी काम है… प्लीज आप उन्हें बता दीजिये. ” मैं एक सांस में बोलकर कर इंतज़ार करने लगा.

कुछ ही देर में मुझे डॉ रितेश की आवाज़ सुनाई दी.

“हेलो…रोहित जी कहिये इतना सुबह सुबह कैसे याद किया? सब खैरियत से तो है”

“कुछ भी खैरियत से नहीं है रितेश जी…..आप ये बताइये आप अभी मेरे घर आ सकते हैं…?” मैंने खुशामद करते हुए कहा.

“ऐसा क्या हो गया है….जो आप मुझे इस वक़्त घर बुला रहे हैं…?” उधर से डॉ. रितेश ने पूछा.

“आप पहले यहाँ आइये फिर सब बताता हूँ” मैंने फिर से उन्हें रिक्वेस्ट किया.

“ओके मैं आता हूँ” उधर से डॉ. रितेश की आवाज़ आयी और इसके साथ ही लाइन कट गयी.

मैंने फ़ोन का रिसीवर रखा और सोफे पर जाकर बैठ गया. अचानक ही मुझे अपने नंगे होने का ख्याल आया. मैंने जल्दी से अपने बदन पर कपडा चढ़ाया और वापस सोफे पर बैठ गया और उस लड़की के बारे में सोचने लगा. मैं डरा सहमा सोफे में बैठा हुआ उस अजनबी लड़की की सोच में गुम था, तभी दरवाज़े की घंटी बजी मैं ऐसे उछला जैसे किसी ने मेरे पिछवाड़े के निचे जलता तवा रख दिया हो. फिर मुझे ध्यान आया मैंने डॉक्टर को फ़ोन लगाया था मैं विद्युत की रफ़्तार से दरवाजे तक गया और सेकंड से भी कम समय में दरवाज़ा खोल दिया. दरवाज़ा खुलते ही मेरे चेहरे से सारी ख़ुशी गायब हो गयी. सामने मेरी नौकरानी खड़ी थी.

“क्या हुआ साहेब…..आप ऐसे क्यों आंखें दिखा रहे हो? नौकरानी ने हैरत से देखते हुए कहा.

“शीला….आज तुम्हे सफाई करने की जरुरत नहीं है….तुम घर जाओ” मैं दरवाज़े पर खड़े खड़े नौकरानी से कहा.

” साहेब कोई गलती हुई हो तो माफ़ी दे दो…पर काम से मत निकालो” नौकरानी ने खुशामद किया.

“ऐसी बात नहीं है शीला…..असल में मैं पूरी रात बहार जाग कर आया हूँ और आराम से सोना चाहता हूँ तुम्हारे काम की खटर पटर से मैं ठीक से सो नहीं पाउँगा” मैंने उसे समझाया.

“ठीक है साहेब…..मैं कल आ जाउंगी” नौकरनी ने कहा और वो पलट कर जाने लगी.

उसके लौटते ही मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया और वापस सोफे पर बैठ गया. और सिगरेट सुलगाकर कस लेने लगा. मैंने अभी दो चार कास ही लिया था की फिर से दरवाज़े का बेल बजा. मैं लपक कर दरवाज़े तक गया. दरवाज़ा खोलते ही डॉक्टर रितेश खड़े दिखाई दिए.

“गुड मॉर्निंग रोहित जी डॉक्टर ने मुस्कुराते हुए कहा. “गुड मॉर्निंग डॉ रितेश…..आप अंदर आइये”

मैंने उन्हें अंदर आने को कहा. उनके अंदर आते ही मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया और डॉक्टर के पास पहुँच गया.

“कहिये रोहित जी…..इतनी सुबह सुबह किस समस्या ने आपके घर दस्तक दे दिया, जो आप मुझे बुला लिए।

डॉ हमेशा की तरह मुस्कुराते हुए कहा. मैंने डॉ को सोफे पर बैठने को कहा और फिर झिझकते हुए अपने ऑफिस से निकलने से लेकर सुबह उस लड़की के द्वारा अपने ऊपर हुए हमले तक की एक एक बात बता दिया. मेरी बात सुनकर डॉ की आँखें फ़ैल गयी वो अभी तक इस राज़ से अनजान थे की मैं रात को लड़की बुलाता हूँ. मैं सर झुकाये उनके बोलने का इंतज़ार करने लगा.

“मैं उस लड़की को देखना चाहता हूँ”

अचानक मेरे कानो में डॉ की आवाज़ सुनाई दी. मैंने नज़र उठाकर डॉ को देखा और उठकर खिड़की के पास चला गया. डॉ भी मेरे पीछे पीछे खिड़की के पास आ कर खड़ा हो गया. अंदर अभी भी वो लड़की नंगी फर्श पर पेट के बल लेटी हुई थी. लेकिन उसकी कराहे अब बंद हो चुकी थी. ये कहना मुश्किल होगा की वो इस वक़्त जागती हुई हालत में थी या सोती हुई.

“आप दरवाज़ा खोलिये….”

डॉ ने मेरी और देखते हुए कहा. मैंने डॉ को ऐसे देखा जैसे वो पागल हो गया हो.

“डॉ मैं आपको बता चूका हूँ ये लड़की पागल है….आपका अंदर जाना ठीक नहीं रहेगा” मैंने डॉ को समझाना चाहा.

“आप निश्चिन्त रहिये…..” डॉ ने मेरी और देखते हुए कहा. “मुझे कुछ नहीं होगा. मेरे लिए ये कोई नयी बात नहीं है आप दरवाज़ा खोलिये”

“जैसी आपकी मर्ज़ी”

मैंने डॉ से कहा और दरवाज़ा खोल दिया. डॉ धीरे धीरे अपने पाँव को अंदर बढ़ाता गया वो चलते हुए बिकुल उस अजनबी लड़की के पास पहुँच गए. डॉ ने पहले उस लड़की को चादर से ढँक दिया. फिर उसके सिरहाने बैठकर उसे ध्यान से देखने लगा. फिर अपना हाथ नीचे ले जाकर कुछ चेक करने लगा जो मैं देख पाया. कुछ देर तक उस लड़की का जायज़ा लेने के बाद डॉ बहार आ गया.

“क्या हुआ डॉ….?” मैंने बेचैन होते हुए पूछा.

किन्तु डॉ ने मेरी बात का जवाब नहीं दिया. वो हॉल में टहलते रहे. मुझसे डॉ की ख़ामोशी सहन नहीं हो रही थी. मैं उनके जवाब के इंतज़ार में उनके पीछे पीछे चक्कर काटने लगा. डॉ एक नज़र मेरे चेहरे पर फेंक कर बोलने के लिए मुंह खोला.

“ये हिस्टीरिया का केस है.”

“हिस्टीरिया” मैंने हैरानी से देखते हुए दोहराया.

“जैसा की आपने कहा की ये लड़की सेक्स के दरम्यान अपने पापा को इमेजिन कर रही थी तो इसका अर्थ है इस लड़की के साथ बचपन से इसके बाप के द्वारा शारीरिक शोषण हुआ है और वो इस हद तक हुआ है की ये लड़की उस चीज की आदि हो चुकी है और अब किसी वजह से इसे अपने पापा से वो चीज नहीं मिल रहा है यही कारन है की ये आप जैसे अधेड़ आदमी के साथ यहाँ तक आयी और आपके साथ सेक्स भी किया.” डॉ ने मुझे समझाया.

“वो सब तो ठीक है डॉ. लेकिन इसने मुझपर हमला क्यों किया. ये कभी कभी बहुत ज़्यादा उग्र हो जाती है.” मैंने डॉ को बताया.

“सीधी सी बात है ये लड़की अपने बाप से नफरत करती है. जब तक ये सेक्स की कमी महसूस करती है अपने बाप को पसंद करती है लेकिन सेक्स पूरा होते ही इसे अपने बाप से नफरत होने लगती है. ऐसी हालत में ये अपने पिता की हत्या भी कर सकती है” डॉ ने मुझे बताया.

“अब आपके विचार से क्या करना चाहिए…?” मैंने डॉ से राय मांगी.

“मैं इसका इलाज़ करना चाहूंगा” डॉ ने कहा. और मैंने डॉ को किसी मसीहा की तरह देखा.

“थैंक्यू…डॉ रितेश”

मैंने राहत की सांस लेते हुए कहा. डॉ उठा और वापस रूम के तरफ बढ़ गया. मैं एक बार डर महसूस करने लगा. डॉ उस लड़की के पास जाकर घुटनो के बल बैठ गया और उस लड़की को उठाने लगा. वो लड़की थोड़ी कसमस्ते हुए उठकर बैठ गयी. उसने डॉ को आँखें फाड़ कर देखा. इस बार उसकी आँखों में दरिंदगी नहीं थी उसकी आँखों पीड़ा थी.

“मैं डॉ रितेश हूँ. मैं एक मनोचिकित्सक हूँ. इन्होने मुझे फ़ोन करके बुलाया है मैं तुम्हारा इलाज़ करना चाहता हूँ क्या तुम अपना प्रॉब्लम मुझे बता सकती हो”

डॉ ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा. जब डॉ ने इन्होने कहकर मेरी और इशारा किया, तो एक पल के लिए मैं काँप गया. लेकिन वह लड़की ने एक नज़र मुझपर डालकर डॉक्टर की बातों में खो गयी. डॉ की बात पूरा होते ही वो लड़की उसे ध्यान से देखने लगी, अचानक न जाने क्या हुआ वो लड़की फफक कर रो पड़ी. मेरी आंखे हैरत से फ़ैल गयी. लेकिन डॉ प्यार से उसके सर पर हाथ फेरता रहा.

“तुम एक अच्छी ज़िन्दगी जी सकती हो मैं तुम्हे पूरी तरह से ठीक कर दूंगा. बस तुम्हे मुझपर बिस्वास करना होगा”

डॉ ने जैसे उसके माइंड को पढ़ लिया था. वो लड़की उसकी बातों के प्रभाव में आ रही थी.

“क्या आप सच में मुझे ठीक कर देंगे क्या मैं एक नार्मल लड़की की तरह ज़िन्दगी जी सकती हूँ” उसने रोते हुए डॉ से कहा.

“बिलकुल जी सकती हो, तुम ठीक होकर शादी कर सकती हो, घर बसा सकती हो और हर वो लाइफ जी सकती हो जिसकी तुम ख्वाइश रखती हो” डॉ ने उसके आंसू पोछते हुए कहा.

“मैं अपनी ज़िन्दगी से मायूस हो चुकी थी, मैं तो मर जाना चाहती थी लेकिन अब जीना चाहती हूँ प्लीज डॉ मुझे बचा लीजिये मुझे ठीक कर दीजिये” उसने डॉ के आगे हाथ जोड़ते हुए कहा.

“तुम अपने कपडे पहन लो हम बाहर तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं”

डॉ ने उस लड़की से कहा और रूम से बहार आ गया. मैं हैरानी से डॉ को देख रहा था जो कितनी आसानी से उस लड़की को अपने वश में कर लिया था. मैं डॉ के साथ सोफे पर बैठ गया और उस लड़की का इंतज़ार करने लगा. कुछ देर बाद उस लड़की की आवाज़ हमें सुनाई दिया.

“मेरे कपडे यहाँ नहीं है”

वो दरवाज़े के पास चादर लपेटे खड़ी थी. मुझे याद आया उसने कपडे हॉल में उतरे थे जिसे मैंने उठाकर वाशिंग मशीन के ऊपर रख दिया था. मैं उठा और उसके कपडे लेकर उसे दे दिया. कपडे उसे पकड़ाते हुए मेरे अंदर थोड़ा सा डर भी था. लेकिन डॉ की मौजूदगी की वजह से मैं ये साहस कर गया.

“सॉरी…मैंने सुबह आपके साथ बहुत बुरा बर्ताव किया” उसने मेरी ओर देख कर कहा.

मैं हैरान था की इस लड़की को सब कुछ याद है मुझे लगा था ये सब भूल गयी होगी. “इट्स ओके” मैंने उसे जवाब दिया और वापस डॉ के बगल में बैठ गया. कुछ देर में वो लड़की हॉल में आ गयी. डॉ ने उसे बैठने को कहा. वो चुपचाप सोफे पर डॉ के बगल में बैठ गयी.

“अगर तुम कम्फर्टेबल नहीं हो तो हम अकेले में भी बात कर सकते हैं” डॉ का इशारा मुझसे से था.

लेकिन मुझे डॉ की ये बात अच्छी नहीं लगी.

“मैं इनपर भरोसा कर सकती हूँ आप जो पूछना चाहते हैं पूछ सकते हैं” उस लड़की ने कहा और मैं खुश हो गया.

“ठीक है सबसे पहले तुम अपने बारे में बताओ तुम कौन हो तुम्हारा नाम क्या है तुम्हारे माता पिता कौन हैं.” डॉ ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा.

आगे क्या होगा बने बताएँगे अगले पार्ट मे …

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