Bahan bhai ka sex story:- मैं बचपन से ही बहुत सुंदर थी. मेरा एक छोटा भाई है विक्की. विक्की मुझ से दो साल छोटा है. विक्की भी लम्बा तगड़ा जवान है. 11 साल की उम्र में ही मैं बहुत बड़ी लगने लग गयी थी. मेरी छातियां भर आयी थी. बगल में और टांगों के बीच में काफी बाल निकलने लगे थे. 14 साल तक पहुँचते पहुँचते तो मैं मानो पूरी जवान लगने लगी थी. गली में और बाजार में लड़के कमेंट कसने लगे थे. ब्रा की ज़रुरत तो 12 साल में ही पड़ गयी थी. 14 साल में साइज 34 इंच हो गया था. अब तो टांगों के बीच में बाल बहुत ही घने और लम्बे हो गए थे. हालाँकि कमर काफी पतली थी लेकिन मेरे नितम्ब काफी भारी और चौड़े हो गए थे. मुझे अहसास होता जा रहा था कि लड़कों को मेरी दो चीज़ें बहुत आकर्षित करती हैं, मेरे नितम्ब और मेरी उभरी हुई छातियां. स्कूल में मेरी बहुत सी सहेलियों के चक्कर थे लेकिन मैं कभी इस लफड़े में नहीं पड़ी. स्कूल से ही मेरे पीछे बहुत से लड़के दीवाने थे. लड़कों को और भी ज़्यादा तड़पाने में मुझे बड़ा मज़ा आता था.
Bahan bhai ka sex story
स्कूल में सिर्फ घुटनों से नीचे तक की स्कर्ट ही अलाव थी. क्लास में बैठकर मैं अपनी स्कर्ट जांघों तक चढ़ा लेती थी और लड़कों को अपनी गोरी गोरी सुडोल मांसल टांगों के दर्शन कराती. कई लड़के जान बूझ कर अपना पेन या पेंसिल नीचे गिरा कर उठाने के बहाने मेरी टांगों के बीच में झांक कर मेरी पैंटी की झलक पाने की नाकामयाब कोशिश करते. 16 साल की उम्र में तो मेरा बदन पूरी तरह से भर गया था. अब तो अपनी जवानी को कपड़ों में समेटना मुश्किल होता जा रहा था. छातियों का साइज 36 इंच हो गया था. मेरे नितम्बों को संभालना मेरी पैंटी के बस में नहीं रहा. और तो और टांगों के बीच में बाल इतने घने और लम्बे हो गए कि दोनों तरफ से पैंटी के बाहर निकलने लगे थे. ऐसी अल्हड़ जवानी किसी पर भी कहर बरसा सकती थी. मेरा छोटा भाई विक्की भी जवान हो रहा था, लेकिन आप जानते हैं लड़कियां जल्दी जवान हो जाती हैं. हम दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे. हम दोनों भाई बहन में बहुत प्यार था. कभी कभी मुझे महसूस होता की विक्की भी मुझे अक्सर और लड़कों की तरह देखता है. लेकिन मैं यह विचार मन से निकाल देती. लड़कों की ओर मेरा भी आकर्षण बढ़ता जा रहा था, लेकिन मैं लड़कों को तड़पा कर ही खुश हो जाती थी.
मेरी एक सहेली थी नीलम. उसका कॉलेज के लड़के सुधीर के साथ चक्कर था. वो अक्सर अपने इश्क़ की रसीली कहानियां सुनाया करती थी. उसकी कहानियां सुन कर मेरे बदन में भी आग लग जाती. नीलम और सुधीर के बीच में शारीरिक सम्बन्ध भी थे. नीलम ने ही मुझे बताया था की लड़कों के गुप्तांगों को लंड या लौड़ा और लड़कियों के गुप्तांगों को चूत कहते हैं. जब लड़के का लंड लड़की की चूत में जाता है तो उसे चोदना कहते हैं. नीलम ने ही बताया की जब लड़के उत्तेजित होते हैं तो उनका लंड और भी लम्बा मोटा और सख्त हो जाता है जिसको लंड का खड़ा होना बोलते हैं. 16 साल की उम्र तक मुझे ऐसे शब्दों का पता नहीं था. अभी तक ऐसे शब्द मुंह से निकालते हुए मुझे शर्म आती है पर लिखने में संकोच कैसा? हालाँकि मैंने बच्चों की नूनियाँ बहुत देखी थी पर आज तक किसी मर्द का लंड नहीं देखा था. नीलम के मुंह से सुधीर के लंड का वर्णन सुन कर मेरी चूत भी गीली हो जाती. सुधीर नीलम को हफ्ते में तीन चार बार चोदता था. एक बार मैं सुधीर और नीलम के साथ स्कूल से भाग कर पिक्चर देखने गयी. पिक्चर हॉल में नीलम हम दोनों के बीच में बैठी थी. Bahan bhai ka sex story
लाइट ऑफ हुई और पिक्चर शुरू हुई. कुछ देर बाद मुझे ऐसा लगा मनो मैंने नीलम के मुंह से सिसकी की आवाज़ सुनी हो. मैंने कनखियों से नीलम की ओर देखा. रौशनी कम होने के कारण साफ़ तो दिखाई नहीं दे रहा था पर जो कुछ दिखा उसे देखकर मैं दंग रह गयी. नीलम की स्कर्ट जांघों तक उठी हुई थी और सुधीर का हाथ नीलम की टांगों के बीच में था. सुधीर की पैंट के बटन खुले हुए थे और नीलम सुधीर के लंड को सहला रही थी. अँधेरे में मुझे सुधीर के लंड का साइज तो पता नहीं लगा, लेकिन जिस तरह नीलम उस पर हाथ फेर रही थी उससे लगता था की काफी बड़ा होगा. सुधीर का हाथ नीलम की टांगों के बीच में क्या कर रहा होगा ये सोच सोच कर मेरी चूत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी और पैंटी को भी गीला कर रही थी. इंटरवल में हम लोग बाहर कोल्ड ड्रिंक पीने गए. नीलम का चेहरा उत्तेजना से लाल हो गया था. सुधीर की पैंट में भी लंड का उभार साफ़ नज़र आ रहा था. सुधीर ने मुझे अपने लंड के उभार की और देखते हुए पकड़ लिया. मेरी नज़रें उसकी नज़रें से मिली और मैं मारे शर्म के लाल हो गयी. सुधीर मुस्कुरा दिया. किसी तरह इंटरवल खत्म हुआ और मैंने चैन की सांस ली.
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पिक्चर शुरू होते ही नीलम का हाथ फिर से सुधीर के लंड पे पहुँच गया. लेकिन सुधीर ने अपना हाथ नीलम के कन्धों पर रख लिया. नीलम के मुंह से सिसकी की आवाज़ सुन कर मैं समझ गयी की अब वो नीलम की चूचियाँ दबा रहा था. अचानक सुधीर का हाथ मुझे टच करने लगा. मैंने सोचा गलती से लग गया होगा. लेकिन धीरे धीरे वो मेरी पीठ सहलाने लगा और मेरी ब्रा के ऊपर हाथ फेरने लगा. नीलम इससे बिलकुल बेखबर थी. मैं मारे डरके पसीना पसीना हो गयी और हिल न सकी. अब सुधीर का साहस और बढ़ गया और उसने साइड से हाथ डालकर मेरी उभरी हुई चूची को शर्ट के ऊपर से पकड़ कर दबा दिया. मैं बिलकुल बेबस थी. उठ कर चली जाती तो नीलम को पता लग जाता. हिम्मत मानो जबाब दे चुकी थी. सुधीर ने इसका पूरा फायदा उठाया. वो धीरे धीरे मेरी चूची सहलाने लगा. इतने में नीलम मुझसे बोली कंचन पेशाब लगी है ज़रा बाथरूम जा कर आती हूँ. मेरा कलेजा तो धक् से रह गया. जैसे ही नीलम गयी सुधीर ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया. मैंने एकदम से हड्बड़ा के हाथ खींचने की कोशिश की, लेकिन सुधीर ने मेरा हाथ कस कर पकड़ रखा था. लंड काफी गरम मोटा और लोहे के सामान सख्त था. मैं रुंआसी होक बोली.
मै – सुधीर ये क्या कर रहे हो? छोड़ो मुझे नहीं तो नीलम को बता दूंगी.
सुधीर मँझा हुआ खिलाड़ी था बोला… सुधीर – मेरी जान तुम पर तो मैं मरता हूँ. तुमने मेरी रातों की नींद चुरा ली है. मैं तुमसे बहुत प्यार करने लगा हूँ.
यह कह कर वो मेरा हाथ अपने लंड पर रगड़ता रहा.
मै – सुधीर तुम नीलम को धोका दे रहे हो. वो बेचारी तुमसे शादी करना चाहती है और तुम दूसरी लड़कियों के पीछे पड़े हो.
सुधीर- कंचन मेरी जान तुम दूसरी कहाँ मेरी हो. नीलम से दोस्ती तो मैंने तुम्हें पाने के लिए की थी.
मै – झूट नीलम तो अपना सुब कुछ तुम्हें सौंप चुकी है. तुम्हें शर्म आनी चाहिए उस बेचारी को धोका देते हुए, प्लीज मेरा हाथ छोड़ो.
इतने में नीलम वापस आ गयी. सुधीर ने झट से मेरा हाथ छोड़ दिया. मेरी लाचारी का फायदा उठाने के कारण मैं बहुत गुस्से में थी लेकिन ज़िन्दगी में पहली बार किसी मर्द के खड़े लंड को हाथ लगाने के अनुभव से खुश भी थी. नीलम के बैठने के बाद सुधीर ने फिर से अपना हाथ उसके कंधे पर रख दिया. नीलम ने उसका हाथ अपने कन्धों से हटा कर अपनी टांगों के बीच में रख दिया और सुधीर के लंड को फिर से सहलाने लगी. सुधीर भी नीलम की स्कर्ट में हाथ डाल कर उसकी चूत सहलाने लगा. जैसे ही नीलम ने ज़ोर की सिसकी ली मैं समझ गयी की सुधीर ने अपनी ऊँगली उसकी चूत में घुसा दी है. इस घटना के बाद मैंने सुधीर से बिलकुल बात करना बन्द कर दिया. लेकिन अब सुधीर मेरे घर के चक्कर लगाने लगा और मेरे भाई विक्की से भी दोस्ती कर ली. वो विक्की से मिलने के बहाने घर आने लगा लेकिन मैंने उसे कभी लिफ्ट नहीं दी. कुछ दिनों के बाद हमने अपना घर बदल लिया. सुधीर यहाँ भी आने लगा. Bahan bhai ka sex story
मेरे कमरे के बाहर खुला मैदान था. लोग अक्सर मेरी खिड़की के नज़दीक पेशाब करने खड़े हो जाया करते थे. मेरी तो मानो मन की मुराद ही पूरी हो गयी. मैं रोज़ खिड़की के पीछे से लोगों को पेशाब करते देखती. दिन में कम से कम 10-15 लोगों के लंड के दर्शन हो जाते थे. मुझे काफी निराशा होने लगी क्योंकि किसी भी आदमी का लंड 2-3 इंच से ज्यादा लम्बा नहीं था. सभी लंड सिकुड़े हुए और भद्दे से लगते थे. किसी का भी लंड देखने लायक नहीं था. नीलन ने मुझे हिंदी की सेक्स की कहानियों की एक दो किताबें दी थी. उनमे तो 8 इंच या 10 इंच के लंड का वर्णन था. यहाँ तक की एक किताब में तो एक फुट लम्बे लंड का भी ज़िकर था. कई दिन इंतज़ार करने के बाद मेरी मनो कामना पूरी हुई. एक दिन मैं और नीलम मेरे कमरे में पढ़ रहे थे कि नीलम की नज़र खिड़की के बाहर गयी. उसने मुझे कोहनी मार के बाहर देखने का इशारा किया. खिड़की के बिलकुल नज़दीक ही एक लम्बा तगड़ा साधू खड़ा इधर उधर देख रहा था.
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अचानक साधू ने अपना तहमद पेशाब करने के लिए ऊपर उठाया. मेरे मुंह से तो चीख ही निकल गयी. साधू की टांगों के बीच में मोटा काला और बहुत ही लम्बा लंड झूल रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे उसका लंड उसके घुटनों से तीन या चार इंच ही ऊँचा था. नीलम भी पसीने पसीने हो गयी, लंड बहुत ही भयंकर लग रहा था. साधू ने दोनों हाथों से अपना लंड पकड़ के पेशाब की. साधू का लंड देख कर मुझे गधे के लंड की याद आ गयी. मैदान में कई गधे घुमते थे जिनके लटकते हुए मोटे लम्बे लंड को देख कर मेरी चूत गीली हो जाती थी. जब साधू चला गया तो नीलम बोली…
नीलम – हाय राम!! ऐसा लंड तो औरत की ज़िन्दगी बना दे. खड़ा हो के तो बिजली के खम्बे जैसा हो जाएगा. काश मेरी चूत इतनी खुशनसीब होती ऊऊऊफ फट ही जाती.
मै – नीलम! नीलम तू ये क्या बोल रही है. कण्ट्रोल कर. तुझे तो सिर्फ सुधीर के बारे में ही सोचना चाहिए.
नीलम – हाँ मेरी प्यारी कंचन सिर्फ फर्क इतना है की सुधीर का खड़ा हो के 6 इंच का होता है और साधू महाराज का सिकुड़ा हुआ लंड भी 10 इंच का था. ज़रा सोच कंचन एक फुट का मूसल तेरी चूत में जाये तो तेरा क्या होगा. भगवान की माया देख एक फुट का लौड़ा दिया भी उसे जिसे औरत में कोई दिलचस्पी नहीं.
मै – तुझे कैसे पता साधू महाराज को औरतों में दिलचस्पी नहीं? हो सकता है साधु महाराज अपने लंड का पूरा इस्तेमाल करते हों? मैंने नीलम को चिढ़ाते हुए कहा.
नीलम – हाय मर जाऊं! काश तेरी बात बिलकुल सच हो. साधु महाराज की रास लीला देखने के लिए तो मैं एक लाख रुपये देने को तैयार हूँ.
मै – और साधु महाराज से चुदवाने की लिए?
नीलम – ऊई माँ! साधु महाराज से चुदवाने की लिए तो मैं जान भी देने को तैयार हूँ. कंचन तूने चुदाई का मज़ा लिया ही कहाँ है. तूने कभी घोड़े को घोड़ी पर चढ़ते देखा है? जब ढाई फुट का लौड़ा घोड़ी के अंदर जाता है तो उसकी हालत देखते ही बनती है. साधु महाराज जिस औरत पर चढ़ेंगे उस औरत का हाल भी घोड़ी जैसा ही होगा.
मैंने कुत्ते को कुतिया पर और सांड को गाए पर चढ़ते तो देखा था लेकिन घोड़े को घोड़ी पर चढ़ते कभी नहीं देखा था. अब तो साधु महाराज का लंड मुझे सपनों में भी आने लगा. बड़े और मोटे लंड की तो मैं दीवानी हो गयी थी. हालाँकि मेरे हज़ारों दीवाने थे पर मैं किसी को लिफ्ट नहीं देती थी. मुझे उन सबका इरादा अच्छी तरह मालूम था. अब मैं 18 बरस की हो गयी थी और स्कूल में 12 क्लास में मेरा आखरी साल था. मुझे साड़ी में देख कर कोई कह नहीं सकता था की मैं स्कूल में पढ़ती हूँ. छतियाँ 36 इंच होने जा रही थी. मेरे बदन का सबसे सेक्सी हिस्सा शायद मेरे भारी नितम्ब थे. लड़कों को देख कर मैं और मटक कर चलती. उनकी आहें सुन कर मुझे बड़ा मज़ा आता. अक्सर मेरे नितम्बों पर लड़के कमेंट पास किया करते थे. एक दिन तो हद ही हो गयी. मैंने एक लड़के को बोलते सुना… Bahan bhai ka sex story
हाय क्या कातिल गांड हैं. आजा मेरी जान पूरा लौड़ा तेरी गांड में पेल दूँ.
मैं ऐसी अश्लील बातें खुले आम सुन कर दंग रह गयी. जब मैंने उस लड़के के कमेंट के बड़ा में नीलम को बताया तो वो हंसने लगी.
नीलम – तू कितनी अनाड़ी है कंचन. तेरी गांड हैं ही इतनी सेक्सी कि किसी भी लड़के का मन डोल जाये.
मै – लेकिन वो तो कुछ और भी बोल रहा था. मेरी गांड में लंड पेलने को बोल रहा था?
नीलम – मेरी भोली भाली सहेली बहुत से मर्द औरत की चूत ही नहीं गांड भी चोदते हैं. ख़ास कर तेरी जैसी लड़कियों की, जिनकी गांड इतनी सुंदर हो. अभी तो सती सावित्री है, जब तेरी शादी होगी तो याद रख एक दिन तेरा पति तेरी गांड ज़रूर मारेगा. सच कंचन अगर मेरे पास लंड होता तो मैं भी तेरी गांड ज़रूर मारती.
मै – हट नालायक! सुधीर ने भी तेरी गांड चोदी है क्या?
नीलम – नहीं रे अपनी किस्मत में इतने सेक्सी चूतड़ कहाँ.
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मुझे पहली बार पता लगा की औरत की आगे और पीछे दोनों और से ली जाती है. तभी मेरे आँखों के सामने साधु महाराज का लंड घूम गया और मैं काँप उठी. अगर वो बिजली का खम्बा गांड में गया तो क्या होगा! मुझे अभी भी नीलम की बात पर विश्वास नहीं हो रहा था. इतने छोटे से छेद में लंड कैसे जाता होगा.इस दौरान सुधीर ने मेरे भाई विक्की से अच्छी दोस्ती कर ली थी. दोनों साथ साथ ही घूमा करते थे. एक दिन जब मैं बाजार से वापस आयी तो मैंने देखा कि सुधीर और विक्की ड्राइंग रूम में कुछ खुसर पुसर कर रहे हैं और हंस रहे हैं मैं दीवार से कान लगा कर उनकी बातें सुनाने लगी. उनकी बातें सुनके मैं हैरान रह गयी. सुधीर कह रहा था…
सुधीर – विक्की तूने कभी किसी लड़की की चूत देखि है?
विक्की – नहीं यार अपनी किस्मत ऐसी कहाँ! तूने देखि है?
सुधीर – देखि ही नहीं ली भी है.
विक्की – झूट मत बोल. किसकी ली है?
सुधीर – तू विश्वास नहीं करेगा.
विक्की – अरे यार बोल ना, विश्वास की क्या बात है?
सुधीर – तो सुन तेरी बहन कंचन की सहेली नीलम को मैं रोज़ चोदता हूँ?
विक्की – क्या बात कर रहा है? मेरी दीदी की सहेलियां ऐसी हो ही नहीं सकती. मेरी दीदी ऐसी लड़कियों से दोस्ती नहीं कर सकती.
सुधीर – देख विकी तू बहुत भोला है. तेरी बहन जवान हो चुकी है और अच्छी तरह जानती है की नीलम मुझसे चुदवाती है.
विक्की – मैं सोच भी नहीं सकता की दीदी ऐसी लड़की से दोस्ती रखती है.
सुधीर – विकी एक बात कहूं? बुरा तो नहीं मानेगा?
विक्की – नहीं बोल!
सुधीर – यार तेरी दीदी भी पटाका है. क्या गदराया हुआ बदन है. तूने कभी अपनी दीदी की ओर ध्यान नहीं दिया.?
विक्की – सुधीर! क्या बकवास कर रहा है. अगर तू मेरा दोस्त नहीं होता तो मैं तुझे धक्के मार के घर से निकाल देता.
सुधीर – नाराज़ मत हो मेरे दोस्त. तू और मैं दोनों मर्द हैं. लड़की तो लड़की ही होती है बहन ही क्यों ना हो. सच कहूं मैं तो अपनी बड़ी बहन को कई बार नंगी देख चुका हूँ. मैंने बाथरूम के दरवाज़े में एक छेद कर रखा है. जब भी वो नहाने जाती है तो मैं उस छेद में से उसको नंगी नहाते हुए देखता हूँ. तू मेरे साथ घर चल एक दिन तुझे भी दिखा दूंगा. अब तो खुश है ना! अब सच सच बता तूने अपनी दीदी को नंगी देखा है.? Bahan bhai ka sex story
विक्की थोड़ा हिचकिचाया और फिर जो बोला उसे सुन कर मैं दंग रह गयी.
विक्की – नहीं यार! दिल तो बहुत करता है लेकिन मौका कभी नहीं मिला. कभी कभी दीदी जब लापरवाही से बैठती है तो एक झलक उसकी पैंटी की मिल जाती है. जब कभी वो नहा कर निकलती है तो मैं झट से बाथरूम में घुस जाता हूँ और उसकी उतारी हुई पैंटी को सूंघ लेता हूँ और अपने लंड पे रगड़ लेता हूँ.
सुधीर – वाह प्यारे! तू तो छुपा रुस्तम निकला. कैसी सुगंध है तेरी दीदी की चूत की?
विक्की – बहुत ही मादक है यार! दीदी की चूत पे बाल भी बहुत लम्बे हैं. अक्सर पैंटी पर रह जाते है. कम से कम तीन इंच लम्बी झांटें होंगी.
सुधीर – हाय यार मेरा लंड तो अभी से खड़ा हो रहा है. एक दिन अपनी दीदी की पैंटी की महक हमें भी सुंघा दे. तेरा कभी अपनी दीदी को चोदने का मन नहीं करता?
विक्की – करता तो बहुत है लेकिन जो चीज़ मिल नहीं सकती उसके पीछे क्या पड़ना? दीदी के नाम की मुठ मार लेता हूँ.
विकी और सुधीर की बातें सुन कर मेरा पसीना छूट गया. मेरा सगा भाई भी मुझे चोदना चाहता है. उसके मैंने अब अपनी पैंटी बाथरूम में कभी नहीं छोड़ी. मुझे डर था की विकी मेरी पैंटी सुधीर को ना दे दे. मुझे विकी से कोई शिकायत नहीं थी. आखिर वो मेरा छोटा भाई था. अगर विकी मुझे नंगी देखने के लिए इतना उतावला था तो, हालाँकि मैं उसके सामने खुले आम नंगी तो नहीं हो सकती थी पर किसी न किसी बहाने अपने बदन के दर्शन ज़रूर करा सकती थी. स्कूल ड्रेस में अपनी पैंटी की झलक देना बड़ा आसान था. सोफे पर बैठ कर टीवी देखते वक़्त अपनी टांगों को इस प्रकार फैला लेती की विकी को मेरी पैंटी के दर्शन हो जाते. एक दिन मैं स्कूल ड्रेस में ही लेटी बुक पढ़ रही थी की विकी के क़दमों की आहट सुनाई दी. मैंने झट से टाँगें मोड कर ऊपर कर ली और बुक पढ़ने का नाटक करती रही. मेरी गोरी गोरी मांसल टाँगें पूरी तरह नंगी थी. स्कर्ट कमर तक ऊपर चढ़ गयी थी. मैंने ज़्यादा ही छोटी पैंटी पहन रखी थी जो बड़ी मुश्किल से मेरी चूत को ढके हुए थी. मेरी लम्बी घनी झांटें पैंटी के दोनों ओर से बाहर निकली हुई थी. इतने में विकी आ गया और सामने का नज़ारा देख कर हड्बड़ा कर खड़ा हो गया.
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उसकी ऑंखें मेरी टांगों के बीच में जमी हुई थी. इस मुद्रा की प्रैक्टिस मैं शीशे के सामने पहले ही कर चुकी थी. मुझे भली भांति पता था की इस वक़्त मेरी चूत के घने बाल पैंटी के दोनों ओर से झांक रहे थे. पैंटी बड़ी मुश्किल से मेरी फूली हुई चूत के उभार को ढके हुए थी. मैंने उसे जी भर के अपनी पैंटी के दर्शन कराये. इतने में मैंने बुक नीचे करते हुए पुछा…
मै – विकी क्या कर रहा है? कुछ चाहिए? विकी एकदम से हड्बड़ा गया. उसका चेहरा उत्तेजना से लाल था.
विक्की – कुछ नहीं दीदी! अपनी बुक ढून्ढ रहा था.
उसकी पैंट के उभार को देख कर मैं समझ गयी उसका लंड खड़ा हो गया है. लेकिन विकी के पैंट का उभार देख कर ऐसा लगता था की उसका लंड काफी बड़ा था. जब से विकी के पैंट का उभार देखा तब से मेरे दिमाग में एक ही बात घूमने लगी कि किसी तरह विकी का लंड देखा जाए. मुझे पता था की विकी रात को लुंगी पहन कर सोता है. मेरे दिमाग में एक प्लान आया. मैं रोज़ सुबह जल्दी उठ कर विकी के कमरे में इस आस में जाती की किसी दिन उसकी लुंगी खुली हुई मिल जाए या कमर तक उठी हुई मिल जाए और मैं उसके लंड के दर्शन कर सकूँ. कई दिन तक किस्मत ने साथ नहीं दिया. अक्सर उसकी लुंगी जाँघों तक उठी हुई होती लेकिन लंड फिर भी नज़र नहीं आता. लेकिन मैंने भी हार नहीं मानी. आखिर एक दिन मैं कामयाब हो ही गयी. एक दिन जब मैं विकी के कमरे में घुसी तो देखा विकी पीठ पे लेता हुआ है और उसकी लुंगी सामने से खुली हुई थी. सामने का नज़ारा देख कर तो मैं बेहोश होते होते बची. मैंने तो सपने में भी ऐसे नज़ारे की कल्पना नहीं की थी. इतना लम्बा! इतना मोटा! इतना काला लंड! जैसा की मैंने बताया विकी पीठ के बल लेटा हुआ था लेकिन उसके लंड का सुपाड़ा बिस्तर पे टिका हुआ था! बाप रे बाप! मैंने अपने आप को नोचा कहीं मैं सपना तो नहीं देख रही थी.
क्या भयंकर लग रहा था विकी का लंड. इसने तो साधू महाराज के लंड को भी मात दे दी. अब तक तो मैं लंड एक्सपर्ट हो चुकी थी. नीलम और मैंने अब तक न जाने कितने छोटे छोटे पेशाब करते भद्दे से लंड देखे थे. मैं मन ही मन सोचने लगी कि घर में इतना लम्बा मोटा लंड मौजूद है और मैं बेकार में ही दूसरों का लंड देखने में अपना समय बर्बाद कर रही थी. मुझे तो जैसे सांप सूंघ गया था. अचानक विकी ने हरकत की और मैं जल्दी से भाग गयी. उस दिन के बाद से तो मेरी नींद हराम हो गयी. रोज़ सुबह पागलों की तरह उठ के विकी के लंड के दर्शन करने उसके कमरे में जाती लेकिन हमेशा निराशा ही हाथ लगती. मैंने सोच लिया था की एक दिन ये लंड मेरी चूत में ज़रूर जाएगा. मेरी उम्र 19 साल हो चुकी थी. मम्मी पापा मेरे लिए लड़का ढून्ढ रहे थे. एक बार हम सब कानपूर से एक लड़के को देख कर वापस आ रहे थे. ट्रैन में बहुत भीड़ थी. सिर्फ दो ही सीट मिली. वो भी अलग अलग कम्पार्टमेंट में. पापा मम्मी एक कम्पार्टमेंट में चले गए और मैं और विक्की दुसरे में. मैंने सोचा इससे अच्छा मौका कभी नहीं मिलेगा. रात को तो हम दोनों को एक ही सीट पर सोना पड़ेगा. Bahan bhai ka sex story
मैं प्लान बनाने लगी की किस प्रकार इस सुनहरे मोके का पूरा फायदा उठाया जाये. एक 2 टियर में साइड वाली सीट थी. विक्की मेरे सामने वाली सीट पर बैठा था. मैंने लहंगा पहना हुआ था. आज तक कई बार विक्की को पैंटी के दर्शन करा चुकी थी और एक बार तो उसके मुंह पे भी पैंटी से ढकी अपनी चूत रगड़ चुकी थी. क्यों न इस बार अपनी नंगी चूत के भी दर्शन करा दूँ. विक्की को इस प्रकार तड़पाने में मुझे बहुत मज़ा आने लगा था. मुझे मालूम था विक्की मुझे चोदने के ख्वाब देखता है. मैंने जब से उसका लंड देखा था तभी से ठान लिया था की शादी के बाद विक्की से ज़रूर चुदवाउंगी. शादी से पहले मैं अपना कुंवारापन नहीं खोना चाहती थी. इसके इलावा किसी भी कुंवारी चूत के लिए विक्की का मूसल बहुत खतरनाक था. मेरी कुंवारी चूत बुरी तरह से फट सकती थी और अगर नहीं भी फटती तो इतनी चौड़ी हो जाती की मेरे होने वाले पति को पता लग जाता कि मैं कुंवारी नहीं हूँ. पापा के मोटे लौड़े ने मम्मी की चूत का क्या हाल कर रखा था वो तो मैं खुद ही देख चुकी थी. Bahan bhai ka sex story
मैं पेशाब करने के बहाने बाथरूम गयी और अपनी पैंटी उतार ली. अब मेरी चूत लहंगे के नीचे बिलकुल नंगी थी. सामने की सीट पर विक्की बैठा हुआ था. मैं अपनी सीट पर उसके सामने आ कर बैठ गयी टांगें विक्की की सीट पर रख ली और अपनी सीट का पर्दा खींच लिया ताकि बाकि लोग मेरी हरकतें न देख सकें. अगर मैं लहंगा थोड़ा भी ऊपर करती तो वो मेरी टांगों के बीच झाँक सकता था. मैं नावेल पढ़ने का बहाना करने लगी. विक्की पूरी कोशिश कर रहा था की किसी तरह मेरी टांगों के बीच की झलक मिल जाय. वो तो बेचारा मेरी पैंटी की झलक पाने की आशा कर रहा था. उसे क्या मालूम की आज तो उसे शॉक लगने वाला था. मैं भी उसे खूब उतावला करती रही. थोड़ा सा लहंगा ऊपर खींच लेती लेकिन सिर्फ इतना ही की विक्की को कुछ दिखने की आशा हो जाए पर दिखाई कुछ न दे. फिर थोड़ी देर में टांग खुजलाने के बहाने लहंगा थोड़ा और ऊपर कर लेती जिससे विक्की को मेरी गोरी गोरी टांगें नज़र आ जाती पर असली चीज़ नहीं. मेरा इरादा था की रात को सोने से पहले ही उसे अपनी चूत के दर्शन कराउंगी क्योंकि सोना तो हमने एक ही सीट पर था.
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विक्की का उतावलापन साफ़ नज़र आ रहा था. मुझसे न रहा गया. बेचारे पे बहुत तरस आ रहा था. मैंने विक्की की सीट से टाँगें उठा कर अपनी सीट पर कर ली. टांगें इस प्रकार से चौड़ी करते हुए उठाई की गोरी जांघों के बीच में विक्की को मेरी झांटों से भरी हुई चूत के एक सेकंड के लिए दर्शन हो गए. पैंट का उभार बता रहा था मेरी चूत का असर. अब तो विक्की की हालत और भी खराब थी. बेचारा मेरी आँख बचा कर अपने लंड को पैंट के ऊपर से ही रगड़ रहा था. कुछ देर के बाद मैं टाँगें मोड के उकड़ू हो कर बैठ गयी और अपना सर घुटनों पर टिका के सोने का बहाना करने लगी. लहंगे के नीचे के हिस्से को मैंने अपनी मुड़ी हुई टांगों में फसाया हुआ था और सामने के हिस्से को घुटनों तक ऊपर खींच रखा था. अब अगर लहंगे का नीचे का या पिछला हिस्सा मेरी मुड़ी हुई टांगों से निकल कर नीचे गिर जाता तो लहंगे के अंदर से मुड़ी हुई टांगों के बीच से मेरी नंगी चूत विक्की को बड़ी आसानी से नज़र आ जाती. एक सेकंड की झलक पा कर ही विक्की बेहाल था. काफी देर इंतज़ार कराने के बाद मैंने अपने घुटनों पे सर रख कर सोने का बहाना करते हुए टांगों के बीच फंसा हुआ लहंगे का निचला हिस्सा नीचे गिरने दिया.
अब तो मेरी नंगी चूत विक्की की आँखों के सामने थी. विक्की ज़िन्दगी में पहली बार किसी लड़की की चूत देख रहा था. गोरी गोरी मांसल जांघों के बीच में लम्बी काली झांटों के अंदर से झांकती हुई मेरी डबल रोटी के समान फूली चूत को देख कर अच्छों अच्छों का ईमान डोल सकता था. विक्की तो फिर बच्चा ही था. इस मुद्रा में मेरी चूत के उभरे हुए होंठ घनी झांटों के बीच से झांक रहे थे. उभरे हुए तो बहुत थे लेकिन उतने चौड़े और खुले हुए नहीं जितने मम्मी की चूत के थे. मम्मी की चूत को पापा का मोटा लौड़ा बीस साल से जो चोद रहा था. करीब 5 मिनट तक मैंने जी भर के विक्की को अपनी चूत के दर्शन कराये. विक्की की तो जैसे आंखें बाहर गिरने वाली थी. अचानक मैंने सर घुटनों से ऊपर उठाया और पूछा… Bahan bhai ka sex story
मै – विक्की कौन सा स्टेशन आने वाला है.? विक्की एकदम हड्बड़ा गया और बोला…
विक्की – पता नहीं दीदी. मैं तो सो रहा था.
मै – अरे तुझे इतना पसीना क्यों आ रहा है, तू ठीक तो है?
मैंने विक्की के माथे पर हाथ रखते हुए पुछा. पसीना आने का कारण तो मुझे अच्छी तरह मालूम था. ऐसा ही पसीना मुझे भी उस दिन आया था जिस दिन मैंने विक्की का मोटा लौड़ा देखा था. विक्की की पैंट का उभार भी छुप नहीं रहा था.
मै – अच्छा चल खाना खा लेते हैं.
हम दोनों ने खाना खाया और फिर सोने की तैयारी करने लगे.
मै – विक्की जा कपडे बदल ले. सीट तो एक ही है मेरे साथ ही लेट जाना.
विक्की- दीदी आपके साथ कैसे लेटुंगा?
मै – क्यों मैं इतनी मोटी हूँ जो तू मेरे साथ नहीं लेट सकता.?
विक्की – नहीं नहीं दीदी एक बार आपको मोटी कह कर भुगत चुका हूँ, फिर कह दिया तो न जाने क्या हो जाएगा. अब आप जवान हो गयी हो. आपके साथ सोने में शर्म आती है.
मै – तो तुझे मेरे साथ सोने में शर्म आ रही है. ठीक है सारी रात खड़ा रह मैं तो चली सोने.
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ये कह कर मैं सीट पर लेट गयी. बेचारा काफी देर तक बैठा रहा फिर उठ के बाथरूम गया. जब वापस आया तो उसने लुंगी पहनी हुई थी. मैं मन ही मन सोचने लगी की काश विक्की ने अंडरवियर भी उतारा हुआ हो. विक्की फिर आ कर बैठ गया. थोड़ी देर बाद मैंने कहा जब तेरा शर्माना ख़त्म हो जाये तो लेट जाना. लाइट बन्द करदे और मुझे सोने दे. विक्की ने लाइट बन्द कर दी. मैं विक्की की तरफ पीठ करके लेटी थी. उसके लेटने की जगह छोड़ रखी थी. ट्रैन में हलकी हलकी लाइट थी. सोने का बहाना करते हुए मैंने लहंगा घुटनों से ऊपर खींच लिया था. ट्रैन की हलकी हलकी लाइट में मेरी गोरी गोरी जांघें चमक रही थी. करीब एक घंटे तक विक्की ऐसे ही बैठा रहा. शायद मेरी टांगों को घूर रहा था. थोड़ी देर में मुझे धीरे से हिला के फुसफुसाया…
विक्की – दीदी!! दीदी!. सो गयी क्या?
मैं गहरी नींद में सोने का बहाना करती रही.
विक्की – दीदी दीदी !
इस बार थोड़ा और ज़ोर से हिलाता हुआ बोला. लेकिन मैंने कोई जबाब नहीं दिया. अब उसे विश्वास हो गया था की मैं गहरी नींद में हूँ. अचानक मुझे महसूस हुआ जैसे कोई मेरा लहंगा ऊपर की और सरका रहा हो. मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धक् धक् करने लगा. मैं विक्की का इरादा अच्छी तरह समझ रही थी. बहुत ही धीरे से विक्की ने मेरा लहंगा इतना ऊपर सरका दिया की मेरी पूरी टाँगें नंगी हो गयी; सिर्फ नितम्ब ही ढके हुए थे. बाप रे थोड़ी ही देर में ये तो लहंगा मेरे नितम्बों के ऊपर सरका देगा. मैंने विक्की से इस बात की आशा नहीं की थी. मैंने तो पैंटी भी नहीं पहनी थी. विक्की भी इस बात को जानता था. दीदी दीदी! विक्की एक बार फिर फुसफुसाया. मैं सोने का बहाना किये पड़ी रही. समझ नहीं आ रहा था क्या करूँ. इतने में विक्की ने लहंगा बहुत ही धीरे से मेरे नितम्बों के ऊपर सरका दिया. हे भगवान!! अब तो मेरे विशाल नितम्ब बिलकुल नंगे थे. शर्म के मारे मेरा बुरा हाल था लेकिन क्या करती. जिन नितम्बों ने पूरे शहर के लड़कों पर क़यामत ढा रखी थी वो आज विक्की की नज़रों के सामने बिलकुल नंगे थे. काफी देर तक मेरे नितम्बों को निहारने के बाद विक्की धीरे से मेरे पीछे लेट गया. थोड़ी देर दूर ही लेटा रहा फिर आहिस्ता से सरक के मेरे साथ चिपक गया.
मेरे बदन में तो मानो बिजली का करंट लग गया हो. विक्की का तना हुआ लौड़ा मेरे चूतड़ों से चिपक गया. मुझे उसके लौड़े की गर्मी महसूस होने लगी. ट्रैन के हिचकोलों के साथ विक्की का लौड़ा मेरे चूतड़ों से रगड़ रहा था. लेकिन उसकी लुंगी मेरे नंगे चूतड़ों और लौड़े के बीच में थी. मेरी चूत तो बुरी तरह से गीली हो चुकी थी. अचानक मुझे महसूस हुआ जैसे की विक्की के लौड़े की गर्मी बढ़ गयी हो. हाय राम विक्की ने लौड़ा लुंगी से बाहर निकाल लिया था। अब उसने अपने आप को मेरे पीछे इस प्रकार एडजस्ट किया की उसका लौड़ा मेरे चूतड़ों की दरार में रगड़ने लगा. वो बिना हिले डुले लेटा हुआ था. ट्रैन के हिचकोलों के कारण लौड़ा मेरे चूतड़ों की दरार में आगे पीछे हो रहा था. कभी हलके से मेरी गांड के छेद से रगड़ जाता तो कभी मेरी चूत के छेद तक पहुँच जाता. मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था. मैं सोचने लगी की अगर लौड़ा गांड के छेद से रगड़ खा कर भी इतना मज़ा दे सकता है तो गांड में घुस कर तो बहुत ही मज़ा देगा. लेकिन विक्की के लौड़े के साइज को याद करके मैं सिहर उठी. जो लौड़ा चूत को फाड़ सकता है वो गांड का क्या हाल करेगा? अब तो मेरी चूत का रस निकल कर मेरी झांटों को गीला कर रहा था. इतने में ट्रैन ने ज़ोर से ब्रेक लगाया और विक्की का लौड़ा मेरी चूत के छेद से जा टकराया. Bahan bhai ka sex story
ऊई माँ कितना अच्छा लग रहा था! मन कर रहा था कि चूतड़ों को थोड़ा पीछे की ओर उचका कर लंड को चूत में घुसा लूँ. अचानक विक्की ने मुझे गहरी नींद में समझ कर थोड़ा ज़ोर से धक्का लगा दिया और उसका लौड़ा मेरी बुरी तरह गीली चूत में घुसते घुसते बचा. मैं घबरा गयी. अभी मैं विक्की के लंड के लिए तैयार नहीं थी. अंदर घुस गया तो अनर्थ हो जाएगा. मैंने नींद टूट जाने का बहाना करते हुए एक अंगड़ाई ली विक्की ने झट से अपना लौड़ा हटा लिया और लहंगा मेरे चूतड़ों पर डाल दिया. मैं उठते हुए बोली विक्की हट बाथरूम जाने दे. विक्की – दीदी आप तो बहुत गहरी नींद में थी. ठीक से सोई की नहीं. मैं बैठ जाता हूँ. दोनों एक सीट पे सो नहीं पाएंगे.
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मै – मैं तो बहुत गहरी नींद में थी. थक गयी थी न. तू तो लगता है सोया ही नहीं.
ये कह के मैं बाथरूम चली गयी. इतनी देर तक उत्तेजना के कारण प्रेशर बहुत ज़्यादा हो गया था. पेशाब करके राहत मिली. चूतड़ों पर और चूतड़ों के बीच में हाथ लगाया तो कुछ चिपचिपा सा लगा. शायद विक्की का वीर्य था. वापस सीट पर आयी तो विक्की बोला… Bahan bhai ka sex story
विक्की – दीदी आप सो जाओ मैं किसी दूसरी सीट पे चला जाता हूँ.
मै – नहीं मैं तो सो चुकी हूँ तू लेट जा. मुझे लेटना होगा तो मैं तेरे पीछे लेट जाउंगी.
विक्की – ठीक है दीदी! मैं तो लेट रहा हूँ.
विक्की लेट गया. उसकी पीठ मेरी ओर थी. मैं काफी देर तक बैठी रही और फिर विक्की के पीछे सट के लेट गयी. पता नहीं कब आँख लग गयी. जब आँख खुली तो सवेरा हो चूका था. मुझे मालूम था कि ट्रैन वाली बात विक्की के पेट में रहने वाली नहीं है. जैसे ही उसका दोस्त सुधीर घर पे आया दोनों में खुसर पुसर शुरू हो गयी. मैं भी जानना चाहती थी कि विक्की मेरे बड़ा में क्या बोल रहा है. मैं कान लगा कर उनकी बातें सुनाने लगी.
सुधीर – बहुत दिनों बाद नज़र आ रहा है विक्की?
विक्की – हाँ यार कानपुर गया था दीदी के लिए लड़का देखने.
सुधीर – दिल मत तोड़ विक्की. तेरी दीदी की शादी हो गयी तो मेरा दिल टूट जाएगा. किस्मत वाला होगा जो तेरी दीदी की जवानी से खेलेगा. अपनी दीदी से एक बार बात तो करवा दे. अपनी किस्मत भी आजमा लें.
विक्की – तेरी किस्मत का तो पता नहीं पर मेरी किस्मत ज़रूर खुल गयी.
सुधीर – वो कैसे? नंगी देख लिया या चोद ही दिया अपनी दीदी को?
विक्की – चोदना अपनी किस्मत में कहाँ? लेकिन काफी कुछ कर लिया.
सुधीर – पूरी बात बता न यार. पहेलियाँ क्यों बुझा रहा है?
विक्की – हाय यार क्या बताऊँ मेरा लंड तो सोच सोच के ही खड़ा हुआ जा रहा है. कानपुर से वापस आते पे सीट ना मिलने के कारण मैं और दीदी एक ही सीट पे थे. एक 2 टियर में साइड की सीट थी. हमने पर्दा डाल लिया. दीदी मेरे सामने बैठी हुई थी. उसने लहंगा पहन रखा था. पैर मोड़े नावेल पढ़ रही थी. एक दो बार टांगें सीधी करते वक़्त उसकी टांगों के बीच की झलक मिल गयी. गोरी गोरी जाँघों के बीच में काला काला नज़र आया तो मुझे लगा की काली पैंटी पहनी हुई है. थोड़ी देर में टांगें मोड के घुटनों पे सर रख के सो गयी. मेरा मन रहा था की किसी तरह मुड़ी हुई टांगों में दबा लहंगा नीचे हो जाए. अचानक वो ही हुआ. दीदी के लहंगे का नीचे का हिस्सा उसकी मुड़ी हुई टांगों में से निकल कर गिर गया. हाय यार.. दिल पे छुरियाँ चल गयी. गोरी गोरी मोटी मोटी जांघों के बीच में से दीदी की चूत बिलकुल नंगी झांक रही थी. ज़िन्दगी में पहली बार किसी लड़की की चूत देखि और वो भी इतने करीब से. इतनी घनी और काली झांटें थीं. कम से कम 3 इंच लम्बी तो होंगी ही. पूरी चूत झांटों से ढकी हुई थी. लेकिन क्योंकि दीदी की टाँगें मुड़ी हुई थी चूत की दोनों फांकें फैल गयी थी. उफ क्या फूली हुई चूत थी! फैली हुई फांकों के बीच में से चूत के दोनों होंठ मेरी ओर झांक रहे थे. इतने बड़े होंठ थे जैसे तितली के पंख हों. मन कर रहा था उन होंठों को चूम लूँ. चूत के होंठों का ऊपरी सिरा इतना उभरा हुआ था मानो छोटा सा लंड खड़ा हो गया हो. चूत के चारों ओर के घने बाल ऐसे चमक रहे थे जैसे चूत के रस में गीले हों. मेरी दीदी ना होती तो आगे सरक कर अपना तना हुआ लौड़ा उस खूबसूरत चूत के होंठों के बीच में पेल देता. Bahan bhai ka sex story
सुधीर – यार तूने तो बहुत सुंदर मौका खो दिया. यही मौका था चोदने का.
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विक्की – छोड़ यार कहना आसान है. रात को दीदी जब गहरी नींद में सो रही थी तो मैंने चुपके से उसका लहंगा कमर तक ऊपर सरका दिया. वो मेरी ओर पीठ किये लेटी थी. बाप रे क्या कातिलाना चूतड़ थे. सारा शहर जिन चूतड़ों के पीछे मरता है वो चूतड़ मेरी नज़रों के सामने थे. मैं दीदी के पीछे लेट गया. हिम्मत करके मैंने लुंगी में से अपना तना हुआ लौड़ा निकाला और दीदी के विशाल चूतड़ों के बीच की दरार में सटा दिया. ट्रैन के हिचकोलों के साथ मेरा लंड दीदी के चूतड़ों के बीच आगे पीछे हो रहा था. गज़ब का मज़ा आ रहा था. मैंने एक फोटो में एक आदमी को औरत की चूत में पीछे से भी पेलते देखा था. मैं बहुत उत्तेजित हो गया था और हलके हलके धक्के भी लगाने लगा था. मुझे अपने ऊपर कण्ट्रोल नहीं रहा और मैंने थोड़ा ज़ोर से धक्का लगा दिया. इस धक्के से दीदी की आँख खुल गयी. मैंने जल्दी से उसका लहंगा नीचे किया. जब वो उठ के बाथरूम गयी तो मैंने देखा की मेरे लंड के सुपाड़े के आस पास चिपचिपा हो गया है. पता नहीं मेरा ही वीर्य था की दीदी की चूत का रस. मैंने सूंघ के देखा तो वोही खुशबू थी जो दीदी की पैंटी से आती थी. Bahan bhai ka sex story
सुधीर – वाह बेटे विक्की तू तो मुझसे भी दो कदम आगे निकल गया. मैं तो दूर से ही अपनी दीदी की चूत देख के खुश हो रहा था, तूने तो अपनी दीदी की चूत पे लंड भी टिका दिया. डर क्यों गया पेल देना था.
विक्की – यार मन तो बहुत कर रहा था. लेकिन यार मेरी दीदी की चूत का छेद इतना बड़ा नहीं था जिसमे मेरा लंड घुस जाए।
सुधीर – विक्की तू बहुत भोला है. लड़की की चूत है ही ऐसी चीज़, जो आदमी का तो क्या घोड़े का लंड भी निगल जाती है. तू भी तो उसी छोटे से छेद में से बाहर निकला है. तो क्या तेरा लंड इतना बड़ा है जो उस छेद में ना जाए? लड़की की चूत होती ही चोदने के लिए.
मैं विक्की की बातें सुन के शर्म से लाल हो गयी थी और साथ में मेरी चूत भी खूब गीली हो गयी थी. मेरा सगा भाई मुझे चोदने के लिए पागल है यह सोच कर मैं बहुत खुश भी थी. इस घटना के बाद से हम दोनों में हंसी मज़ाक बहुत बढ़ गया था और विक्की अपना लंड मेरे जिस्म से रगड़ने का कोई मौका नहीं गंवाता था. लेकिन आज तक मुझे विक्की का खड़ा हुआ लौड़ा देखने का मौका नहीं मिला था. कई बार कोशिश भी की. कई बार सवेरे उसके कमरे में गयी, इस आशा से की उसके लौड़े के दर्शन हो जाएं पर किस्मत ने साथ नहीं दिया. एक दिन मौका हाथ लग ही गया. विक्की मेरा टॉवल लेकर नहाने चला गया. उसे मालूम था की मैं अपना टॉवल किसी को भी इस्तेमाल नहीं करने देती थी. मैंने उसे टॉवल ले जाते हुए देख लिया था लेकिन चुप रही. जैसे ही वो नहा के टॉवल लपेट कर बाहर निकला मैं उसकी और झपटी और चिल्लाई तूने फिर मेरा टॉवल ले लिया. इसी वक़्त वापस कर. खबरदार जो आगे से लिया. इससे पहले की वो संभले मैंने टॉवल खींच लिया. विक्की एकदम नंगा हो गया.
मै – हाआआआआ……….. बेशरम तूने अंडरवियर भी नहीं पहना.
मेरी आँखों के सामने विक्की का मोटा किसी मंदिर के घंटे के माफिक झूलता हुआ लंड था. करीब करीब उसके घुटनों तक पहुँच रहा था. विक्की का मारे शर्म के बुरा हाल था. अपने हाथों से लंड को छुपाने की कोशिश करने लगा. लेकिन आदमी का लंड हो तो छुपे ये तो घोड़े के लंड से भी बड़ा लग रहा था. बेचारा आधे लंड को ही छुपा पाया. मेरी चूत पे तो चीटियां रेंगने लगीं. हाय राम क्या लौड़ा है. मुझे भी पसीना आ गया था. अपनी घबराहट छुपाते हुए बोली.. Bahan bhai ka sex story
मै – कम से कम अंडरवियर तो पहन लिया कर नालायक!
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और मैंने टॉवल दुबारा उसके ऊपर फ़ेंक दिया. विक्की जल्दी से टॉवल लपेट कर भागा. मैं अपने प्लान की कामयाबी पे बहुत खुश थी लेकिन जी भर के उसका लौड़ा अब भी नहीं देख पायी. ये तो तभी मुमकिन था जब विक्की सो रहा हो. अब मेरी हिम्मत और बढ़ गयी. अगले दिन मैं सवेरे चार बजे उठ कर विक्की के कमरे में गयी. विक्की गहरी नींद में सो रहा था. उसकी लुंगी जांघों तक ऊपर चढ़ी हुई थी. विक्की पीठ के बल लेटा हुआ था और उसकी टाँगें फैली हुई थी. मैं दबे पाँव विक्की के बेड की ओर बढ़ी और बहुत ही धीरे से लुंगी को उसकी कमर के ऊपर सरका दिया. सामने का नज़ारा देख के मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी. पहली बार जब उसका लौड़ा देखा था तो इतनी घबराई हुई थी की ठीक से देख भी नहीं पायी थी. दूसरी बार जब टॉवल खींचा था तब भी बहुत थोड़ी देर ही देख पायी लेकिन अब ना तो कोई जल्दी थी और न ही कोई डर. इतनी नज़दीक से देखने को मिल रहा था. सिकुड़ी हुई हालत में भी इतना लम्बा था कि पीठ पे लेटे होने के बावजूद भी लंड का सुपाड़ा बिस्तर पर टिका हुआ था. दो बड़े बड़े बॉल्स भी बिस्तर पर टिके हुए थे. इतना मोटा था की मेरे एक हाथ में तो नहीं आता. ऐसा लग रहा था जैसे कोई लम्बा, मोटा, काला नाग आराम कर रहा हो. मन कर रहा था की सहला दूँ और मुंह में डाल के चूस लूँ लेकिन क्या करती मजबूर थी.
चूत बुरी तरह से रस छोड़ रही थी और पैंटी पूरी गीली हो गयी थी. अब तो मेरा इरादा और भी पक्का हो गया कि एक दिन इस खूबसूरत लौड़े का स्वाद मेरी चूत ज़रूर लेगी. मैं काफी देर उसकी चारपाई के पास बैठी उस काले नाग को निहारती रही. फिर हिम्मत कर के मैंने उसके पूरे लौड़े को हलके से चूमा और मोटे सुपाड़े को जीभ से चाट लिया. मुझे डर था की कहीं विक्की की नींद ना खुल जाए. मन मार के मैं अपने कमरे में चली गयी. मेरी शादी सुहागरात और पिया का घर जिस लड़के को देखने हम कानपुर गए थे उसके साथ मेरी शादी पक्की हो गयी. एक महीने के अंदर ही शादी करना चाहते थे. आखिर वो दिन भी आ गया जब मेरी डोली उठने वाली थी. धूम धाम से शादी हुई. आखिर वो रात भी आ गयी जिसका हर लड़की को इंतज़ार रहता है. सुहाग रात को मैं खूब सजी हुई थी. मेरा गोरा बदन चन्दन सा महक रहा था. दिल में एक अजीब सा डर था. मैं शादी का जोड़ा पहने पति के आने का इंतज़ार कर रही थी. तभी दरवाज़ा खुला और मेरे पति अंदर आए. मेरे दिल की धड़कन बढ़ गयी. हाय राम अब क्या होगा. मुझे तो बहुत शर्म आएगी. बहुत दर्द होगा क्या. क्या मेरा बदन मेरे पति को पसंद आएगा. कहीं पूरे कपड़े तो नहीं उतार देंगे. Bahan bhai ka sex story
इस तरह के ख़याल मेरे दिमाग में आने लगे. मेरे पति पलंग पर मेरे पास बैठ गए और मेरा घूंघट उठा के बोले..
पति – कंचन तुम तो बहुत ही सुंदर लग रही हो. मैं सर नीचे किये बैठी रही.
पति- कुछ बोलो ना मेरी जान. अब तो तुम मेरी बीवी हो और आज की रात तो तुम्हारा ये खूबसूरत बदन भी मेरा हो जाएगा.
मैं बोलती तो क्या बोलती. उन्होंने मेरे मुंह को हाथों में लेकर मेरे होंठों को चूम लिया.
पति – उफफ! क्या रसीले होंठ हैं. जिस दिन से तुम्हें देखा है उसी दिन से तुम्हें पाने के सपने देख रहा हूँ. मैंने तो अपनी माँ से कह दिया था की शादी करूँगा तो सिर्फ इसी लड़की से.
मै – ऐसा क्या देखा आपने मुझमे? मैंने शर्माते हुए पूछा.
मै – क्या नहीं देखा?
पति – इतना खूबसूरत मासूम चेहरा, बड़ी बड़ी आँखें, लम्बे काले बाल. वो कातिलाना मुस्कान, तराशा हुआ बदन. जितनी तारीफ़ करूँ उतनी कम है.
मै – आप तो बिलकुल शायरों की तरह बोल रहे हैं. सभी लड़कियां मेरे जैसी ही होती हैं.
पति – नहीं मेरी जान सभी लड़कियां तुम्हारे जैसी नहीं होती. क्या सभी के पास इतनी बड़ी चूचियाँ होती हैं? वो मेरी चूचियों पर हाथ फेरते हुए बोले.
मैं मर्द के स्पर्श से सिहर उठी.
मै – छोड़िए ना ये क्या कर रहे हैं.?
पति – कुछ भी तो नहीं कर रहा. बस देख रहा हूँ कि क्या ये चूचियाँ दूसरी लड़कियों जैसी ही हैं।
वो मेरी चूचिओं को दोनों हाथों से मसल रहे थे. फिर उन्होंने मेरे ब्लाउज का हुक खोल कर मेरा ब्लाउज उतार दिया. अब मैं सिर्फ ब्रा में थी. मुझे बाहों में भर के वो मेरे होंठों को चूसने लगे और मेरी नंगी पीठ सहलाने लगे. अचानक मेरी ब्रा का हुक भी खुल गया और मेरी बड़ी बड़ी चूचियाँ आज़ाद हो गयी.
पति – हाय कंचन क्या गज़ब की चूचियाँ हैं. काफी देर चूचियों से खेलने के बाद उन्होंने मेरी साड़ी को उतारना शुरू कर दिया. मैं घबरा गयी.
मै – ये क्या कर रहे हैं प्लीज साड़ी मत उतारिए. वो मुझे चूमते हुए बोले…
पति – मेरी जान आज तो हमारी सुहागरात है. आज भी साड़ी नहीं उतरेगी तो कब उतरेगी? और बिना साड़ी उतारे हमारा मिलन कैसे होगा? शर्माना कैसा अब तो ये खूबसूरत बदन मेरा है. लड़की से औरत नहीं बनना चाहती हो.?
मेरी साड़ी उतर चुकी थी और मैं सिर्फ पेटीकोट में थी. लेकिन आप क्या करना चाहते हैं? उई माँ! उनका एक हाथ पेटीकोट के ऊपर से मेरी चूत सहलाने लगा. मेरी चूत को मुट्ठी में भरते हुए बोले तुम्हें औरत बनाना चाहता हूँ. ये कह कर उन्होंने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया. अब तो मेरे बदन पे सिर्फ एक पैंटी बची थी. मुझे अपने बाँहों में लेकर मेरे नितम्बों को सहलाते हुए मेरी पैंटी भी उतार दी. अब तो मैं बिलकुल नंगी थी. शर्म के मारे मेरा बुरा हाल था. जाँघों के बीच में चूत को छुपाने की कोशिश कर रही थी.
पति – बाप रे कंचन ये झांटें हैं या जंगल. मेरा अंदाजा सही था. तुम्हें पहली बार देख के ही समझ गया था की तुम्हारी टांगों के बीच में बहुत बाल होंगे. लेकिन इतने लम्बे और घने होंगे ये तो कभी सोचा भी नहीं था. Bahan bhai ka sex story
मै – लाइट बन्द कर दीजिये प्लीज.
पति – क्यों मेरी जान. इस खूबसूरत जवानी को देखने दो ना.
उन्होने जल्दी से अपने कपड़े उतार दिए और बिलकुल नंगे हो गए. उनका तना हुआ लंड देख कर मेरी सांस रुक गयी. क्या मोटा और लम्बा लंड था. पहली बार मर्द का खड़ा हुआ लंड इतने पास से देखा था. उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पे रख दिया.
पति – देखो मेरी जान ये ही तुम्हें औरत बनाएगा. 8 इंच का है. छोटा तो नहीं है?
मै- जी ये तो बहुत बड़ा है, मैं घबराते हुए बोली.
पति- घबराओ नहीं , एक कच्ची कली को फूल बनाने के लिए मोटे तगड़े लौड़े की ज़रुरत होती है. सब ठीक हो जाएगा. जब ये लंड तुम्हारी इस सेक्सी चूत में जाएगा तो तुम्हें बहुत मज़ा आएगा.
मै- छी कैसी गन्दी बातें करते हैं?
कहानी जारी रहेगी…
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